Published Jan 31, 2024
यह रोग पानी भराव वाले स्थानों पर अधिक पनपता है। इस रोग में तने के चारो ओर कवक बन जाता है। पौधा मुरझाकर सूखने लगता है और ग्रोथ रुक जाती है।
इस रोग पर नियंत्रण के लिए सरसों की बुवाई के 50 से 60 दिन बाद कार्बेन्डाजिम 0.1 फीसदी 1 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।
सरसों की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप होने पर पत्तियों पर हल्के काले, गोल धब्बे बनते हैं। इन धब्बों में गोल झल्ले नजर आते हैं।
झुलसा रोग में सल्फर युक्त रसायन फायदेमंद माना जाता है। इसका घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए। हर 15 दिन में इस छिड़काव को दोहराना चाहिए।
इस रोग में पौधों की भोजन ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है। सफेद रोली पत्तों के साथ तने का रस चूस लेती है जिससे पौधा नहीं पनपता है। बचाव के लिए प्रति एकड़ 25 किलो सल्फर पाउडर का छिड़काव करना चाहिए।
तुलासिता रोग में पत्तियों के निचले स्तर पर बैगनी-भूरे रंग के धब्बे बनते हैं। रोग बढ़ने पर फूल कलियां नष्ट हो जाती है। फसल को रोग से बचाने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को पानी में मिलाकर छिड़काव करें।