मल्चिंग विधि में मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिए जैविक व कृत्रिम पदार्थों से खेत की मिट्टी को ढका जाता है और कम खर्च में सुरक्षित तरीके से ज्यादा उत्पादन प्राप्त किय जाता है।
Published Aug 20, 2024
यह खरपतवार की वृद्धि को रोकने, मिट्टी के तापमान को मध्यम करने और मिट्टी की फिटनेस को बढ़ाने में भी मदद करती है।
मल्चिंग विधि से विभिन्न प्रकार के अनाज, बागान तथा बागवानी फसलों (फल, फूल, सब्जियां, नर्सरी तथा वन) का सफलतापूर्वक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
मल्चिंग अपने दो रूपों से किसानों को फायदा पहुंचाती है। किसान अपने खेत में जैविक व अकार्बनिक मल्चिंग विधि का उपयोग करके खेती कर सकते हैं।
जैविक मल्चिंग में खाद, सूखी पत्तियां, घास और पुआल आदि सामग्री शामिल हैं। अकार्बनिक मल्चिंग सामग्री में विभिन्न प्रकार की प्लास्टिक मल्चिंग शीट शामिल है।
मल्चिंग विधि में जब सिंचाई की बात आती है तो ड्रिप सिंचाई को फसल को पानी देने का सबसे उपयुक्त तरीका माना जाता है।
मल्चिंग पर सामग्री की मोटाई का बहुत कम प्रभाव पड़ता है। सब्जी की फसल में मल्चिंग के लिए कृत्रिम मल्च फिल्म की मोटाई 15-30 माइक्रोन के बीच होनी चाहिए।