प्रकाशित - 27 Aug 2022
खेती की बढ़ती लागत को कम करने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए किसानों को नई-नई तकनीक और विधियों को इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है ताकि किसान की आय में इजाफा हो सके। सरकार के साथ ही अब किसान भी इस ओर ध्यान देने लगे हैं। किसान भी अब लाभकारी फसलों की खेती करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। यूपी के हरदोई के किसान इन दिनों करेले की खेती करके काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। यहां के किसान करेले की खेती के लिए विशेष प्रकार से खेत को तैयारी करते हैं और उसमें करेले की खेती करके लागत का 10 गुना ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। यदि आप भी इन किसानों की तरह करेले की खेती करते हैं तो आपको भी करेले की खेती से काफी अच्छा मुनाफा हो सकता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को करेले की खेती की इस विशेष तकनीक के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
करेले की खेती को नुकसान से बचाने के लिए जाल विधि से करेले की खेती करने पर काफी अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इस विधि में खेत में जाल बनाकर करेले की बेल को उस जाल पर फैलाया जाता है। इससे करेले की फसल जाल पर बढ़ती है। इस विधि का सबसे अधिक फायदा ये हैं कि इसमें पशुओं द्वारा फसल नष्ट करने का भय भी नहीं रहता है और बेल वाली सब्जी होने के कारण ये तारों के जाल पर अच्छी तरह फैलती है जिससे अधिक पैदावार प्राप्त होती है।
करेले की बेल को जाल पर फैलाने के बाद आप नीचे क्यारियों के बीच की जगह पर धनिया और मैथी की पैदावार ले सकते हैं। इससे करेले के साथ ही आप धनिया और मैथी से अच्छी इनकम प्राप्त कर सकते हैं। जाल विधि के तहत खेत में क्यारियों के किनारे करेले की बीज लगाकर इसकी बेल को बांस/तार आदि के माध्यम से ऊपर उठा दिया जाता है। ऊपर तारों का जाल बांध कर करेले की बेलें फैलाते हुए नीचे हरी छाया का वातावरण बनाकर प्राकृतिक ग्रीन शेड का रूप दे दिया जाता है। वहीं इसके नीचे क्यारियों के बीच बूंद-बूंद सिंचाई से धनिया एवं मैथी की भी खेती की जा सकती है।
यूपी के हरदोई जिले के किसान बताते हैं कि वह अर्का हरित नामक करेले के बीज को करीब 2 सालों से वह बो रहे हैं। इस बीज से निकलने वाले पेड़ से प्रत्येक बेल में करीब 50 फल तक प्राप्त होते हैं। अर्का हरित करेले के बीज से निकलने वाला करेला काफी लंबा और करीब 100 ग्राम तक का होता है। करेला की 1 एकड़ में लगभग 50 क्विंटल तक की अच्छी पैदावार इससे प्राप्त की जा सकती है। खास बात यह है कि इस करेला के फल में ज्यादा बीज नहीं पाए जाते हैं।
ग्रीन हाउस और पॉली हाउस की सुविधा हो तो करेले की खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है। आज करेले की ऐसी किस्में आ गई हैं जिनकी खेती सर्दी, गर्मी और बारिश तीनों सीजन में की जा सकती है। इस तरह करेले की खेती पूरे साल की जा सकती है। करेले की खेती के लिए गर्म वातावरण काफी अच्छा माना जाता है। गर्मी के मौसम की फसल के लिए जनवरी से मार्च तक इसकी बुआई की जा सकती है। मैदानी इलाकों में बारिश के मौसम की फसल के लिए इसकी बुवाई जून से जुलाई के बीच की जाती है और पहाड़ी इलाकों में इसे मार्च से जून तक बोया जाता है। करेले की फसल की अच्छी पैदावार के लिए 35 डिग्री तक का तापमान बेहतर माना जाता है। वहीं बीजों के गुणवत्तापूर्ण जमाव के लिए 30 डिग्री तक का तापमान अच्छा होता है।
करेले की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। करेले की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली भूमि का चयन करना चाहिए। खेत में जल भराव की स्थिति नहीं होनी चाहिए। इससे करेले की फसल को नुकसान पहुंचता है।
खेत की तैयारी करते समय खेत को गोबर की खाद डालने के बाद में कल्टीवेटर से कटवा कर उसकी अच्छी तरीके से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। अब उसमें पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें। बुआई से पहले खेत में नालियां बना लें। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि खेत में जलभराव की स्थिति न बने। मिट्टी को समतल बनाते हुए खेत में दोनों तरफ नाली बनाएं। साथ ही खरपतवार को भी खेत से बाहर निकाल कर जला दें या फिर उसे गहरी मिट्टी में दबा दें।
एक एकड़ में करेला की बुवाई के लिए करीब 600 ग्राम बीज पर्याप्त है। करेले की बीजों की बुवाई 2 से 3 इंच की गहराई पर करनी चाहिए। इस दौरान नाली से नाली की दूरी करीब 2 मीटर और पौधों की दूरी करीब 70 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। बेल निकलने के बाद में इसे सही तरीके से मचान पर चढ़ाएं ताकि बेल को फैलाव के लिए पर्याप्त स्थान मिल सकें।
करेले में साधारण सिंचाई की जरूरत होती है। फल व फूल बनते समय करेले की सिंचाई करनी चाहिए। लेकिन खेत में जल भराव की स्थिति से बचना चाहिए। यानि किसी भी सूरत में खेत में पानी का भराव नहीं हो पाएं, इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
करेले की खेती कर रहे एक किसान ने बताया कि 1 एकड़ खेत में करीब 30,000 रुपए तक की लागत आती है। उचित तकनीक का प्रयोग करके किसान को प्रति एकड़ 3 लाख रुपए तक का मुनाफा कमा सकता है। यानि लागत से करीब 10 गुना ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।
ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों जॉन डियर ट्रैक्टर, स्वराज ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
अगर आप नए ट्रैक्टर, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें
Social Share ✖