अब पुराने ट्रैक्टर भी हर साल बचाएंगे 1.5 लाख से 2 लाख रुपए

Share Product Published - 25 May 2021 by Tractor Junction

अब पुराने ट्रैक्टर भी हर साल बचाएंगे 1.5 लाख से 2 लाख रुपए

ट्रैक्टर, पावर टिलर और हार्वेस्टर के पेट्रोल-डीजल इंजन बदल सकेंगे सीएनजी इंजन में


सरकार ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम में बड़ा बदलाव किया है। केंद्र सरकार के संशोधन के बाद ऐसे वाहन जो पेट्रोल और डीजल से चलते हैं उनके इंजन को अब सीएनजी, बायो-सीएनजी और एलएनजी ईंधन इंजन में बदला जा सकेगा। इस श्रेणी के वाहनों में कृषि ट्रैक्टर, पावर टिलर, हार्वेस्टर और निर्माण उपकरण वाहनों को शामिल किया गया है। नियमों में बदलाव का सबसे ज्यादा फायदा किसानों को होगा। किसान अपने पुराने ट्रैक्टरों के इंजन को सीएनजी इंजन में बदल सकेंगे। इससे ईंधन लागत में कमी आएगी। एक अनुमान के अनुसार अगर किसान डीजल-पेट्रोल ईंधन की जगह सीएनजी का उपयोग करता है तो सालभर में डेढ़ लाख से 2 लाख रुपए तक की बचत कर सकता है।


यह है केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन की अधिसूचना

सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देश में वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से केंद्रीय मोहन वाहन नियमों में संशोधन की अधिसूचना जारी की है। इस संशोधन के बाद डीजल और पेट्रोल से चलने वाले कृषि ट्रैक्टर, पावर टिलर और निर्माण उपकरण वाहनों को सीएनजी, बायो-सीएनजी और एलएनजी ईंधन में बदला जा सकेगा। जिससे इन वाहनों को सीएनजी से चलाया जा सकेगा। मंत्रालय ने ने ट्वीट किया, ''मंत्रालय ने कृषि ट्रैक्टरों, पावर टिलर, निर्माण उपकरण वाहनों और हार्वेस्टर के इंजनों को सीएनजी, बायो-सीएनजी और एलएनजी ईंधन से बदलने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में एक संशोधन को अधिसूचित किया है।


अब कबाड़ घोषित नहीं होगे 15 साल पुराने ट्रैक्टर

सीएनजी एक स्वच्छ ईंधन है जिसमें कार्बन और अन्य प्रदूषकों की मात्रा सबसे कम है। इस ईंधन के उपयोग से न सिर्फ पैसों की बचत होगी बल्कि वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी। खास बात यह है कि 15 साल पुराने ट्रैक्टर, पावर टिलर, हार्वेस्टर और निर्माण वाहन चलते रहेंगे। सरकार की कबाड़ नीति के तहत उन्हें कबाड़ घोषित नहीं किया जाएगा। नए नियमों के मुताबिक कृषि उपकरणों एवं वाहनों के इंजन में बदलाव किया जा सकेगा। जिन वाहनों के इंजन में कोई सुधार हो सकती है उनमें मामूली बदलाव किए जा सकेंगे। जबकि ज्यादा पुराने वाहनों के इंजन को बदलने का विकल्प होगा। इससे इन वाहनों को सीएनजी, बायो सीएनजी या एलएनजी जैसे वैकल्पिक ईंधनों से चलाया जा सकेगा। इससे पारंपरिक ईंधन की बचत हो सकेगी। 


किसान ऐसे कर सकेंगे सालाना डेढ़ से दो लाख रुपए की बचत

पुराने ट्रैक्टर के इंजन में बदलाव से डेढ़ लाख से दो लाख रुपए सालान की बचत के पीछे सरकार का अपना तर्क है। सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस साल फरवरी में डीजल इंजन से सीएनजी में परिवर्तित भारत का पहला ट्रैक्टर पेश किया था। इसके साथ ही सरकार ने दावा किया कि खेती के लिए ट्रैक्टरों पर निर्भर किसानों के लिए यह रेट्रोफिटेड सीएनजी ट्रैक्टर ईंधन की लागत पर सालाना 1.5 लाख से ज्यादा की बचत कर सकता है और साथ ही 75 फीसदी वायु प्रदूषण भी कम होगा।  उस समय गडकरी ने दावा किया था कि औसतन, किसान डीजल पर हर साल 3 लाख से 3.5 लाख रुपये खर्च करते हैं और इस वैकल्पिक ईंधन प्रौद्योगिकी को अपनाकर वे ईंधन की लागत में 1.5 लाख रुपये तक की बचत कर सकते हैं। 


ग्रामीण अर्थव्यवस्था में होगा बदलाव

डीजल इंजन से सीएनजी में परिवर्तित भारत का पहला ट्रैक्टर पेश करते समय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि इससे न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव होंगे, बल्कि बड़ी संख्या में रोजगार के मौके भी तैयार होंगे। पैसों की बचत के अलावा सरकार डीजल ट्रैक्टर के सीएनजी में बदलवाने के फायदों को भी गिनती है, कि यह एक स्वच्छ ईंधन है जिसमें कार्बन और अन्य प्रदूषकों की मात्रा सबसे कम है। 

 

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