Published - 26 May 2020 by Tractor Junction
किसान भाइयों का ट्रैक्टर जंक्शन में स्वागत है। आज हम लेकर आए है लाख की खेती करने वाले किसानों के लिए एक खुशी की खबर। जी हां, आपने सही सुना अब छत्तीसगढ़ सरकार लाख की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए इसे कृषि का दर्जा देने जा रही है। यही नहीं इसके लिए अब छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के किसानों को अन्य फसलों की तरह लाख की खेती के लिए ऋण उपलब्ध कराएगी। सरकार का मानना है कि इससे लाख की खेती हो प्रोत्साहन मिलेगा। समाचार पत्र व मिडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लाख की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक बड़ा फैसला लेते हुए लाख की खेती को कृषि का दर्जा दिए जाने पर सहमति जताई है। साथ ही मुख्यमंत्री ने कृषि, वन और सहकारिता विभाग को समन्वय कर लाख और इसके जैसी अन्य लाभकारी उपज को कृषि में शामिल करने का प्रस्ताव मंत्रीपरिषद की अगली बैठक में रखने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में वन विभाग ने मुख्यमंत्री को प्रस्ताव दिया था जिसे उपयुक्त मानते हुए उन्होंने इस पर अपनी सहमति दे दी।
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छत्तीसगढ़ राज्य में किसानों द्वारा कुसुम, पलाश और बेर के वृक्षों में परंपरागत रूप से लाख की खेती की जाती है। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण यहां के किसान आधुनिक तरीके से लाख की खेती नहीं कर पाते जिससे उन्हें जितना मुनाफा होना चाहिए उतना उन्हें नहीं हो पाता। अब लाख की खेती को कृषि में शामिल करने के बाद किसानों को सहकारी समितियों से ऋण उपलब्ध हो सकेगा जिससे वे इसकी खेती आधुनिक तरीके से करके अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे।
लाख एक बहुपयोगी राल हैं, जो एक सूक्ष्म कीट का दैहिक स्त्राव है। लाख के उत्पादन के लिए पोषक वृक्षों जैसे- कुसुम, पलाश व बेर अथवा झाड़ीदार पौधे जैसे भालिया की आवश्यकता पड़ती है।
देश में पैदा होने वाली लाख का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा झारखंड राज्य से प्राप्त होता है। छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल प्रमुख लाख उत्पादक राज्य है। इसके अलावा महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्यप्रदेश व असम के कुछ क्षेत्रों में भी लाख की खेती की जाती है।
लाख की बनी वस्तुओं का सबसे अधिक निर्माण राजस्थान में होता है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश व गुजरात में भी लाख का समान बनाया जाता है।
बाजार में इसकी मांग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका उपयोग कई तरह के उद्योगों में होता है। वहीं इससे बनने वाले सामान जैसे - लाख की चूडिय़ां, कड़े, विभिन्न प्रकार के सजावटी पेन, गले का हार, झुमके व अन्य प्रकार के गहने की मांग बारहों महीने बाजार में रहती है। जयपुर की बनी लाख की चूडिय़ां और कड़े दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इसी के साथ लाख का प्रयोग कुछ विशेष प्रकार की दवाइयां बनाने में भी होता है। रंग तथा वार्निश में इसका इस्तेमाल किया जाता है। चीन में चमड़ा रंगने के लिए बड़े पैमाने पर लाख का प्रयोग होता है। इसके अलावा लाख से चौरी बनाना, मोहर लगाने की लाख यानि सीलिंग वैक्स तथा लकड़ी व मिट्टी के बर्तनों पर लेप के लिए वार्निश बनाने के काम में लिया जाता है।
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