प्रकाशित - 10 Mar 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
कपास की कीमतों में दो माह के बाद अब तेजी का रूख दिखाई दिया है। बात की जाए मार्च माह की तो इस माह बाजार में कपास का भाव 7,000 रुपए से ऊपर बना हुआ है जो पिछले दो माह के मुकाबले अधिक है। वर्तमान बाजार दरों के अनुसार, कपास का औसत मूल्य 7091.67 प्रति क्विंटल है, उच्चतम भाव 8300 प्रति क्विंटल है। बता दें कि पिछले दो माह पूर्व दिसंबर 2023 में कपास का भाव 6,000 रुपए से 7000 रुपए के बीच रहा। बाजार एक्सपर्ट्स की मानें तो आगामी महीनों में कपास के भावों में तेजी का रूख बना रह सकता है। बाजार जानकारों ने किसानों को सलाह देते हुए कपास के अगले महीने के लिए अग्रिम मूल्य अनुमान जारी किया है।
इस अग्रिम अनुमान के मुताबिक मार्च, अप्रैल और मई 2024 में भारतीय कपास की कीमतें 7500-8000-8300 रुपए प्रति क्विंटल के बीच में रहने की उम्मीद है। इस अनुमान में कई कारक योगदान करते हैं, इसमें सरकी (कपास बीज) और कपास केक (डीएचईपी) की बढ़ी हुई दरें, अन्य देशों में बढ़ती मांग और कपड़े और स्पिंडल की मांग में बढ़ोतरी शामिल है। हालांकि ऐसे कई संभावित जोखिम भी हैं जो कपास की कीमताें को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे- चुनाव या बाजार की अप्रत्याशित घटनाएं आदि। इसलिए कपास की खरीद फरोख्त करने से पूर्व किसानों को इन कारकों पर विचार करना चाहिए और इसके बाद ही फसल बेचने के लिए अपना निर्णय लेना चाहिए।
कपास की कीमतों या बाजार भावों को कई कारक प्रभावित करते हैं, कपास की कीमतों को जो कारक सबसे अधिक प्रभावित करते हैं, वे प्रमुख कारक इस प्रकार से हैं-
सरकी (कपास बीज) की दरों में 300 से 500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बढ़ोतरी हुई है। जबकि कपास केक (ढेप) की दरों में करीब 300 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है। ये मूल्य वृद्धि कपास के उत्पादन की कुल लागत को निर्धारित करती है और इसी के साथ ही बाजार में कपास की अंतिम कीमत को प्रभावित करती है।
भारतीय कपास की दूसरे देशों में मांग भी कपास के भावों को प्रभावित करती है। वर्तमान समय में भारतीय कपास की अन्य देशों में मांग बढ़ी है और यहां से 20 लाख कपास की गांठों का अन्य देशों को निर्यात हुआ है। यह अंतरराष्ट्रीय मांग घरेलू आपूर्ति पर दबाव डालती है। इससे संभावित रूप से स्थानीय कीमतें भी प्रभावित होती है।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कपड़े और स्पिंडल की मांग बढ़ रही है। यह बढ़ी हुई मांग कपास जैसे कच्चे माल की जरूरत को बढ़ाती है जो आपूर्ति-मांग की गतिशीलता के कारण कपास के भावों को प्रभावित कर सकती है।
कई स्थानीय कपड़ा मालिकों ने कपास की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद में इसका स्टॉक नहीं किया। जबकि कपास की अचानक बढ़ी मांग के कारण इसकी बाजार कीमत में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
इस साल करीब 260 लाख गांठ कपास उत्पादन का अनुमान है। इसके अलावा कैरी ओवर स्टॉक करीब 60 लाख गांठ है। यह पिछले सालों की तुलना में उपलब्धता में कमी का सुझाव देता है। इसके अलावा अन्य देशों में कपास का आयात इस साल 10 से 12 प्रतिशत महंगा होने की उम्मीद की जा रही है। इससे कपास उत्पादकों के सामने चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
वर्तमान समय को देखते हुए बाजार जानकारों द्वारा सलाह दी जा रही है कि किसानों को चरणबद्ध तरीके से कपास की बिक्री की योजना बनानी चाहिए। इसमें मार्च महीने में करीब 40 प्रतिशत कपास बेचना चाहिए। इसके बाद अप्रैल में 30 प्रतिशत और मई में 30 प्रतिशत कपास बेचना चाहिए। इससे किसानों को कपास का बेहतर दाम प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है। हालांकि ऊपर बताए गए कारक कपास की कीमतों को प्रभावित सकते हैं, ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि सभी कारकों पर विचार करने के बाद अपने स्व:विवेक से कपास की फसल बेचने का निर्णय करना चाहिए क्योंकि बाजार में कपास के भावों में प्रतिदिन उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है, ऐसे में कपास बेचने से पहले किसान स्थानीय मंडी में कपास के भावों की जानकारी अवश्य कर लें। इसके बाद ही कपास विक्रय करें।
वर्तमान बाजार दरों के अनुसार कपास का मंडियों में औसत मूल्य 7091.67 रुपए प्रति क्विंटल है। सबसे कम बाजार कीमत 5680 रुपए प्रति क्विंटल है और सबसे उच्च बाजार कीमत 8300 रुपए प्रति क्विंटल है।
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