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बारिश के बाद गन्ना की खेती से बंपर उत्पादन पाने का शानदार मौका, बस करें ये 2 काम 

प्रकाशित - 05 Jun 2023

बारिश से गन्ना किसानों को होगा भारी फायदा, जानें कैसे बढ़ेगा उत्पादन

गन्ना एक ऐसी फसल है जिसे पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। मई महीने के दौरान देश के ज्यादातर इलाकों में तेज गर्मी की वजह से गन्ना किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, उस समय कई राज्यों में बारिश हुई है। जो फसलें तेज गर्मी की वजह से सूख रही थी, उसमें अब हरियाली आ रही है। गन्ना किसान भी बारिश के बाद बेहद संतुष्ट नजर आ रहे हैं। लेकिन गन्ना की फसल में बारिश के बाद शानदार उत्पादन लेने के लिए यदि कुछ स्टेप्स उठाए जाएं तो किसानों का गन्ना उत्पादन भी बढ़ेगा और इनकम भी बहुत बढ़ेगी। मौसम विभाग के अनुसार जून के पहले सप्ताह में ही मानसून दस्तक संभव है। जिसके बाद ज्यादातर इलाकों में तेज बारिश की संभावना रहेगी। साथ ही हल्की या तेज आंधी की भी संभावना होगी। लेकिन किसान भाई एक तरफ इस बारिश से गन्ना में तेज बढ़त और उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे सकते हैं। वहीं तेज बारिश और आंधी से होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है, अक्सर तेज हवा से गन्ना की फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है।

ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम बारिश के बाद गन्ना का उत्पादन बढ़ाने और तेज बारिश व हवा से गन्ना की फसल को नुकसान से बचाने के बारे में जानकारी दे रहे हैं। 

बारिश के बाद गन्ना उत्पादन बढ़ाने की विधि

चूंकि गन्ना को पानी की पर्याप्त मात्रा चाहिए होती है, इसलिए किसानों को समय-समय पर कई बार गन्ना को सींचना पड़ता है। अक्सर देखा जाता है कि हल्की और मध्यम बारिश के बाद गन्ना के फसल में तेज ग्रोथ ( बढ़त ) देखने को मिलती है। बरसात की वजह से फसल में तेजी से वृद्धि तो होती ही है। लेकिन गन्ने के फसल की अच्छी बढ़त के लिए बारिश रुकने के 1 दिन बाद गन्ने के जड़ में यूरिया डालें। इस तरह गन्ना का उत्पादन बढ़ जाएगा। 

बारिश के बाद गन्ना के नुकसान से ऐसे बचें

तेज बारिश और आंधी के बाद गन्ना की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। दो तरह से फसल को अधिक नुकसान पहुंचता है, एक तो गन्ना की फसल में पानी का जमाव हो जाने से फसल को नुकसान पहुंचता है। वहीं दूसरे तरह से होने वाले नुकसान की बात करें तो अक्सर तेज हवा की वजह से गन्ना के गिरने का डर रहता है। लेकिन किसान अगर कुछ स्टेप्स को फॉलो करें तो वे इस नुकसान से बच सकते हैं। ये स्टेप्स ( प्रक्रिया ) इस प्रकार हैं।

  • बारिश और आंधी की संभावना को देखते हुए किसान पहले से तैयार रहें। इसके लिए मौसम पूर्वानुमान के अपडेट्स पर नजर रखें।
  • बारिश और तेज आंधी की संभावना हो तो गन्ना की फसल के थान को आपस में बांध दें। इससे गन्ना एक जुट होगा और आंधी के समय में भी जमीन पर नहीं गिरेगा।
  • खेत में जल-जमाव नहीं होना चाहिए। इस स्थिति से बचने के लिए गन्ना कतारों में पर्याप्त मिट्टी चढ़ाएं। जिससे कतार के बीच नाली बन जाए और आसानी से पानी बहकर खेत से बाहर निकल आएं। 
  • मिट्टी को पर्याप्त मात्रा में चढ़ाएं, अगर बारिश हो चुकी है और जलजमाव की स्थिति बन चुकी है, तो ऐसे में किसान गीली मिट्टी भी पंक्तियों के ऊपर चढ़ाकर पानी के बहाव के लिए जगह बना सकते हैं। ताकि खेत से पानी बाहर आ जाए।

इस तरह तेज बारिश से होने वाले नुकसान की दोनों परिस्थितियों से किसान बच सकते हैं।

किन राज्यों में होती है सबसे ज्यादा गन्ना की खेती

भारत में गन्ने की सबसे ज्यादा खेती और पैदावार उत्तरप्रदेश में होती है। उत्तरप्रदेश के बाद बिहार, हरियाणा और पंजाब राज्य में सबसे ज्यादा गन्ना की खेती की जाती है। बता दें कि ये चार राज्य पूरे भारत के गन्ना उत्पादन का 55 फीसदी हिस्सा पैदा करते हैं। बाकी 45 प्रतिशत गन्ना की पैदावार महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक, केरल, गोवा और पुडुचेरी में होती है। भारत में गन्ना को नकदी फसल के रूप में उगाया जाता है। हर साल लगभग 30 लाख हेक्टेयर भूमि में इसकी खेती की जाती है, वहीं देश में इस फसल की औसत उपज 65.4 टन प्रति हेक्टेयर है। 

गन्ने की खेती के लिए कैसी मिट्टी चाहिए

गन्ने की खेती के लिए दोमट मिट्टी को सबसे अच्छी मिट्टी मानी गई है। यह मिट्टी जल निकास के मामले में बहुत अच्छी होती है। हालांकि यदि अच्छे जल निकासी की व्यवस्था हो तो चिकनी मिट्टी वाले खेतों में भी इसकी खेती की जा सकती है।

गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

गन्ने की बुआई वातावरण के शुष्क होने पर की जाती है। वहीं जलवायु या तापमान की बात करें तो 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान होना चाहिए।

खेत की तैयारी 

देशी हल या कल्टीवेटर की मदद से खेत की तैयारी करें। जिसमें मिट्टी को पहले भुरभुरी बनाना जरूरी है। 2 से 3 जुताई करना अनिवार्य है। आखिरी जुताई के दौरान एक हेक्टेयर में 200 से 250 क्विंटल सड़ी गोबर खाद खेत में मिला देना चाहिए। उसके बाद ही जुताई करनी चाहिए।

सिंचाई

पूर्वी क्षेत्र में 4 से 5, मध्य क्षेत्र में 5 से 6 और वहीं पश्चिमी क्षेत्र में 7 से 8 सिंचाई की जरूरत पड़ती है। बारिश के बाद दो बार सिंचाई करना लाभप्रद होता है।

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