गर्मी में गाय-भैंसों को लू से बचाने के लिए करें यह काम, कम नहीं होगी दूध की मात्रा

Share Product प्रकाशित - 13 Apr 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

गर्मी में गाय-भैंसों को लू से बचाने के लिए करें यह काम, कम नहीं होगी दूध की मात्रा

जानें, कैसे करें गर्मियों में गाय-भैंसों की देखभाल

इस दिनों बढ़ते तापमान से गर्मी का प्रकोप बढ़ने लगा है। दोपहर में गर्मी का आलम यह है कि बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। हमारी तरह ही पशुओं को भी बढ़ते तापमान और गर्मी के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है। गर्मी के प्रभाव के कारण पशु की भूख कम हो जाती है और पशु थका सा महसूस करता है जिसका सीधा प्रभाव पशु से प्राप्त उत्पाद पर पड़ता है। इसमें खासकर गाय, भैंस जैसे दुधारू पशु की दूध देने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में पशुपालकों चाहिए कि गर्मी में पशुओं का विशेष ध्यान रखें, उन्हें तेज धूप से बचाएं। इसके लिए पशुपालक कुछ उपाय कर सकते हैं। यदि पशुओं की इस मौसम में उचित तरीके से देखभाल की जाए तो उन्हें स्वस्थ रखा जा सकता है और साथ ही उनकी दूध देने की मात्रा को भी बनाए रखा जा सकता है।

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पशुओं के लिए गर्मी में कैसी होनी चाहिए आवास व्यवस्था

गर्मियों में पशुओं की आवास व्यवस्था का खास ध्यान रखा जाना चाहिए। आवास व्यवस्था करते समय पशुपालक को नीचे दी गई बातों का ध्यान रखना चाहिए। ये प्रमुख बातें इस प्रकार से हैं

  • पशुओं का आवास हवादार हो। इसमें आवास स्थल पर रोशनदान की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि हवा का आवागमन बना रहे।
  • गमियों में आवास स्थल पर सूरज की सीधी धूप नहीं आए। इससे किसानों को लू लगने का खतरा रहता है। ऐसे में जहां से सीधी धूप कमरे में आती है वहां टाट की बोरी आदि लगाकर धूप से बचाव का इंतजाम करें।
  • इसके अलावा पशुघर में पंखा, कूलर की व्यवस्था करें ताकि पशु का गर्मी से बचाव हो सके।
  • पशु आवास की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर रखनी चाहिए ताकि धूप उत्तरी भाग में आए और कम से कम धूप दक्षिणी भाग में पड़े।
  • पशु आवास में प्रत्येक पशु के लिए पर्याप्त स्थान होना चाहिए ताकि वह आसानी से खड़े हो सके और चल फिर सके।
  • आवास स्थल पर फर्श का विशेष महत्व होता है। पशुओं के आवास का फर्श पक्का या कंक्रीट का बनाया जा सकता है लेकिन फर्श खुरदरा होना चाहिए ताकि पशु इसमें फिसले नहीं। इसी के साथ फर्श के दोनों ओर ढलान होनी चाहिए। ताकि फर्श धोते समय पानी आसानी से बाहर जा सके। इसी के साथ फर्श का कुछ हिस्सा कच्चा रखा जाना चाहिए, इस पर रेत डाल देनी चाहिए ताकि गर्मी में पशु इस नरम आरामदायक फर्श पर विश्राम कर सके।
  • समय-समय पर फर्श को कीटाणुनाशक से धोना या छिड़काव अवश्य करना चाहिए।

गर्मी में कैसा होना चाहिए दुधारू पशु का भोजन

गर्मी में पशु के दूध देने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे गर्मी के मौसम में दुधारू पशु खास कर गाय-भैंसों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। गर्मी में इन पशुओं को यदि संतुलित भोजन दिया जाए तो इसके दूध की मात्रा को बनाए रखा जा सकता है।

