Published Sep 24, 2022
इसमें पीत चितेरी, पर्ण व्यांकुचन, चूर्णी या फफूंदी, रूक्ष रोग आदि होते हैं।
यह मूंग की फसल में होता है। इसमें पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता है और वे झडऩे लगती हैं। इससे फलियां नहीं लगती।
इसमें रोग बढऩे के साथ सफेद धब्बे पत्तियों के साथ तना, शाखाओं और फलियों पर फैलते जाते हैं। इससे पैदावार कम होती है।
यह रोग बादल अधिक होने पर पनपता है। इसमें फसल की गुणवत्ता कम हो जाती है। ये रूक्ष रोग भी कहलाता है।
कीट प्रबंधन के लिए खेत के आसपास मेड़, नालियां आदि में खरपतवार को बिल्कुल नहीं पनपने दें। वहीं ट्राइको पावर प्लस 6 से 10 ग्राम प्रति केजी की दर से बीज उपचार करें।
यह मूंग की फसल में लगने वाला रोग है जिसे जिसे पर्ण व्यांकुचन कहते हैं। इसमें पत्तियों में झुर्रिया आ जाती हैं।