Published - 19 Apr 2022 by Tractor Junction
आज देश में कोई ऐसा क्षेत्र अछूता नहीं रहा जहां महिलाओं की भागीदारी न हो। इतना ही नहीं कृषि क्षेत्र में जहां हमेशा ये माना जाता रहा कि खेतीबाड़ी या बागवानी का काम अधिक मेहनत का होता है जिसे पुरुष ही कर सकते हैं लेकिन कुछ महिला किसानों ने अपने बूते पर कृषि क्षेत्र में सफलता हासिल करके इस मिथक को तोड़ दिया है। हालांकि पहले भी महिलाएं घर के कामों के अलावा खेतीबाड़ी के कामों में भी पुरुषों का हाथ बंटाती रहीं हैं। लेकिन पूर्ण रूप से अपने दम पर खेतीबाड़ी का काम करने वाली महिलाओं की संख्या देश में पुरुषों के मुकाबले बहुत कम है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से एक ऐसी महिला की सफलता की कहानी बता रहे हैं जिसने कृषि क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान बनाई। इतना ही नहीं कृषि क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए इन्हें दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
ये महिला किसान राजस्थान राज्य से है। इनका नाम संतोष पचार है, जो सीकर जिले के झिगर बड़ी गांव में रहती है। संतोष के पास स्वयं की 30 बीघा खेती की जमीन है। संतोष ने अपनी मेहनत के दम पर राज्य में अपनी एक अलग पहचान बनाई और इन्हें दो बार क्रमश: 2013 और 2017 में राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है। हालांकि संतोष ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है। वे आठवीं कक्षा तक पढ़ी है। कम पढ़ी लिखी होने के बावजूद उन्होंने कृषि क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है।
मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार संतोष बताती है कि उन्होंने अपने खेत में लगभग 2002 में उन्नत जैविक खेती को करना शुरू किया था। शुरुआत में संतोष ने अपने खेत में गाजर की खेती की थी जिसका उत्पादन लंबे, पतले और टेढ़े हुआ था। अपनी फसल को ऐसा देख संतोष को एहसास हुआ कि उनके द्वारा बाजार से लिए गए बीज खराब क्वालिटी के है। उन्होंने अपनी फसल के उत्पादन को अच्छा बनाने के लिए खुद बीजों को तैयार करना शुरू किए। संतोष की बीज तैयार करने की तकनीक दूसरों से हटकर थी। आखिरकार संतोष की यह मेहनत रंग लाई और परिणामस्वरूप संतोष को फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त हुआ। संतोष के इस तरीके ने गाजर की मिठास को करीब 5 प्रतिशत और उत्पादन क्षमता को भी करीब 2 से 3 गुना तक बढ़ा दिया। नई तकनीक से बीजोउत्पादन पर संतोष को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें सम्मानित किया। संतोष को 3 लाख रुपए का इनाम और एक प्रशस्ति पत्र दिया प्रदान किया गया।
महिला किसान संतोष यहां ही नहीं रूकी उन्होंने खेती के साथ ही बागवानी में भी हाथ आजमाया और यहां भी उन्हें सफलता मिली। दरअसल संतोष के पति को अनार का बाग लगाने का विचार मन में आया। जब ये विचार उन्होंने अपनी पत्नी संतोष को बताया तो वे इसके लिए तुरंत तैयार हो गई। उन्होंने अपने खेत में अनार का बाग लगाया। तीन साल बाद अनार के पेड़ों से फल प्राप्त होने लगे। अनार की खेती से संतोष को काफी लाभ हुआ। अनार के बाद उन्होंने अपने खेत में नींबू और अमरूद के पौधे लगाए जिससे भी उन्हें अच्छा फायदा हुआ। आज बागवानी करके संतोष सालाना करीब 25 से 30 लाख रुपए की कमाई कर रही हैं।
संतोष ने गाय के गोबर से गैस संयंत्र स्थापित करने में भी सफलता पाई। इनके इस कार्य से गांव में करीब 20 घरों को लाभ पहुंचा। आज संतोष गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी हुई हैं। वे गांव की महिलाओं को खेती की नए-नए तरीकों और तकनीक की जानकारी देती है ताकि ग्रामीण महिलाएं खेती में इन तकनीकों का इस्तेमाल कर उत्पादन को बढ़ा सकें।
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