प्रकाशित - 09 Jun 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
Subsidy on Farm Machinery Bank: केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें भी छोटे और सीमांत किसानों को तकनीक से जोड़ने और खेती को आधुनिक बनाने की दिशा में लगातार कदम उठा रही है। इसी कड़ी में बिहार सरकार ने इस साल 38 नए फार्म मशीनरी बैंक (Farm Machinery Bank) खोलने का निर्णय लिया है। इन मशीनरी बैंकों की स्थापना पर 10 लाख रुपए तक की लागत निर्धारित की गई है, जिसमें से 80 प्रतिशत यानी अधिकतम 8 लाख रुपए तक की सब्सिडी (Subsidy) राज्य सरकार की ओर से दी जा रही है।
यह योजना उन किसानों और किसान समूहों के लिए किसी बड़ी राहत से कम नहीं है जो महंगे कृषि यंत्र (Agricultural Machinery) खरीदने में सक्षम नहीं हैं। अब उन्हें खेत की जुताई से लेकर थ्रेसिंग तक सभी जरूरी मशीनें किराये पर आसानी से उपलब्ध हो सकेंगी। इस योजना का उद्देश्य किसानों को सहजता से कृषि यंत्र उपलब्ध कराना है ताकि वे आधुनिक कृषि यंत्र (Modern Agricultural Machinery) का खेती में उपयोग कर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सके।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि अब तक राज्य में 569 फार्म मशीनरी बैंक (Farm Machinery Bank) की स्थापना की जा चुकी है। ये बैंक किसानों को खेती के लिए जरूरी आधुनिक उपकरण उपलब्ध करवा रहे हैं, जिससे उनकी खेती न केवल आसान हो रही है, बल्कि उत्पादन और उत्पादकता में भी बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत एक मशीनरी बैंक में कम से कम एक ट्रैक्टर चालित या स्वचालित कृषि यंत्र का होना अनिवार्य है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को समय पर और सस्ती दर पर यंत्र उपलब्ध हो सकें।
इस योजना का लाभ सिर्फ व्यक्तिगत किसानों को नहीं, बल्कि कृषि से जुड़े समूह और संगठन भी उठा सकते हैं, योजना के तहत जिन किसान समूहों को शामिल गया है उनमें जीविका समूह, ग्राम संगठन, क्लस्टर फेडरेशन, फार्मर इंटरेस्ट ग्रुप (FIG), नाबार्ड/बैंक से संबद्ध किसान क्लब, किसान उत्पादक संगठन (FPO), किसान उत्पादक कंपनियां (FPC), स्वयं सहायता समूह (SHG), पैक्स (PACS) शामिल किए गए हैं।
फार्म मशीनरी बैंक (Farm Machinery Bank) के माध्यम से किसान अपनी आवश्यकता अनुसार यंत्रों को किराये पर ले सकेंगे। इसके तहत जुताई, बुआई, रोपाई, कटाई, थ्रेसिंग जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए ट्रैक्टर (Tractor), पावर टिलर (Power Tiller), सीड ड्रिल (Seed Drill), रीपर (Reaper), थ्रेशर (Thresher) और अन्य यंत्रों को इन बैंकों से लिया जा सकेगा। इससे किसान समय पर कृषि कार्य कर पाएंगे, जिससे उनकी लागत घटेगी और पैदावार में सुधार होगा। कृषि मंत्री ने बताया कि स्थानीय फसल चक्र (Crop Rotation) और किसानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कृषि यंत्रों का चयन किया जाएगा ताकि किसानों को सहायता मिल सके।
बिहार जैसे राज्य में जहां बड़ी संख्या में किसान छोटे और सीमांत वर्ग के हैं, वहां कृषि यंत्रों की खरीदी सभी के लिए संभव नहीं है। ऐसे में फार्म मशीनरी बैंक उन्हें सस्ती दरों पर ये सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। इससे खेती का मशीनीकरण बढ़ेगा, मानव श्रम पर निर्भरता घटेगी, खेती में समय और लागत की बचत होगी, फसल की समय पर बुवाई और कटाई संभव होगी, कृषि कार्यों की उत्पादकता बढ़ेगी।
यह योजना बिहार राज्य सरकार के कृषि रोडमैप का हिस्सा है, जिसके तहत कृषि के हर क्षेत्र को तकनीक, संसाधन और सहूलियत से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। सरकार का उद्देश्य है कि राज्य का हर किसान आधुनिक यंत्रों और तकनीकों का इस्तेमाल कर सके, जिससे वह आत्मनिर्भर बन सके और उसकी आय में लगातार बढ़ोतरी हो सके। सरकार की यह पहल न केवल खेती को आसान और लाभकारी बनाएगी, बल्कि कृषि यंत्रों की सुलभता और साझा उपयोग की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी। 80% तक की सब्सिडी (Subsidy) और मशीनरी बैंकों के माध्यम से अब राज्य के किसान आधुनिक खेती से जुड़ सकेंगे और फसल उत्पादन के साथ ही अपनी आय में भी इजाफा कर सकेंगे।
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