प्रकाशित - 30 Apr 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
Impact of Tariff on Automobile Sector : आईसीआरए (ICRA) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा भारतीय ऑटो कंपोनेंट्स पर नए व्यापार शुल्क लगाने से इस उद्योग की राजस्व वृद्धि दर में मंदी आने की संभावना है। वित्त वर्ष 2026 में उद्योग की अनुमानित वृद्धि दर 6-8 प्रतिशत रह सकती है, जो इससे पहले अनुमानित 8-10 प्रतिशत से कम है। इसका मुख्य कारण अमेरिका को होने वाले निर्यात में संभावित गिरावट है, जिस पर ICRA ने मध्यम से लेकर ऊंचे एकल अंकों में घटने की आशंका जताई गई है।
इस विश्लेषण में आईसीआरए (ICRA) ने 46 प्रमुख ऑटो कंपोनेंट कंपनियों को शामिल किया है, जिनका कुल राजस्व वित्त वर्ष 2024 में 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा और जो भारतीय उद्योग के कुल हिस्से का लगभग 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करती हैं। अमेरिका की ओर से 25 प्रतिशत शुल्क 3 मई, 2025 से इंजन और ट्रांसमिशन जैसे अहम पुर्जों पर और 12 मार्च, 2025 से स्टील और एल्युमीनियम पर लगाया जाएगा। इससे उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला लागत में अनुमानित 9,000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी होगी।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय निर्यातक इस लागत वृद्धि का 30-50 प्रतिशत तक वहन कर सकते हैं, जिससे उनके मुनाफे पर 2,700 से 4,500 करोड़ रुपए यानी उद्योग के कुल परिचालन लाभ का 3-6 प्रतिशत और निर्यात आधारित आय का 10-15 प्रतिशत प्रभाव पड़ेगा। इसके चलते पूरे ऑटो कंपोनेंट उद्योग का परिचालन मार्जिन घटकर 10.5-11.5 प्रतिशत रह सकता है, जबकि निर्यातकों के लिए यह गिरावट 150-250 बेसिस पॉइंट्स तक हो सकती है। फिर भी, घरेलू मांग मजबूत बनी हुई है, जो कुल राजस्व का 70 प्रतिशत से अधिक योगदान देती है। अमेरिका ने भले ही 2020-24 के दौरान 15 प्रतिशत की निर्यात बढ़ोतरी देखी हो, पर वित्त वर्ष 2024 में उसका कुल योगदान केवल 8 प्रतिशत था, जो संभावित नुकसान को सीमित करता है।
आईसीआरए (ICRA) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शमशेर दीवान ने बताया कि लागतों का बोझ ग्राहकों पर डालना कंपनियों की बाजार स्थिति और उनके उत्पादों की जटिलता पर निर्भर करेगा। जिन कंपनियों की अमेरिका में विनिर्माण इकाइयां हैं, वे इस झटके से अपेक्षाकृत सुरक्षित रहेंगी। हालांकि, बढ़ती चीनी प्रतिस्पर्धा और अमेरिकी ऑटो बिक्री में संभावित गिरावट, निर्यातकों के लिए जोखिम बढ़ा सकती है। बता दें कि अमेरिकी निर्यात पर भारत की ओर से लगाए गए 26 प्रतिशत टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित किया गया है, लेकिन 10 प्रतिशत शुल्क अब भी लागू है। यूएसएमसीए के तहत छूट प्राप्त उत्पादों पर ये शुल्क नहीं लगेंगे। अमेरिकी ग्राहकों के लिए उच्च स्विचिंग लागत और लंबे अनुमोदन चक्रों के चलते निकट भविष्य में ग्राहक खोने का जोखिम कम है। इधर कुछ भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी बाजार से बढ़ती पूछताछ की जानकारी दी है, जिससे दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता की उम्मीद बनी हुई है। हालांकि, व्यापारिक वार्ताएं और अमेरिका की अस्थिर टैरिफ नीतियां उद्योग के लिए अनिश्चितता को बढ़ा रही हैं।
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