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बथुआ की खेती : सर्दियों में करें बथुआ की खेती, होगी बंपर कमाई

प्रकाशित - 18 Jan 2023

जानें, कैसे करें बथुआ की खेती और इसके क्या है लाभ

अपने देश में इस समय सर्दियों का सीजन चल रहा हैं। सर्दियों के मौसम में बाजार में विभिन्न प्रकार की हरी पत्तेदार सब्जियां व साग बाजार में मिलने लगते हैं। पालक, मेथी, मूली, सरसों आदि के अलावा एक और सब्जी है जो बाजार में काफी प्रचलित है, वह है बथुआ। बथुआ पौष्टिकता से भरपूर होने के साथ-साथ कई तरह के रोगों से भी हमारे शरीर को बचाता है। बथुआ को विदेशों में क्विनवा या क्विनोआ (Quinoa) के नाम से भी जाना जाता है। विदेशों में बथुआ की मांग बहुत ज्यादा है क्योंकि विदेशों में क्विनोआ का प्रयोग सुपरफूड के रूप में किया जाता है। भारत में ठंड के मौसम में लोग बथुआ के पराठें खाने के शौकीन होते हैं। इसके अलावा इसकी दाल व सब्जी के सांग के रुप में प्रयोग करते हैं। बथुआ खाने में बेहद स्वादिष्ट, पोषक तत्वों से युक्त होता है। बथुआ की खेती करना बहुत ही आसान है और आप साल में 3 बार बथुआ की खेती कर सकते है। यदि आपका खेत अभी खाली हैं तो आप बथुआ की खेती करके आप अच्छा लाभ व मुनाफा कमा सकते हैं। किसान भाईयों आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से आपके साथ बथुआ की खेती से संबंधित सभी जानकारियां साझा करेंगे।

बथुआ की खेती करने का उपयुक्त समय (Bathua Farming)

बथुआ की बुवाई के समय ठंड का मौसम होनी चाहिये इसीलिए इसकी बुवाई अक्टूबर से मार्च के महीने में की जाती हैं। इसकी बेहतर फसल उत्पादन के लिए 7 डिग्री से 20 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त होता हैं।

बेहतर कमाई के साथ-साथ सेहत के लिए भी लाभकारी है बथुआ

बथुआ की खेती में फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए लागत बहुत कम आती है। जबकि इसकी फसल से कमाई बहुत अच्छी होती है। बथुआ हमारे शरीर के लिए भी लाभकारी है। इसके साग का सेवन करने से इम्यून सिस्टम बढ़ाने के साथ ही पेट की समस्याओं को भी दूर करता है। इसमें मौजूद औषधीय गुणों के कारण सर्दियों में लोग इसका सेवन अधिक करते हैं। तासीर में गर्म होने के कारण बथुआ सर्दी में हमारे शरीर को ठंड से भी बचाता है।

बथुआ की खेती करने के लिए खेत की तैयारी (Bathua ki Kheti)

बथुआ की खेती करने के लिए खेत की मिट्टी का पीएच मान 6 से 8 के बीच तक का होना चाहिए। इसकी खेती करते समय सबसे पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हल या कल्टीवेटर की मदद से 2 से 3 बार गहरी जुताई करके खेत की मिट्टी को भुरभुरा बना ले। उसके बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें।

बथुआ की बुवाई कैसे करें

बुवाई से पहले और खेत की आखिरी जुताई से पहले प्रति एकड़ 5 से 6 टन सड़ी हुई गोबर की खाद को खेत में मिलाएं। इसका बीज बहुत ही महीन होता है इसलिए प्रति एकड़ में 1500 से 1600 किलोग्राम मात्रा उपयुक्त होती है। बथुआ को ट्रैक्टर द्वारा चलने वाली मशीन से इसकी बुवाई कर सकते है या खाद के साथ मिला कर खेत में सीधे बीजों का छिड़काव भी कर सकते है। बथुआ की बुवाई सितंबर महीने के आखिरी सप्ताह से लेकर मार्च महीने के पहले सप्ताह तक की जा सकती है। आप बथुआ की नर्सरी भी तैयार कर सकते है और फिर पौधों की लंबाई 6 से 7 सेंटीमीटर तक की होने पर उन्हें खेत में लगाया जा सकता है।

बथुआ की खेती करते समय सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण

बथुआ की खेती करने के लिए अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि यह एक तरह का खरपतवार फसल है। इसकी फसल लगाने से काटने तक 3 से 4 बार सिंचाई करना पर्याप्त रहता है। जब इसके पौधे छोटे हो तब इसकी फसल से खरपतवार को निकाल कर अलग कर लेना चाहिए। बथुआ के पौधे पाला और सूखे को भी सहन कर सकते है।

बथुआ की फसल की कटाई 

अगर आप बथुआ की फसल की पत्तियों को बेचना चाहते हैं तो आप इसकी फसल से पत्तियों का उत्पादन 45 से 50 दिन के बाद कर सकते हैं। आप इसकी फसल से पत्तियों की तुड़ाई 3 से 4 बार तक कर सकते है। अगर आप इसकी खेती बथुआ की बीजों के लिए कर रहे हैं तो इसकी फसल 100 दिन में तैयार हो जाती है। अच्छी तरह से विकसित फसल की लंबाई 4 से 6 फिट तक की होती है इसको सरसों की फसल की तरह काट कर थ्रेसर मशीन की मदद से आसानी से आप बीज निकाल सकते है। बीज को निकालने के बाद कुछ दिनों तक धूप में सुखाना आवश्यक होता है। बथुआ की बीज का प्रति एकड़ उत्पादन 12 से 22 क्विटल तक का प्राप्त होता है।

बथुआ की खेती से मुनाफा

बथुआ की खेती से किसान डबल मुनाफा कमा सकते हैं। सर्दियों के सीजन में इसका सांग 40 से 100 रुपए प्रति किलो तक बिकता है। एक तो इसकी पत्तियों की बिक्री करके किसान 40 से 80 हजार रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं। किसान बथुआ के बीजों को भी बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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