भारत में अब नए नियमों से बनेंगे टायर, पेट्रोल-डीजल की होगी बचत

Share Product Published - 24 May 2021 by Tractor Junction

भारत में अब नए नियमों से बनेंगे टायर, पेट्रोल-डीजल की होगी बचत

टायरों के मानदंडों में बदलाव की तैयारी, एक अक्टूबर से लागू होंगे नए नियम

इस साल अक्टूबर से आपकी यात्रा और सुखद हो जाएगी। भारत सरकार ने टायरों के लिए नए अनिवार्य मानदंडों का प्रस्ताव पारित करते हुए एक अधिसूचना जारी की है। अब नए मानदंडों के अनुसार गाडिय़ों के टायर  निर्माण में सरकार द्वारा निर्धारित कुछ निश्चित बेंचमार्क को पूरा करना होगा। नए मानदंडों के अनुसार अब टायर कंपनियों को रोलिंग रजिस्टेंस, वेट ग्रिप और रोलिंग साउंड एमिशन के नए मानदंडों का पालन करना होगा। नए मॉडलों के लिए टायरों से जुड़ा ये नियम 1 अक्टूबर 2021 से लागू होगा। वहीं मौजूदा कारों के टायरों के लिए अगले साल अक्टूबर से लागू करने का प्रस्ताव है।


जानें, क्या है भारत में टायर को लेकर नए नियम

भारत में अधिकांश टायर निर्माताओं की वैश्विक उपस्थिति है और वे यूरोपीय देशों में सर्वोत्तम मानदंडों का पालन कर रहे हैं। देश में जल्द ही बड़ी गाडिय़ों, मिनी बस और कार के टायर  निर्माताओं और इंपोटर्स को सरकार द्वारा निर्धारित कुछ नियमों का पालन करना होगा। भारत सरकार सरकार फ्यूल के इस्तेमाल, भीगे सडक़ पर टायर की पकड़ और इसके ब्रेकिंग प्रदर्शन को लेकर कानून बना रही है। वहीं गाडिय़ों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण का भी ध्यान में रखा गया है।

सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के प्रस्ताव के अनुसार नए मॉडलों के लिए टायरों से जुड़ा नियम इसी साल अक्टूबर से लागू होगा। वहीं मौजूदा कारों के टायरों के लिए इसे  1 अक्टूबर 2022 से लागू करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस कानून को इसे देश में टायर के स्टार रेटिंग से भी जोडक़र देखा जा रहा है।


रेटिंग सिस्टम लाने की तैयारी में सरकार

देश की कई प्रमुख कंपनियां टायरों का निर्माण करती है और इनका कई देशों में निर्यात करती है। वर्तमान में देश में बेचे जाने वाले टायरों की गुणवत्ता के लिए बीआईएस नियम निर्धारित है। हालांकि, यह ग्राहकों को ऐसी जानकारी नहीं देता है जो उन्हें टायर खरीदने में मदद करें। इसीलिए सरकार रेटिंग सिस्टम लाने की तैयारी कर रही है। ऑटो इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के अनुसार रेटिंग लाने का मकसद यह सुनिश्चित कराना है कि वाहनों के टायर अधिक भरोसेमंद और अच्छे हों। सरकार कारों की क्वालिटी को हर पैमाने पर बेहतर बना रही हैं, क्योंकि भारत अब ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट हब बनता जा रहा है और आने वाले समय में ऐसे नियमों की जरूरत पड़ेगी। जानकारों का कहना है कि नए नियमों को लागू करने में कंपनियों को कोई परेशानी नहीं आएगी।  ये कायदे-कानून वैसे ही है जैसे 2016 में यूरोप में लाए गए थे।


नए मानदंडों से पेट्रोल और डीजल की होगी कम खपत

सडक़ परिवहन मंत्रालय ने वाहनों की ईंधन खपत कम करने व सडक़ सुरक्षा बढ़ाने की दृष्टि से नए मानदंडों का मसौदा तैयार किया है। मसौदे के अनुसार रॉलिंग रेजिस्टेंस कम करके वाहनों की ईंधन खपत कम करना अनिवार्य मानदंडों में शामिल है, साथ ही टायर की गीली पकड़ पर भी गौर करना जरूरी है, जिसका प्रभाव गीली सतह पर ब्रेकिंग व रॉलिंग साउंड एमिशन पर भी पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि भारत में अधिकांश टायर निर्माताओं की वैश्विक उपस्थिति है और वे यूरोपीय देशों में सर्वोत्तम मानदंडों का पालन कर रहे हैं। तो, यहां पालन करने में बिल्कुल भी कोई समस्या नहीं होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रस्तावित अनिवार्य अनुपालन मानदंड मुख्य रूप से सुरक्षा के लिए हैं और इससे वाहन मालिकों को अपने वाहनों के लिए नए टायर खरीदते समय निर्णय लेने में मदद मिलेगी। यह उपभोक्ता सुरक्षा, आयातकों की जवाबदेही तय करने और ईंधन दक्षता की दिशा में एक अच्छा कदम है। 

 

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