Published Apr 28, 2022
इस विधि में खेत की जुताई किए बिना आलू की फसल को लगाया जाता है। इससे जुताई और मजदूरी के खर्च की बचत होती है और उपज में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है।
आलू के कंदों को 20 सेंटीमीटर की दूरी रखते हुए खेत में बिछा दिया जाता है। इसके ऊपर गोबर की खाद को थोड़ा एनपीके मिलाकर छिडक़ाव किया जाता है।
इस पर कम से कम 6 से 8 इंच मोटी पुआल बिछाई जाती है। पुआल के ऊपर पानी का फुहारा डाल दें ताकि नमी बनी रहे। इससे आलू नीचे मिट्टी में नहीं जाकर धरती की सतह पर ही पैदा होता है।
इस विधि के इस्तेमाल से 10 स्क्वायर मीटर में करीब आलू का उत्पादन होता है।
बिहार राज्य के 5 जिलों में