Published Jan 10, 2023
भारत में शकरकंद की तीन प्रजातियाें जिसके कंद लाल, पीले और सफ़ेद रंग के होते हैं उनकी खेती की जाती है।
शकरकंद की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा उपयुक्त रहती है।
भारत में इसकी खेती तीनों मौसम में की जाती है। लेकिन इसकी व्यावसायिक दृष्टि से इसकी खेती गर्मियों और बारिश के समय करना ज्यादा अच्छा रहता है।
खेत की मेड़ पर शकरकंद की रोपाई करते समय एक मेड से दूसरी मेड़ के बीच की दूरी दो से तीन फ़ीट रखनी चाहिए।
शकरकंद की उन्नत किस्मों को तैयार होने में करीब 110 से 120 दिन तक का समय लग जाता है।
जब इसके पौधों पर लगी पत्तियों का रंग पीला दिखाई देने लग जाये तब ही उसकी खुदाई करनी चाहिए।