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1053.59 लाख हेक्टेयर पहुंची खरीफ की बुआई, पिछले साल की तुलना में 16% ज्यादा

प्रकाशित - 30 Aug 2023

धान व मोटे अनाज का रकबा बढ़ा, तिलहन और दलहन के रकबे में आई कमी

देश में धान और मोटे अनाजों की बुआई में वृद्धि देखने को मिली है। धान एवं मोटे अनाजों का रकबा बढ़ा है। देश में लगातार मिलेट्स के उत्पादन को सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा था। यही वजह है कि धान और मिलेट्स अनाजों की बुआई में वृद्धि देखने को मिली है। बता दें कि खरीफ की बुआई 1053.59 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है। जबकि पिछले साल खरीफ की बुआई 1049.96 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। इस तरह खरीफ की बुआई में 0.4% का उछाल देखा जा रहा है। 

ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में हम खरीफ की बुआई में हुई बढ़ोतरी का सभी फसलों पर क्या प्रभाव पड़े, किन फसलों की बुआई ज्यादा हुई, किन फसलों की बुआई पिछले साल के मुकाबले कम हुई और फसल मांग और रेट के ज्यादा या कम रहने के पूर्वानुमान की जानकारी दे रहे हैं, ताकि यह पता चल सके कि किन फसलों की खेती करने वाले किसान ज्यादा फायदे में रह सकते हैं।

किन फसलों का बढ़ा रकबा

देश में धान और मोटे अनाजों के रकबा में बढ़ोतरी देखने को मिली है। धान की बुआई पिछले साल की तुलना में 16 लाख हेक्टेयर ज्यादा हुई है। पिछले साल जहां धान की फसल की बुआई 367.83 लाख हेक्टेयर में हो पाई थी, वहीं इस साल धान का रकबा 16 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 384.05 लाख हेक्टेयर हो गया। धान की बुआई ज्यादा होने से देश में चावल की पैदावार में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

मोटे अनाज की बुआई का रकबा भी 2 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। पिछले साल मोटे अनाज की बुआई 176.31 लाख हेक्टेयर रही, लेकिन इस साल देश में मोटे अनाज की बुआई 178.33 लाख हेक्टेयर रही। पिछले साल के मुकाबले मोटे अनाज की बुआई में आई तेजी का प्रभाव मक्का, ज्वार, बाजरा आदि फसलों पर देखने को मिला। मक्का की बुआई इस साल 82.09 लाख हेक्टेयर में हुई जबकि पिछले साल मक्का की बुआई 79.99 लाख हेक्टेयर में हुई थी। वहीं ज्वार भी इस साल ज्यादा बोई गई। बाजरा की बात करें तो इस साल 70 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हुई थी। जबकि पिछले साल बाजरा 69.32 लाख हेक्टेयर में बोया गया था।

अन्य फसलों की बात करें तो गन्ना की बुआई बढ़ी है, गन्ने का रकबा इस साल 56.06 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल गन्ने का रकबा 55.59 लाख हेक्टेयर था। 

किन फसलों का कम हुआ रकबा

कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक दलहन और तिलहन के रकबे में कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार दलहन फसलों की बुआई में 10 लाख हेक्टेयर से ज्यादा की कमी आई है। अभी तक 117.44 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुआई की हुई है। अरहर की बुआई की बात करें तो इस साल लगभग 2 लाख हेक्टेयर कम अरहर बोए गए। इस साल अरहर की बोनी 42.11 लाख हेक्टेयर में हुई जबकि पिछले साल अरहर की बुआई 44.38 लाख हेक्टेयर में हुई थी। उड़द की बुआई इस साल 31.10 लाख हेक्टेयर में हुई। जबकि पिछले साल 36.08 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हुई थी। मूंग की बुआई इस साल 30.64 लाख हेक्टेयर में हुई जबकि पिछले साल मूंग की बुआई 33.34 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

तिलहन फसलों की बात करें तो तिलहन के रकबे में भी कमी आई है। अब तक कुल 188.58 लाख हेक्टेयर में तिलहन की बुआई हुई जबकि पिछले साल 190.38 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलों की बुआई हुई थी। इस साल मूंगफली की बुआई 43.27 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल 44.75 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की बुआई हुई थी। सोयाबीन की बुआई एक अपवाद रही है, जो तिलहन फसलों में सबसे ज्यादा बोई गई और पिछले साल के मुकाबले भी ज्यादा बोई गई। इस साल सोयाबीन की बुआई 124.71 लाख हेक्टेयर में हुई जबकि पिछले साल सोयाबीन की बुआई 123.60 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

अन्य फसलों की बात करें तो कपास का रकबा कम हुआ है, इस साल 122.56 लाख हेक्टेयर कपास बोई गई जबकि पिछले साल कपास की बुआई 124.82 लाख हेक्टेयर थी।

किसानों के फायदे की बात

डिमांड और सप्लाई के नजरिए से देखें तो जिन फसलों का रकबा बढ़ा है जैसे धान, मक्का, ज्वार, बाजरा आदि मोटे अनाज के रेट में कमी दिख सकती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार का भी फसलों के रेट पर बड़ा प्रभाव देखने को मिलता है। वर्तमान में मिलेट्स यानी मोटे अनाजों की मार्केट डिमांड काफी बढ़ी है। रूस यूक्रेन युद्ध के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में मिलेट्स की शॉर्टेज है यही वजह है कि मोटे अनाजों के रेट में भी वृद्धि देखने को मिली है। अगर वर्तमान जैसी स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो भारत के अनाज उत्पादक किसानों को इससे काफी फायदा होने वाला है। 

वहीं जिन फसलों की कम बुआई हुई है, वो तिलहन और दलहन फसल है। बीते दो सालों में सरसों के तेल, और अन्य खाद्य तेलों के दाम में काफी वृद्धि देखने को मिली है। ऐसे में अगर बुआई कम हुई और उत्पादन भी कम होता है तो खाद्य तेलों के दाम और ज्यादा बढ़ेंगे। किसानों को इससे सीधा-सीधा फायदा हो सकता है। दलहन फसलों का भी किसानों को अच्छा रेट मिल सकता है।

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