झालावाड़ की महिला किसान ने टिकाऊ खेती से की 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई

Share Product प्रकाशित - 19 Jun 2025 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

झालावाड़ की महिला किसान ने टिकाऊ खेती से की 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई

महिलाओं के लिए मिसाल बनीं सोनिया जैन, टिकाऊ खेती के जरिए समाज और अर्थव्यवस्था दोनों में ला रही बदलाव

Success Story : झालावाड़ जिले के बालदा गांव की रहने वाली सोनिया जैन की कहानी न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है। एक साधारण किसान परिवार से संबंध रखने वाली सोनिया ने अपनी मेहनत, समर्पण और नवाचार के बल पर कृषि क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। आइए जानते हैं, उनकी सफलता की कहानी (success story) जो दूसरी महिला किसानों के लिए एक मिसाल बन रही है।

संघर्ष से सफलता तक का सफर

सोनिया का जन्म एक छोटे से गांव में हुआ, जहां संसाधनों की कमी और पारंपरिक सोच ने महिलाओं के लिए सीमित अवसर पैदा किए थे। लेकिन सोनिया ने कभी भी इन चुनौतियों को अपनी राह का रूकावट नहीं बनने दिया। ग्रामीण विकास में स्नातक और परास्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने खेती को केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक व्यवसाय के रूप में अपनाया।

आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाया

सोनिया ने पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक और टिकाऊ कृषि तकनीकों को अपनाया। "इंटीग्रेटेड न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट" के जरिए मिट्टी की उर्वरता बनाए रखी और "इंटीग्रेटेड पेस्ट और वीड मैनेजमेंट" के जरिए पर्यावरण अनुकूल कीटनाशकों का उपयोग किया। पानी के संरक्षण के लिए ट्यूबवेल, ड्रिप सिंचाई, रेन गन, स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों का उपयोग किया। साथ ही, उन्होंने प्रमाणित बीज, बीज उपचार, समय पर बुआई और गर्मी में जुताई जैसे उपायों से उत्पादन में बढ़ोतरी की।

कई तरह की खेती और फसलें

सोनिया की खेती केवल एक ही फसल तक सीमित नहीं है। उन्होंने अनाज, दालें, तेल बीज, औषधीय पौधे, मसाले, फल, सब्जियां और फूलों की खेती को अपनाया है। उनकी प्रमुख फसलों में गेहूं, बाजरा, ज्वार, जौ, सफेद मक्का, सूरजमुखी और पिग्मबरी गेहूं शामिल हैं। दालों में काले चने, हरे चने, काबुली चना, सोयाबीन और मसूर उगाई जाती है। उन्होंने चावल और क्विनोआ की खेती भी शुरू की है। वहीं औषधीय फसलों में एलोवेरा, तुलसी, अश्वगंधा, सफेद मूसली, गोक्शुर, कालमेघ, चिया और अलसी की खेती की जा रही है। मसालों में धनिया, मेथी, सरसों, लहसुन और मिर्च शामिल हैं। इसके अलावा, टमाटर, प्याज, ककड़ी, फूलगोभी, भिंडी, कद्दू और मूली जैसी सब्जियों और संतरा व पपीता जैसे फलों की भी खेती की जाती है। उन्होंने 4000 वर्ग मीटर का पॉलीहाउस और नेट हाउस भी तैयार किया है जिससे साल भर उत्पादन होता है।

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डेयरी और प्रोसेसिंग यूनिट में रखा कदम

खेती के साथ-साथ सोनिया ने डेयरी उद्योग में भी कदम रखा। उन्होंने "अवनी एग्री एंड डेयरी प्रोडक्ट्स" नाम से स्टार्टअप शुरू किया जो दूध और उससे बने उत्पादों को सीधे बाजार में बेचता है। इससे न केवल किसानों को सही मूल्य मिला, बल्कि बिचौलियों की भूमिका भी खत्म हुई। उन्होंने प्रोसेसिंग यूनिट और वेयरहाउस की स्थापना की, जिससे उपज की गुणवत्ता और ब्रांड वैल्यू बढ़ी। उनके उत्पाद अब "द लेडी फार्मर" ब्रांड के नाम से बाजार में जाने जाते हैं, जो उनकी पहचान बन गया है।

रोजगार और महिला सशक्तिकरण पर जोर

सोनिया का उद्देश्य सिर्फ खुद का विकास नहीं था, बल्कि पूरे गांव और अन्य किसानों को आत्मनिर्भर बनाना था। उन्होंने किसानों के प्रशिक्षण के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और सरकारी योजनाओं से जुड़कर कई कार्यशालाएं आयोजित कीं। उनके मार्गदर्शन से सैकड़ों महिलाओं ने अपने खेतों में उन्नत खेती शुरू की और स्वरोजगार पाया। वह ग्रामीण युवाओं को भी रोजगार देने के लिए लगातार काम कर रही हैं। उन्होंने पारंपरिक खेती और आधुनिक तकनीक के बीच की खाई को पाटने का काम किया है।

सोनिया जैन को मिले सम्मान और पुरस्कार 

सोनिया जैन को उनकी मेहनत और योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें एकीकृत खेती में उत्कृष्टता के लिए उन्हें ICAR द्वारा पद्म सम्मान मिला। टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशंसा पत्र, कृषि टाइम्स और CRI पंप्स द्वारा उन्हें धरतीपुत्र सम्मान दिया गया। वहीं कृषि ATMA योजना के तहत उन्हें जिला स्तरीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसके अलावा उन्हें प्रगतिशील महिला किसान के रूप में ATARI सम्मान दिया है। 

सोनिया बनीं महिला किसानों की प्रेरणा

सोनिया जैन ने यह साबित कर दिया है कि महिलाएं भी खेती के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने खेती को सिर्फ मिट्टी में काम करने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे तकनीक, नवाचार और उद्यमशीलता से जोड़ा। उनका उद्देश्य सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि एक ऐसा मॉडल बनाना था जो हर किसान के लिए लाभदायक हो। उनके प्रयासों से गांवों में रोजगार, महिला सशक्तिकरण और टिकाऊ खेती को नई दिशा मिली है। सोनिया की कहानी आज हर उस महिला के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों में भी बड़ा सोचने की हिम्मत रखती है। उन्होंने दिखाया है कि अगर इच्छा शक्ति हो, तो खेती न सिर्फ जीविका का जरिया है, बल्कि यह एक सशक्त और सम्मानजनक व्यवसाय भी बन सकता है।

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