  • गर्मी में पशुओं को सूखा दाना की मात्रा कम और हरे चारे की मात्रा अधिक खिलाएं।
  • पशु के दाने में मक्का, जौ का उपयोग किया जाता है लेकिन गर्मी में इसका उपयोग कम करें।
  • गर्मी के मौसम में मक्का, लोबिया, चरी, ज्वार को लगाए ताकि पशुओं को हरा चारा लगातार मिल सके।
  • यदि हरे चारे की उपलब्धता कम हो तो पशुओं को अलग से विटामिन देना चाहिए।
  • गर्मी के दिनों में पशुओं को नमक की जरूरत अधिक होती है, ऐसे में प्रत्येक पशु को 25 से 30 ग्राम नमक जरूर खिलाना चाहिए।
  • पशुओं को आहार दिन में तीन से चार बार दिया जाना चाहिए।
  • पशु को चराई के लिए सुबह व शाम को ले जाना चाहिए। तेज धूप में पशु को बाहर निकालना उसके स्वास्थ्य और दूध उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।
  • सामान्य अवस्था में पशु को एक दिन में करीब 35 से 40 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जो गर्मी के दिनों में बढ़कर दुगनी हो जाती है। ऐसे में पशु को भरपूर मात्रा में पानी पिलाना चाहिए।
  • गर्मियों के मौसम में पशु को प्रतिदिन सुबह व शाम दोनों समय नहलाना चाहिए। यदि दोनों समय नहलाना संभव नहीं हो तो कम से कम दिन में एक बार पशु को जरूर नहलाना चाहिए।
  • यदि आपके घर के पास कोई तालाब है तो पशु को एक दो घंटे के लिए उसमें छोड़ देना चाहिए।

गर्मी में पशुओं हो सकती है ये परेशानी

गर्मियों में पशु को लू लगना और कब्ज जैसी समस्या होती है। ऐसे में इससे बचाव के उपाय करने चाहिए। इसके लिए आप नीचे दिए उपाय कर सकते हैं

पशु को लू लगने पर क्या करें

गर्मियों में तापमान अधिक होने से वातावरण में नमी की मात्रा कम हो जाती है। इससे पशु को लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। अधिक मोटे या कमजोर पशु को लू अधिक लगती है। वहीं ज्यादा बाल वाले व गहरे रंग वाले पशु लू की चपेट में अधिक आते हैं ऐसे में पशु को लू से बचाने के लिए नीचे दिए गए उपाय किए जा सकते हैं

  • यदि बाड़े में अधिक संख्या में पशु हो तो लू लगने की समस्या अधिक होती है। ऐसे में बाड़े में स्थान के हिसाब से पशु रखने चाहिए। एक दुधारू पशु गाय-भैंस को कम से कम 15 स्क्वायर फीट की जरूरत होती है। ऐसे में उन्हें इतना स्थान आवश्यक रूप से उपलब्ध होना चाहिए।
  • यदि पशु के रहने के स्थान पर हवा की निकासी की व्यवस्था सही नहीं है तो उसे लू लग सकती है। ऐसे में जहां पशु बांधा जाता है वहां हवा निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  • जिस पशु को लू लग गई हो उसे आराम करने देना चाहिए।
  • पशु को दाना कम और रसदार चारा अधिक खिलाना चाहिए।
  • पशु चिकित्सक से ग्लूकोज चढ़वाना चाहिए।
  • पशु को बर्फ का टुकड़ा चाटने को देना चाहिए।
  • पशु को हवा के सीधे सपर्क से बचाना चाहिए।
  • पशु को हर्बल दवा (रेस्टोबल) की 50 मि.ली. मात्रा दिन में दो बार देनी चाहिए।
  • पशु को हवा के सीधे संर्पक बचाना चाहिए।

पशु के अपच या कब्ज होने पर क्या करें उपचार

  • यदि पशु को अपच या कब्ज की शिकायत हो गई हो तो उसे हर्बल दवा रुचामैक्स की 1.5 ग्राम मात्रा दिन में दो बार दो से तीन दिनों तक देनी चाहिए।
  • पशु को उसकी इच्छानुसार स्वादिष्ट आहार देना चाहिए।
  • अक्सर पशु बीमारी में खाना कम कर देते या छोड़ देते हैं। यदि आपके पशु के साथ ऐसा हो तो पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए और उचित उपचार करवाना चाहिए।
  • पशु को किसी भी दवा को देने से पहले अपने निकट के पशु चिकित्सालय जाकर पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए और उसी के अनुरूप पशु को दवा खिलानी चाहिए।

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