धान के खेत में करें अजोला की खेती, इससे बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति

Share Product प्रकाशित - 23 Jun 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

धान के खेत में करें अजोला की खेती, इससे बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति

जानें, अजोला की खेती करने का तरीका और सावधानियां

इस समय खरीफ की फसलों की बुवाई का सीजन शुरू हो गया है। खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली फसलों में धान का एक अपना महत्वपूर्ण स्थान है। कई राज्यों में धान की खेती प्रमुखता से की जाती है। धान के खेत में यदि अजोला की भी खेती की जाए तो किसानों को काफी लाभ हो सकता है। धान के लिए अजोला किसी वरदान से कम नहीं है। अजोला में पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन होता है जो भूमि की उर्वरता को बढ़ाने में मददगार हैं। ये धान में रायायनिक खाद की कमी को पूरा करता है जिससे धान की खेती में रासायनिक खाद का इस्तेमाल कम करना पड़ता है जिससे लागत में कमी आती है। इसके अलावा अजोला दुधारू पशुओं के लिए एक अच्छा चारा भी है। इसे खाने से पशुओं का दूध बढ़ता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको अजोला की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं। 

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क्या है अजोला (Azolla cultivation)

सबसे पहले हम ये जान लेते हैं कि अजोला होता क्या है, तो बता दें कि अजोला एक जलीय फर्न है जो समशीतोष्ण जलवायु में पाया जाता है। यह धान की खेती के लिए उपयोगी होता है। फर्न पानी पर एक हरे रंग की परत जैसा दिखता है। इस फर्न के निचले भाग में सिम्बोइंट के रूप में ब्लू ग्रीन एल्गी सयानोबैक्टीरिया पाया जाता है, जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को परिवर्तित करता है। इसकी नाइट्रोजन को परिवर्तित करने की दर करीब 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेर होती है। बता दें कि नाइट्रोजन मिट्टी की सेहत के लिए काफी गुणकारी होता है। इसलिए अजोला की खेती से धान की फसल और खेत की भूमि दोनों को फायदा होता है। 

भारत में पाई जाने वाली अजोला की किस्म

भारत में मुख्य रूप से अजोला की जाति अजोला पिन्नाटा पाई जाती है। यह काफी हद तक गर्मी सहन करने वाली किस्म है।

धान के खेत में अजोला को कैसे उगाएं

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार हरी खाद के रूप में, अजोला को पानी से भरे हुए खेत में दो से तीन सप्ताह के लिए अकेले उगाया जाता है, बाद में, पानी बाहर निकाल दिया जाता है और अजोला फर्न को धान की रोपाई से पहले खेत में मिलाया जाता है या धान की रोपाई के एक सप्ताह बाद, पानी से भरे खेत में 4-5 क्विंटल ताजा अजोला छिडक़ दिया जाता है। इससे धान में रासायनिक खाद की आवश्यकता कम पड़ती है और उत्पादन भी ज्यादा होता है। बता दें कि अजोला वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन को क्रमश: कार्बोहाइड्रेट और अमोनिया में बदल सकता है और अपघटन के बाद, फसल को नाइट्रोजन उपलब्ध करवाता है तथा मिट्टी में जैविक कार्बन सामग्री उपलब्ध करवाता हैं जो मिट्टी की सेहत के लिए काफी अच्छा होता है।

दुधारू पशुओं केे लिए भी है उत्तम आहार

अजोला का उपयोग पशुओं, मुर्गी, और मछली पालन में चारे के रूप में किया जा सकता है। सूखे अजोला को पोल्ट्री फीड के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है और हरा अजोला मछली के लिए भी एक अच्छा आहार है। इसे जैविक खाद, मच्छर से बचाने वाली क्रीम, सलाद तैयार करने और सबसे बढक़र बायो स्क्वेंजर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि यह सभी भारी धातुओं को हटा देता है।

पशु आहार के लिए कैसे करें अजोला की खेती (azolla ki kheti)

पशुओं के लिए हरा चारा काफी अच्छा माना जाता है। अजोला में सभी पोषक तत्व होने से इसे पशुओं के लिए उत्तम आहार बताया गया है। कहा जाता है कि इसे खाने से दूधारू पशुओं में दूध का उत्पादन अधिक होता है। यदि आप पशु आहार के लिए अजोला उगाना चाहते हैं तो आपको नीचे दिए तरीके को अपना सकते हैं-

  • अजोला उगाने के लिए सबसे पहले सीमेंट के टैंक में 40 किलोग्राम खेत की साफ छनी भुरभुरी मिट्टी डालें।
  • 20 लीटर पानी में दो दिन पुराना गोबर चार से पांच किग्रा लेकर घोल बनाएं। इसे अजोला के बेड पर डाल दें।
  • अब टैंक में सात से दस सेमी पानी भर कर एक से डेढ़ किलोग्राम ‘मदर एजोला’ कल्चर डाल दें।
  • अजोला धीरे-धीरे बढ़ता है। 12 दिन बाद एक किलोग्राम अजोला प्रतिदिन प्लास्टिक की छन्नी से निकालें। 
  • अब इसे साफ कर पशुओं को खिलाएं।

अजोला की खेती से होने वाले लाभ

अजोला की खेती से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। इनमें से कुछ लाभ इस प्रकार से हैं-

  • इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन करके इसे खरीफ और रबी दोनों मौसमों में हरी खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • अजोला से बनी हरी खाद मिट्टी की सेहत में सुधार करती है। इससे मिट्टी की उर्वराशक्ति बढ़ती है जिससे पैदावार में ज्यादा होती है।
  • धान के खेत में अजोला छोटी-मोटी खरपतवार जैसे चारा और निटेला को भी दबा देता है। 
  • यह धान के सिंचित खेत से वाष्पीकरण की दर को कम करता है।
  • यह रासायनिक उर्वरकों के उपयोग की क्षमता को बढ़ता है।
  • अजोला प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर और विटामिन छोड़ता है, जो धान के पौधों के विकास में सहायक होते हैं।
  • अजोला एक सीमा तक रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरकों (20 किग्रा/हेक्टेयर) के विकल्प का काम कर सकता है और यह फसल की उपज और गुणवत्ता बढ़ता है।

अजोला की खेती में क्या रखें सावधानियां

अजोला की खेती करते समय कुछ सावधानियां रखनी चाहिए जिससे अजोला का बेहतर उत्पादन मिल सकता है। ये सावधानियां इस प्रकार से हैं-

  • अजोला की खेती के लिए पीएच तापमान 5.5 के बीच 7 होना चाहिए।
  • अच्छी उपज के लिए संक्रमण से मुक्त वातावरण का रखना आवश्यक है।
  • अजोला के अच्छे विकास के लिए इसे नियमित रूप से काटना चाहिए।
  • अजोला की अच्छी बढ़वार के लिए करीब 35 डिग्री सेल्सियस तापमान होना जरूरी है। ठंडे क्षेत्रों में ठंडे मौसम के प्रभाव को कम करने के लिए, चारा क्यारी को प्लास्टिक की शीट से ढक देना चाहिए।
  • अजोला की उगाने के लिए ऐसे स्थान का चयन करना चाहिए जहां सूरज की सीधी और पर्याप्त रोशनी आती हो। क्योंकि छाया वाली जगह में पैदावार कम होती है।

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