वैज्ञानिकों ने किया अनोखा आविष्‍कार - गाय के गोबर से चलेगा यह ट्रैक्‍टर

Share Product प्रकाशित - 09 Jan 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

वैज्ञानिकों ने किया अनोखा आविष्‍कार - गाय के गोबर से चलेगा यह ट्रैक्‍टर

अब गाय के गोबर से चलेगा ट्रैक्टर, वैज्ञानिकों ने किया कमाल

आपको शायद ये सुनकर आश्चर्य होगा कि गाय के गोबर से ट्रैक्टर चलाया जा सकता है। सभी ने पेट्रोल और डीजल से तो गाड़िया चलते हुए देखी होगी लेकिन क्या आपने कभी गाय के गोबर से ट्रैक्टर चलते हुए देखा है। लेकिन ये बात सच है, कि गाय के गोबर से ट्रैक्टर भी चलाया जा सकता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गाय के गोबर का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है। गाय के गोबर से जैविक खाद बनाई जाती है। गाय के गोबर से बायो गैस बनाई जाती है। गाय के गोबर का इस्तेमाल बिजली उत्पादन में भी किया जा सकता है। लेकिन गाय के गोबर से ट्रैक्टर चलाना हर किसी को आश्चर्य में डालने जैसा है। लेकिन ये कर दिखाया है ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने जिन्होंने गाय के गोबर का इस्तेमाल करके ट्रैक्टर को चलाने का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाकर एक रिकॉर्ड बनाया है। इस ट्रैक्टर के बारे में बताया जा रहा है कि यह दूसरे ट्रैक्टरों के बराबर ही प्रदर्शन करता है और इससे प्रदूषण भी कम होता है। यह ट्रैक्टर पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित बताया जा रहा है। इस ट्रैक्टर के लिए करीब 100 गायों के गोबर को एकत्रित करके बायोमीथेन (पॉजिटिव मीथेन) में बदला गया है। इस ट्रैक्टर में एक क्रायोजेनिक टैंक लगाया गया और इस तरल ईंधन को जलाया गया। इस प्रकार इस ट्रैक्टर में गोबर का ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया गया है। 

गोबर से चलने वाले ट्रैक्टर से कम होगा प्रदूषण

वैज्ञानिकों के अनुसार इस ईंधन से 270 बीएचपी का ट्रैक्टर आसानी से चलाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि क्रायोजेनिक इंजन करीब 160 डिग्री का तापमान प्रोड्यूस करता है और बायोमीथेन को लिक्विफाइड करता है। इस ट्रैक्टर का निर्माण कोर्निश कंपनी बेनमन ने किया था। अभी वैज्ञानिक इसे कई चुनौतियों के लिए भी टेस्ट कर रहे हैं। इससे इस ट्रैक्टर को बाजार में आने में भी कुछ वक्त लगेगा। वैज्ञानिकों के द्वारा ट्रैक्टर के इस प्रकार से किए गए प्रदर्शन को लेकर लोग काफी खुश है क्योंकि यदि ये ट्रैक्टर बाजार में आता है तो इससे प्रदूषण कम होगा जिससे पर्यावरण को शुद्ध रखने में मदद मिलेगी।  

ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में भी मिलेगी सहायता

इस ट्रैक्टर के बारे में ब्रिटेन की कंपनी के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस ट्रैक्टर के आविष्कार से इको फ्रेंडली एनवायरमेंट बनाए रखने में मदद मिलेगी। ट्रैक्टर की विशेषता बताते हुए उन्होंने बताया कि इस ट्रैक्टर को वातावरण से बड़ी मात्रा में मीथेन को हटाकर जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के हिसाब तैयार किया गया है। मीथेन में वायुमंडल को गर्म करने की क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड के मुकाबले 80 गुना ज्यादा होती है, इसलिए इसे हटाकर और इसे अच्छे उपयोग में लाकर हम ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव को कम कर सकते हैं। 

गाय के गोबर से जैविक खेती में मिलेगी मदद

इधर भारत में किसान जैविक खेती करके जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के साथ ही सभी चीजें बदल रही है। ऐसे में जैविक खेती आज के समय की मांग है। किसान गाय के गोबर का उपयोग जैविक खेती में करके अपनी फसल लागत को कम कर सकते हैँ। जैविक खेती पूर्ण रूप से प्रकृति पर निर्भर होती है। इसमें शरीर को हानि पहुंचाने वाले रासायनिक उर्वरक व कीटनाशकों का उपयोग बिलकुल भी नहीं किया जाता है। भारत सरकार भी जैविक खेती करने वाले किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है। किसान इसका लाभ उठा कर जैविक खेती करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं। बता दें कि ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग बाजार में बहुत रहती है और इसके बाजार में दाम भी अच्छे मिलते हैं।

बिहार की ये महिला बनाती हैं गोबर से 2000 प्रकार की वस्तुएं

गाय के गोबर से कई प्रकार की उपयोगी वस्तुएं बनाई जाती हैं। गाय के गोबर से उपले जिसे छाना भी कहते हैं बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग पूजा-अनुष्ठानों में किया जाता है। लेकिन इससे कई अन्य प्रकार की वस्तुएं भी बनाई जाती हैं। भारत के बिहार के समस्तीपुर जिले की रहने वाली प्रेमलता गाय के गोबर से करीब 2 हजार प्रकार की वस्तुएं बनाती हैं। वे गांव-गांव घुमकर इन वस्तुओं को बनाने का प्रशिक्षण अन्य किसान महिलाओं को भी देती हैं। प्रेमलता गोबर से कई सारी बनाती हैं जिसमें ज्वेलरी से लेकर घर में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं शामिल हैं। इसमें पूजा के लिए धूप, अगरबत्ती, घर में सजावट के लिए गोबर से बनाई गई मूर्तियां, गोबर की ईटें, चप्पल ,घड़ियां ,खिलौने, कान की बाली, गले का हार, हाथ के चूड़ी कंगन, हेयर क्लिप आदि कई प्रकार के आइटम बनाती है। उनके इस प्रयास को कई संस्थाओं ने सराहा है और इसके लिए इन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया है। 

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