Published - 11 Sep 2020 by Tractor Junction
इस बार मानसून अच्छा रहने से खेती का रकबा बढ़ा और अधिक क्षेत्र में खरीफ की बुवाई हुई। इससे उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। जानकारी के अनुसार इस बार पिछले साल के मुकाबले करीब 7 फीसदी बारिश अधिक हुई है जिसका फायदा किसानों को मिला और खरीफ की बुवाई बढ़ी। हालांकि कई जगह पर बारिश की अधिकता खेती पर जरूर भारी भी पड़ी जिससे असम, बिहार, पश्चिम बंगाल में बाढ़ के हालत बने जिससे चावल के खेतों में पानी भर गया और फसलें बह गई। वहीं अगस्त की बारिश फसलों के लिए वरदान साबित हुई है। यदि कुल मिलाकर देखा जाए तो इस साल बारिश ने किसानों का भरपूर साथ दिया है। मौसम विभाग के अनुसार इस साल पूरे देश में अब तक 7 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। जिससे किसानों की फसलों को काफी फायदा हुआ है। देश में जहां इस वर्ष खरीफ फसलों की बुआई के रकबे में लगभग 8 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है जिससे अधिक उत्पादन का अनुमान है।
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मौसम विभाग द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के महानिदेशक डॉ. महापात्रा ने बताया कि इस सीजन में मानसून की बारिश की विविधता इस वर्ष अधिक थी, जून में अधिक बारिश, जुलाई में कमी और अगस्त में फिर से अत्यधिक बारिश हुई। उन्होंने कहा कि सक्रिय मैडेन-जूलियन दोलन (एमजेओ), उष्णकटिबंधीय वायुमंडल में इंट्रासेन्सनल ( 30 - से 90 - दिवसीय) परिवर्तनशीलता का सबसे बड़ा कारण है।
सम्मेलन में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम राजीवन ने कहा कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून की व्यापकता और प्रसार ने किसानों की मदद की और उत्पादन बहुत अच्छा होना चाहिए। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मदद करेगा, हालांकि इस समय सटीक मात्रा का आंकलन नहीं किया जा सकता है। हम यह मूल्यांकन नहीं कर सकते कि यह अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगा। पूरे देश में अब तक 7 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है।
डॉ. एम. महापात्रा ने बताया कि आईएमडी ने अपने साप्ताहिक मौसम अपडेट में उल्लेख किया है कि राजस्थान के पश्चिमी भागों से मानसून की वापसी 18 सितंबर को समाप्त होने वाले सप्ताह से शुरू हो सकती है। लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि उसी समय बंगाल के पश्चिम मध्य में कम दबाव वाला क्षेत्र विकसित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि मानसून की वापसी के समय यह शुरू हो सकता है, लेकिन हम अभी भी अध्ययन कर रहे हैं कि यह पूरी तरह कब तक वापस लौट सकता है। हम केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में 17 सितंबर और उसके बाद सामान्य बारिश की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने आगे कहा कि अगस्त की तुलना में सितंबर में बारिश की गतिविधि में गिरावट आई है और अब सामान्य से कम बारिश हुई है, अगले कुछ दिनों में फिर से बारिश होने की संभावना है क्योंकि ताजा मौसम प्रणाली विकसित हो रही है। भारी बारिश की भविष्यवाणी करने में आईएमडी की सटीकता 80 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
इसी दौरान डॉ. राजीव और डॉ. महापात्रा ने बताया कि आईएमडी ने सुपर साइक्लोन अम्फान को लेकर पहले ही बहुत सटीक भविष्यवाणी की थी और मानव जीवन तथा जानमाल के नुकसान को बचाने में मदद की। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि पूर्वी और पश्चिमी तट चक्रवात अलग-अलग मौसम के पैटर्न हैं और कभी-कभी इन्हें पूर्वानुमान से अलग ट्रैक करना होता है। हालांकि चक्रवात निसार्ग को भी अच्छी तरह से ट्रैक किया गया था और कम दबाव वाले क्षेत्र से उसके शिखर तक पहुंचने की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन इसके जमीन पर टकराने के बारे में कुछ अंतर था।
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