Published - 14 Apr 2022
by Tractor Junction
छतरपुर के एक किसान ने तरबूज की खेती से न केवल बंपर कमाई की बल्कि तरबूज की सफल खेती के लिए उसे पुरस्कृत भी किया गया। तरबूज की खेती ने इस किसान की तरक्की के द्वार खोल दिए। आज ये किसान तरबूज का बेहतर उत्पादन के साथ ही अच्छा-खास लाभ कमा रहे हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको छतरपुर के किसान गौरीशंकर बैजनाथ पटेल की सफलता की कहानी बता रहे हैं जिनकी किस्मत तरबूज की खेती ने संवार दी।
किसान गौरीशंकर छतरपुर जिले के राजनगर ब्लॉक के गांव चोकाकोडन के रहने वाले हैं। किसान गौरीशंकर का पूरा नाम गौरीशंकर बैजनाथ पटेल है। ये उन खुशकिस्मत किसान हैं जिन्होंने अपने खेत में पहली बार तरबूज लगाकर पैसा और पुरस्कार दोनों प्राप्त किए। उन्होंने मात्र 70 से 80 दिन में ही तरबूज से 93 हज़ार रुपए का शुद्ध लाभ प्राप्त किया। तरबूज से हुई इस कमाई से गौरीशंकर बेहद खुश है। आज गौरीशंकर से प्रेरणा पाकर अन्य किसान भी तरबूज की खेती करने लगे हैं।
गौरीशंकर पटेल के अनुसार उनके पास 7 एकड़ ज़मीन है। उद्यानिकी विभाग की प्रेरणा से पहली बार एक एकड़ में तरबूज फसल के लिए 350 ग्राम बीज लगाया था। उद्यानिकी विभाग राजनगर से ड्रिप अनुदान पर ली थी और 12 हजार की मल्चिंग स्वयं ने खरीदी थी। उद्यानिकी विभाग से तकनीकी मार्गदर्शन मिलता रहा।
तरबूज के बीजों की बुवाई के लिए 6 फीट की दूरी पर बेड बनाकर बेसल डोज में माइकोराइजा, सुपर फास्फेट, पोटाश और डीएपी मिश्रित डालने के बाद ड्रिप लगाकर मल्चिंग में 3 फीट पर छेद किए। बीजों का उपचार कर रात भर पानी में भिगोकर सुबह इसकी बुवाई की। अंकुरण के बाद समय पर दवाई, खाद, निंदाई, गुड़ाई पर कुल 27 हजार रुपए का खर्च आया। 60 -70 दिन में तरबूज की फसल आ गई। तरबूज का वजन साढ़े तीन किलो तक हो गया।
गौरीशंकर ने तरबूज की इस फसल को खजुराहो और छतरपुर में 17 रु. किलो की दर से बेचा। वह 15 -20 दिन थोड़ा -थोड़ा माल बेचता रहे जिसका 15 -16 रुपए किलो की दर से दाम मिलता रहा। उन्होंने कुल 80 क्विंटल तरबूज को औसत 15 रुपए /किलो की दर से बेचा जिसका विक्रय मूल्य 1 लाख 20 हजार प्राप्त हुआ। अब यदि इसकी लागत 27 हजार रुपए निकाल दी जाए तो भी किसान गौरीशंकर को 70 -80 दिन में 93 हजार का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। उन्होंने इस बार भी दो एकड़ में फिर तरबूज लगाया है। किसान गौरीशंकर पटेल को इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर विस्तार सुधार कार्यक्रम आत्मा अंतर्गत सर्वोत्तम जिला कृषक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसमें उन्हें प्रमाण पत्र और 25 हजार रुपए प्रदान किए गए।
गांव गंगाखेड़ी तहसील पेटलावद जिला झाबुआ के प्रगतिशील किसान यश पिता परमानन्द खेर ने दिसंबर में ही ताइवानी तरबूज की बिजाई कर क्रॉप कवर से ढंक दिया। इससे फसल सुरक्षित हो गई, लागत खर्च कम हुआ और उत्पादन भी अच्छा मिला। ताइवानी तरबूज की खेती से उनकी खूब तरक्की हो रही है। किसान यश के मुताबिक उन्होंने 5 बीघे में ताइवानी तरबूज की एक लोकप्रिय किस्म की बिजाई की थी और उसे 17 जीएसएम वाले क्रॉप कवर से गुफानुमा बनाकर ढंक दिया था। इससे कीटों से तो बचाव हुआ ही, फंगस भी नहीं लगा। तापमान भी नियंत्रित रहा। इस कारण लागत खर्च भी कम हो गया। एक बीघे में 150 क्विंटल का उत्पादन मिला। यह क्षेत्र के पहले ऐसे किसान रहे, जिनके यहां सबसे पहले उत्पादन हुआ और दाम भी साढ़े तेरह रुपए प्रति किलो का मिला। जिसे रतलाम के एक व्यापारी ने खरीदा।
किसान यश के अनुसार तरबूज हरे रंग का है, जिसमें मिठास भी सामान्य तरबूज की अपेक्षा अधिक होती है। यही नहीं इसमें बीज भी अन्य तरबूज की किस्मों से कम निकलते हैं। तरबूज छोटे -बड़े सभी आकार के हैं, जो डेढ़ किलो से लेकर 6 किलो तक के निकले हैं। तरबूज का औसत वजन 3 -4 किलो मिला है। इस किस्म को वे विगत तीन सालों से लगा रहे हैं। इससे उन्हें अच्छी आय हो रही है।
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