प्रकाशित - 14 Mar 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
कपास की अच्छी और अधिक पैदावार के लिए किसानों को एचडीपीएस तकनीक को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसा इसलिए कि पिछले कुछ सालों से कपास के उत्पादन में गिरावट आई है। इसे देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने एचडीपीएस तकनीक से खेती करने की सलाह दी है। आईसीएआर वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया कि वह हाई डेंसिटी प्लांटेशन सिस्टम (एचडीपीएस) के माध्यम से खेती करें। इसके लिए न्यूमेटिक प्लांटर मशीन का उपयोग करें। इससे कपास की पैदावार में बढ़ोतरी होगी और इनपुट लागत में भी कमी आएगी। बताया जा रहा है कि इस बार पंजाब, गुजरात सहित सभी प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। खास बात यह है कि इस तकनीक को अपनाने के लिए सरकार की ओर से 16,000 रुपए की सब्सिडी दी जा रही है।
एचडीपीएस एक ऐसी योजना या तकनीक है जिसमें प्रति इकाई क्षेत्र में पौधों को बहुत पास–पास लगाया जाता है ताकि कपास की पैदावार में बढ़ोतरी हो सके। विशेषकर उथली और मध्यम गहरी मिट्टी वाले वर्षा आधारित क्षेत्राें में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। एचडीपीएस तकनीक का प्रमुख उद्देश्य कपास की पैदावार बढ़ाना और सीमित संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग करना है। ताकि इनपुट लागत कम होकर उत्पादन में बढ़ाेतरी हो सके। इस तकनीक में कम अवधि वाली, अर्ध–कॉम्पैक्ट कपास की किस्मों को मिट्टी के प्रकार तथा बढ़ती परिस्थितियों के आधार पर पंक्तियों के बीच 45–90 सेमी की दूरी पर और पंक्ति में पौधों के बीच 10 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है। इस तकनीक के उपयोग से कपास की पैदावार में 30–50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है।
न्यूमेटिक प्लांटर मशीन को वायुचालित रोपण मशीन भी कहा जाता है। यह एक ऐसा कृषि उपकरण है या मशीन है जो हवा के दबाव का उपयोग करके बीजों को सटीक रूप से और समान रूप से बोने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मशीन बीजों को समान गहराई और दूरी पर बोने में सहायता करती है, जिससे पौधों के बीच उचित दूरी सुनिश्चित होती है। यह मशीन वैक्यूम सिद्धांत पर काम करती है जिससे बीज जमीन में एक समान गहराई पर बोए जा सकते हैं। इस मशीन की सहायता से किसान मक्का, सूरजमुखी, सोयाबीन व कपास जैसी फसलों की बुवाई कर सकते हैं।
यदि बात करें न्यूमेटिक प्लांटर पर सब्सिडी की तो इस कृषि यंत्र की खरीद पर सरकार की ओर से 40 से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। इसमें लघु व सीमांत किसान, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग के किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। वहीं अन्य किसानों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है। यह सब्सिडी कृषि यंत्र या मशीन की लागत पर दी जाती है।
महाराष्ट्र के अकोला में 1500 किसान ऐसे हैं जिन्होंने इस तरह तकनीक को खेती में अपनाया। इसी तरह की तकनीक वर्धा और नागपुर में भी किसान अपना रहे हैं। इसके लिए एक प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है जिसमें वर्धा और नागपुर के 550 किसानों ने भाग लिया और उन्हें कपास की उपज बढ़ाने में इससे सहायता मिली है। केंद्र सरकार अकोला में एचडीपीएस तकनीक के माध्यम से 50,000 एकड़ क्षेत्र में कपास की खेती को बढ़ावा देने की योजना बना रही हैं। इसके लिए किसानों को सरकार की ओर से समर्थन दिया जा रहा है। इस काम में आईसीएआर के साथ सीआईटीआई--सीडीआरए मिलकर काम कर रहे हैंं। कपड़ा मंत्रालय ने सीआईटीआई--सीडीआरए के माध्यम से एचडीपीएस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट में कपास किसानों को सरकार की ओर से 16,000 रुपए प्रति एकड़ की दर से बीज पर सब्सिडी दी जा रही है। इसी के साथ ही न्यूमेटिक प्लांटर मशीन से कपास की बुवाई करने पर सरकार की ओर से सहयोग किया जा रहा है।
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