Published Aug 28, 2024
आयुर्वेद के अनुसार कंटोला एक ताकतवर औषधि है। इसमें मीट की तुलना में 50 गुना ज्यादा प्रोटिन और ताकत है। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट शरीर को अंदर से साफ और स्वस्थ रखते हैं। यह सब्जी न्यूट्रिशन की कमी को भी पूरा करती है।
कंटोला को मीठा करेला, बाढ़ करेला, ककोड़ा, कटोला, परोपा या खेख्सा के नाम से भी जाना जाता है।
कंटोला या ककोड़ा का सेवन ब्लड शुगर, त्वचा व आंख रोग में, कैंसर, गुर्दे की पथरी, बवासीर और खासी के मरीजों को फायदा पहुंचाता है।
कंटोला (Kantola) की फसल जायद अथवा खरीफ मौसम में लगाई जाती है। ग्रीष्मकालीन उपज के लिए मैदानी भागों में जनवरी-फरवरी में तथा खरीफ वाली फसल जुलाई-अगस्त में लगाई जाती है।
एक एकड़ की जमीन में कंटोला की बुवाई के लिए 1 से 2 किलो बीज की आवश्यकता होती है।
ककोड़ा की खेती में प्रति एकड़ 5 टन तक उत्पादन लिया जा सकता है। फल पकने पर 2 से 3 दिन के अंतराल में तुड़ाई करनी चाहिए। एक बेल से 650 ग्राम ककोड़ा प्राप्त किया जा सकता है।