स्ट्रॉबेरी की खेती ने बदली किस्मत, सिर्फ 5 महीने में 9 लाख की कमाई

Share Product प्रकाशित - 01 Jun 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

स्ट्रॉबेरी की खेती ने बदली किस्मत, सिर्फ 5 महीने में 9 लाख की कमाई

जानें कैसे की स्ट्राबेरी की खेती, कैसे कमाया मोटा मुनाफा

सामान्य पारंपरिक फसलों जैसे धान, गेहूं आदि की खेती में आजकल बहुत से किसान रुचि नहीं ले रहे हैं। किसान बाजार मांग को देखते हुए ऐसी फसलों के उत्पादन में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं, जिसका अच्छा रेट मिलता है। सरकार भी किसानों को नई-नई फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करती है, ताकि किसान नई फसलों का उत्पादन कर आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। उत्तरप्रदेश के ओरैया जनपद के ऐसे ही एक किसान राम गोविंद शुक्ला हैं, जिन्होंने परंपरागत खेती की जगह स्ट्रॉबेरी की खेती करना शुरू किया और आज लाखों रुपए की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। इससे पूरे जनपद में उनकी कृषि कौशल की चर्चा हो रही है और सैकड़ों की संख्या में लोग उनसे कृषि संबंधित सलाह लेने के लिए पहुंच रहे हैं। इस तरह किसान राम गोविंद शुक्ला ने पूरे जनपद में एक नई पहचान बनाई है। इस तरह वे अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत साबित हो रहे हैं।

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ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम स्ट्राबेरी की खेती में मिली सफलता की कहानी, स्ट्राबेरी की खेती से कमाई, स्ट्राबेरी की खेती कैसे करें आदि की जानकारी दे रहे हैं।

क्या है इस प्रगतिशील किसान के सफलता की कहानी

इस प्रगतिशील किसान ने मात्र 2 बीघा जमीन में स्ट्राबेरी की खेती शुरू की। सितंबर महीने में स्ट्राबेरी के पौध की बेल बाहर से लाकर यहां पर लगाई और खेती शुरू की। वर्तमान में 500 किलो से 1000 किलो स्ट्राबेरी की पैदावार प्रति दिन कर रहे हैं। राम गोविंद शुक्ला बताते हैं मार्केट में स्ट्राबेरी का रेट काफी अच्छा है, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है। पाइप लाइन से बराबर सिंचाई और दवा का छिड़काव कर उन्होंने काफी अच्छा फसल उत्पादन किया है। मार्केट में स्ट्राबेरी का रेट 300 रुपए प्रति किलो है। इस स्ट्राबेरी को डिब्बों में पैक कर कानपुर नगर के चकरमंडी में भेजा जाता है, यहां उन्हें उनकी फसल का अच्छा रेट मिल जाता है। किसान रामगोविन्द शुक्ला ने बताया कि अब तक वह 60 क्विंटल स्ट्राबेरी मार्केट में बेच चुके हैं। श्रम व लागत को घटाकर शुद्ध आमदनी 9 लाख रुपए हुई है। खास बात ये है कि इतनी आमदनी सिर्फ 5 महीने में हुई है।

10 लोगों को दिया रोजगार

अपनी इस जबरदस्त पैदावार से किसान राम गोविंद शुक्ला बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि उनकी इस खेती से 10 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। इस तरह इस कृषि से किसानों को ही नहीं बल्कि आसपास के आम लोगों को भी बहुत लाभ मिलता है। 

कहां होती है स्ट्राबेरी की खेती

पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और बिहार जैसे कई राज्यों में स्ट्राबेरी की खेती बड़े पैमाने पर होती है। ये अधिक मुनाफा देने वाली किस्म है। दुनिया भर में स्ट्राबेरी की 600 से भी ज्यादा किस्में मौजूद है। इसका उपयोग जैम, चॉकलेट आदि के निर्माण में होता है। स्ट्राबेरी की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी आगे समझते हैं।

स्ट्राबेरी की खेती  के लिए भूमि

स्ट्राबेरी की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जाती है। इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी या उचित जल निकासी वाली मिट्टी अच्छी मानी जाती है। 

जलवायु

20 से 30 डिग्री का मध्यम तापमान स्ट्राबेरी की खेती के लिए बहुत अनुकूल होता है। इसी तापमान में खेती करना उचित होता है। स्ट्राबेरी की खेती सितंबर से अक्टूबर महीने में की जाती है। 

खेत की तैयारी 

स्ट्राबेरी फसल के निम्नलिखित तरीके से खेत की तैयारी करें। इस खेती में खेत की अच्छी तैयारी किया जाना बहुत जरूरी होता है।

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  • स्ट्राबेरी की खेती से पहले जमीन की अच्छे से जुताई कर लें। मिट्टी को पलटने वाले हल का चुनाव जुताई के लिए करें। इसके बाद खेत को खुला छोड़ दें। इससे खेत में मौजूद खरपतवार जो फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं, वो नष्ट हो जायेंगे।
  • 70 से 75 टन पुरानी सड़ी खाद या जैविक खाद प्रति एकड़ डालें।
  • खाद डालने के बाद दुबारा मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई कर दें।
  • उर्वरक के तौर पर 60 किलोग्राम पोटाश और 100 किलोग्राम फॉस्फोरस डालें।

सिंचाई

स्ट्राबेरी की खेती में किसान भाई फुहारों वाली सिंचाई ज्यादा पसंद करते हैं। क्योंकि इससे पानी की खपत भी कम होती है और उत्पादन भी अच्छा होता है। स्ट्राबेरी में जब फल आ जाए तो सूक्ष्म फव्वारे की मदद से सिंचाई कर सकते हैं। इससे स्ट्राबेरी की फसल को नुकसान नहीं पहुंचता है। 

रोग

स्ट्राबेरी की खेती में किसानों को कई बार कुछ फसल रोगों का सामना करना पड़ता है। जैसे फसल में कीट,पतंगे, मक्खियां, चेफड़ आदि लग जाती है। इन कीटों के उपचार के लिए नीम पानी का छिड़काव और नीम की खल को जड़ में डाल सकते हैं। इसके अलावा कृषि सलाहकार की मदद से रोग के अनुरूप कीटनाशक स्प्रे का भी छिड़काव कर सकते हैं।

स्ट्रॉबेरी की प्रमुख प्रजातियां

किसी भी खेती के लिए किसान को अच्छी किस्म का चुनाव करना होता है। अच्छी किस्म का चुनाव करके ही अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। क्योंकि बीज और किस्म किसी भी फसल का बेसिक जरूरत है। इसलिए स्ट्राबेरी की कुछ प्रमुख प्रजातियां इस प्रकार हैं। जैसे,

  • विंटर डाउन स्ट्राबेरी
  • विंटर स्टार स्ट्राबेरी
  • कमरोसा 
  • चांडलर
  • स्वीट चार्ली
  • ब्लैक मोर
  • एलिस्ता
  • सिस्केफ
  • फेयर फॉक्स

पैदावार

स्ट्राबेरी की फसल से किसान अच्छी पैदावार ले सकते हैं। सामान्यतः एक पौधे से 800 से 900 ग्राम स्ट्राबेरी की पैदावार हो सकती है। वहीं यदि फसल का सही प्रबंधन कर लिया जाए तो एक एकड़ में 80 से 100 क्विंटल स्ट्राबेरी फलों का उत्पादन लिया जा सकता है।

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