अधिक ठंड में फसलों को नुकसान, जानें, पाले से फसलों को कैसे बचाएं

Share Product Published - 21 Jan 2021 by Tractor Junction

अधिक ठंड में फसलों को नुकसान, जानें, पाले से फसलों को कैसे बचाएं

जानें, कौन-कौनसी फसलों में है नुकसान की आशंका और क्या करें उपाय?

अधिक ठंड व पाले कई फसलों को नुकसान की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग ने यूपी में कई जगहों पर कोल्ड डे की चेतावनी भी दी है। इसे देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी फसल को अत्यधिक ठंड व पाले से बचाव करें। कृषि जानकारों के अनुसार पाला से कई फसलों को नुकसान होगा जबकि अत्यधिक ठंड गेहूं के लिए लाभदायक होगी। दलहन (मूंग, मसूर), आलू, बैगन और टमाटर को पाला से नुकसान होने की संभावना है। पाला लगने से आलू के पौधों को गल जाने की संभावना रहती है। वहीं चना, मसूर फसल बर्बाद हो सकता है लेकिन गेहूं फसल को ठंडा तापमान की जरूरत होती है। इसलिए इस मौसम से गेहूं को फायदा पहुंचेगा।

 

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कैसे फसलों को प्रभावित करता है पाला

सर्दी के दिनों में जब दिन का तापमान भी कम रहे और रात का तापमान एकदम से उतरने लगे, साथ ही कोहरा भी छाया रहे तो इस तरह की मिश्रित अति भीषण ठंड का असर नाजुक पौधों पर जल्द होता है। तुषार में पौधा एकदम से ठंडा होकर फ्रिज की जमी बर्फ की तरह हो जाता है। जिसमें तना समेत पत्तियां भी सूख जाती हैं।

 


कब बनते हैं पाले के हालत

पाले तब बनते हैं जब तापमान एकदम से गिर जाता है। दिन का तापमान जहां 28 से उतरकर दो दिन से 22 डिग्री पर आ जाए। वहीं रात का तापमान भी 14 से 12 और अब तो 10 तक उतर जाए। साथ ही कोहरा भी छाया रहे। ऐसे हालातों में फसलों को बहुत नुकसान है। ऐसे में सरसों व गेहूं समेत चना-मटर को बचाने की जरूरत है। इसलिए किसान इस ओर ध्यान देना चाहिए।


किस समय सबसे अधिक होता है पाले का असर

कृषि जानकारों के अनुसार सर्दियों के मौसम में रात में एक से चार बजे तक तापमान काफी कम होने की स्थिति में फसलें पाला से प्रभावित हो सकती हैं। इस समय हल्की सिंचाई कर फसलों को पाले से बचाया जा सकता है।

 

पाले से बचाव के लिए क्या करें किसान

  • कृषि जानकारों के अनुसार पाला से बचाव के लिए किसानों को हल्की सिंचाई करनी चाहिए। जरूरत पडऩे पर बीस दिनों बाद हल्की सिंचाई कर सकते हैं। वहीं पाला से बचाव के लिए यथासंभव खेतों के किनारे (मेड़) आदि पर धुआं करें। इससे पाला का असर काफी कम पड़ेगा।
  • पौधे का पत्ता यदि झड़ रहा हो तो शुरुआत में ही दवा का छिडक़ाव करें। प्रति लीटर दो ग्राम मयंकोजेब नामक का छिडक़ाव करने से पाला का असर कम हो जाएगा। इससे फसल को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।

 

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इन फसलों को नुकसान से बचाने के लिए ये करें उपाय


सरसों

  • यदि सरसों की फसल फ्लॉवरिंग स्टेज पर है। और इस स्थिति में पाला पड़ता है तो पौधे मृत प्राय: हो जाएंगे। इसके लिए जरूरी है कि सरसों के खेतों में पानी की सिंचाई कर दें। जिससे पाला पडऩे के आसार मिट जाएंगे।


गेहूं

  • यदि गेहूं की फसल एक-एक फीट तक की हो गई हो तो विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। क्योंकि इस समय पौधे कोमल होते हैं, जो रात की तेज ठंड सहन नहीं कर पाएंगे। उसके लिए खेत के पास धुआं करें।


गेहूं की फसल को दीमक से बचाने के लिए ये करें उपाय

  • खेत में कभी कच्चे गोबर का प्रयोग न करें। कच्चे गोबर में दीमक के पनपने का खतरा बढ़ जाता है।
  • खेत में फसलों के अवशेष इकट्ठा न होने दें।
  • प्रति एकड़ जमीन में 4 क्विंटल नीम की खली का प्रयोग करने से दीमक का प्रकोप कम होता है।
  • बुवाई से पहले प्रति एकड़ भूमि में 1 किलोग्राम बिवेरिया बेसियाना समान रूप से मिलाएं।
  • यदि खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप दिखे पर प्रति एकड़ भूमि में 1 लीटर क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत ई.सी का छिडक़ाव करें।

 

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चना

  • इस समय चना की फसल अभी बढ़ रही है। जिस पर पाला पडऩे से घेंटी में दाना नहीं बनेगा। इस समस्या से बचने के लिएचना के खेतों के पास धुआं करें, जिससे पाले के आसार नहीं रहेंगे। जहां मटर क्यारी बनाकर मेढऩुमा ऊंचाई पर बोई हों, उनकी नालियों में हल्का पानी लगाएं। इससे पाला नहीं पड़ेगा।


यदि चने में हो इल्ली का प्रकोप तो यह करें रासायनिक उपाय

  • कृषि अधिकारियों के अनुसार चने में इल्ली का प्रकोप हो रहा हो तो किसान को क्यूनॉलफास 25 ईसी 1000 से 1250 मिली प्रति हैक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें। क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी 1250 से 1500 मिली प्रति हैक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें। ट्राज्यजोफास 40 ईसी 1000 मिली प्रति हैक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें। कीटनाशक दवाओं का उपयोग सुझाई गई मात्रानुसार ही करें। पुरानी एवं मियाद समाप्ति वाली दवा का उपयोग न करें। कीटनाशी दवा विश्वसनीय दुकानदार से ही खरीदें। वहीं जैविक नियंत्रण के लिए किसानों को नीम तेल 75 मिली लीटर प्रति पंप के साथ 15 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करना चाहिए।


आलू, बैंगन, टमाटर

  • टमाटर के पौधों के पास धुआं करें, जिससे उस पर पाला पडऩे के आसार नहीं रहते। इसके अलावा इस मौसम में आलू, बैंगन की फसल भी प्रभावित हो सकती है। इसके लिए टमाटर की तरह ही उपाय करें।

विशेष : किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि किसी भी दवा का प्रयोग करने से पहले अपने निकटतम कृषि विभाग से संपर्क करें और उनके मार्गदर्शन में दवाओं का इस्तेमाल करें। क्योंकि सभी प्रदेशों की भौगोलिक स्थितियां भिन्न-भिन्न होती है और उनमें काफी अंतर भी होता है। इसलिए दवा का छिडक़ाव अपने क्षेत्रीय कृषि विभाग के अधिकारियों निर्देशानुसार ही किया जाना चाहिए।

 

 

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