प्रकाशित - 13 Apr 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
बेमौसम बरसात और बारिश की वजह से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। हरियाणा के ज्यादातर छोटे किसानों को पूंजी की अनुपलब्धता का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए जरूरी है कि फसल बिक्री का पेमेंट सही समय पर हो। किसानों को राहत देने के लिए सरकार द्वारा कई निर्णय लिए जा रहे हैं। हरियाणा सरकार किसानों के लिए ये सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि किसानों को फसल बिक्री भुगतान में देरी न हो। इसके अलावा भी किसानों के लिए कई फैसले लिए गए जिसमें चमकविहीन गेहूं की एमएसपी (wheat msp) पर खरीदी, फसल ऋण (crop loan) के भुगतान को अस्थाई रूप से स्थगित कर आगे बढ़ाने की कोशिश शामिल है।
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि राज्य सरकार ने लगभग 2 साल पहले किसानों के खाते में सीधे भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू की, उसे पूरे देश में सराहना मिली। सरकारी एजेंसियां द्वारा भी जो फसल की खरीदी की जा रही है, उसका भी समय सीमा के अंदर भुगतान करने की व्यवस्था की गई है।
किसानों को समय पर अपने फसलों का भुगतान (payments of crop) मिले इसको सुनिश्चित करने के कदम में और आगे बढ़ने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा ब्याज का नियम लगाया गया है। चौटाला ने बताया कि अगर किसानों के बेचे गए फसल की कीमतों का भुगतान तय समय सीमा के अंदर नहीं किया गया तो 9 प्रतिशत ब्याज सहित किसानों को भुगतान मिलेगा। किसानों को सही समय पर पेमेंट देने की दिशा में सरकार का ये बड़ा कदम है।
सरकार के इस कदम से हरियाणा के किसानों को व्यापक फायदा मिलेगा। किसानों के पेमेंट सही समय पर तो होंगे ही, कई बार सरकारी कार्यों में लेट होते हैं जिसकी कीमत आम इंसान, किसान और गरीब लोगों को चुकानी पड़ती है। इस कदम से किसानों को लेट होने पर अतिरिक्त लाभ मिल सकेगा, और किसान ज्यादा संतुष्ट होंगे।
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान ये साझा किया कि गेहूं, सरसों (mustard), दाल, जौ, आदि की सरकारी खरीद चल रही है। किसान मंडी आकर अपनी फसल बेच सकते हैं। फसलों की सरकारी खरीदी के लिए (For government purchase of crops) प्रदेश भर में सैकड़ों मंडी स्थापित किए हुए हैं जो इस प्रकार हैं।
फसल का नाम | मंडी की संख्या |
---|---|
गेहूं | 408 |
सरसों | 102 |
दाल | 11 |
जौ | 25 |
फसल की सरकारी खरीद पर अभी तक का अपडेट ये है कि करीब 1.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं मंडी में पहुंच चुकी है। इनमें से 18000 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। बता दें कि पिछले साल 67 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी सरकार द्वारा की गई थी। इस बार ओलावृष्टि और प्राकृतिक आपदा से किसान के फसल के नुकसान का अनुमान ज्यादा है लेकिन फिर भी इस साल 76 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का अनुमान है। राज्य सरकार द्वारा भी इसके लिए पुख्ता इंतजाम किया गया है।
भारत एक अनिश्चितता से भरे मौसम वाला देश है, जिसमें किसानों को कभी भी बारिश और ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं (natural disasters) से नुकसान का सामना करना पड़ता है। किसानों के इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सहयोग से पूरी देश में पीएम फसल बीमा योजना चल रही है। इस योजना के तहत वैसे किसान जो फसल नुकसान का सामना कर रहे हैं, उन्हें सहायता राशि दिया जाता है। किसान बेहद कम प्रीमियम का भुगतान करके पीएम फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojna) का लाभ ले सकते हैं, जब कभी भी फसल का नुकसान हो किसान बीमा क्लेम कर अपने नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। बीमा प्रीमियम की राशि का ज्यादातर हिस्सा केंद्र सरकार और राज्य सरकार भुगतान करती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए https://pmfby.gov.in/ पर जा सकते हैं।
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