प्रकाशित - 09 Apr 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानी में सुधार और नवीनतम तकनीकों को अपनाने से ही उन्नति संभव है। जो किसान पुराने तरीकों पर चलने के बजाय नए उपायों और तरीकों को अपनाते हैं, वे सफलता की नई मिसाल कायम करते हैं। यह कहना कि खेती से पर्याप्त आय नहीं हो सकती, यह एक आधा सच है। असल में, कई किसान अपने प्रयासों और नए तरीकों के जरिये खेती में सफलता की कहानी लिख रहे हैं। इसलिए, पुरानी तरीकों पर टिके रहने के बजाय, खेती में बदलाव लाकर आगे बढ़ना ही सही दिशा है। राजस्थान के गंगानगर जिले के एक प्रगतिशील किसान, हरीश चन्द्र कासनिया ने इसी दिशा में कदम बढ़ाकर पारंपरिक खेती को नर्सरी व्यवसाय में बदल कर एक नई शुरुआत की है जो आज उनके लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है।
हरीश कासनिया के पास पर्याप्त कृषि भूमि थी, लेकिन पारंपरिक खेती से उतनी आय नहीं मिल रही थी जितनी होनी चाहिए थी। ऐसे में उन्हें राजस्थान स्टेट मेडिसिनल प्लांट बोर्ड द्वारा आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने का मौका मिला। इस प्रशिक्षण के जरिये उन्होंने खेती के नए, लाभकारी और प्रभावी तरीकों को समझा। वहां से उन्होंने यह जाना कि बागवानी करने वाले किसानों को सबसे बड़ी कठिनाई अच्छी क्वालिटी वाले नर्सरी पौधे प्राप्त करने में होती है। इस समस्या को उन्होंने एक अवसर के रूप में देखा और नर्सरी व्यवसाय शुरू करने का फैसला लिया।
उन्होंने अपने व्यवसाय की शुरुआत नींबू की नर्सरी से की। वर्तमान में, हरीश लाखों नींबू के पौधे तैयार करते हैं। उनका मानना है कि 4-5 साल पुरानी नर्सरी के पौधों को बागों में लगाने से जल्दी फल मिलते हैं। इसके साथ ही, वह किन्नू, खजूर, माल्टा, इज्जाफा, थाई एप्पल, बेर और अमरूद जैसे फलदार पौधों की नर्सरी भी तैयार करते हैं। अपनी नर्सरी को और अधिक आधुनिक बनाने के लिए, हरीश ने इजराइल से एक अत्याधुनिक मशीन खरीदी है, जो नर्सरी पौधों के लिए पानी, खाद और पर्यावरण का स्वचालित रूप से प्रबंधन करती है। इस तकनीक से न केवल पौधों की क्वालिटी में सुधार हुआ, बल्कि उपज भी भरपूर प्राप्त हुई। यह मशीन पानी के पीएच और ईसी स्तर को कंट्रोल करती है, जिससे पानी और खाद की बचत होती है, और यह कंप्यूटर सिस्टम की सहायता से प्रत्येक पौधे की आवश्यकता के अनुसार खाद, पानी जैसे आवश्यक संसाधन उन तक पहुंचाती है।
करीब 15 साल की अवधि में, हरीश ने अपने खेतों की काया पलट दी। अब वह औषधीय खेती, जैविक खेती और बागवानी के साथ-साथ नर्सरी व्यवसाय भी करते हैं। अपनी सफलता की यात्रा के दौरान, उन्होंने कई राष्ट्रीय और राज्य स्तर के पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं। आज उनकी मासिक आय करीब 5 लाख रुपए है। हरीश का मानना है कि यदि किसान सरकारी योजनाओं का सही तरीके से लाभ उठाते हैं, तो बागवानी और खेती से शानदार मुनाफा कमा सकते हैं। सरकार की ओर से बागवानी के लिए तारबंदी, ड्रिप इरिगेशन, पाइपलाइन बिछाने, और फार्म पांड के निर्माण जैसी कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं लाभ उठाकर किसान अपने व्यवसाय को लाभकारी बना सकते हैं। उनका मनाना है कि किसान जब खेती और बागवानी के सही लाभों को समझ जाते हैं, तो उन्हें अपनाने में कोई देर नहीं लगती। उनकी सफलता ने किसानों के बीच नर्सरी व्यवसाय के प्रति रुचि को और अधिक बढ़ाया है। इस तरह किसान हरीश ने खेती को लाभ का सौदा साबित करके उसे बेहतर जरिया बना लिया। आज वे अपने क्षेत्र के किसानों के लिए आदर्श बने हुए हैं। क्षेत्र के कई किसान नर्सरी व्यवसाय और खेती के लाभकारी गुर सीखने के लिए उनके पास सलाह लेने के लिए आते हैं।
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