प्रकाशित - 19 May 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
खेती की लागत कम करने और इसे मुनाफे का व्यवसाय बनाने के लिए सरकार की ओर से किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए कृषि सखियों की भर्ती की जाएगी जो किसानों को प्राकृतिक खेती की जानकारी देंगी। इसका सीधा लाभ किसानों को होगा। बताया जा रहा है कि सरकार की इस योजना से प्रदेश के हजारों को किसानों को फायदा होगा। सरकार की ओर से प्रदेश में 800 कृषि सखियों की नियुक्ति की जाएगी। कृषि सखियों की भर्ती कब से होगी, कितना मानदेय और भत्ता मिलेगा आदि की पूरी जानकारी हम आपको इस खबर में दे रहे हैं, तो आइए जानते हैं, इसके बारे में।
कृषि सखी ग्रामीण महिलाओं में से चयनित वे प्रशिक्षित कार्यकर्ता होंगी, जो किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक करेंगी, प्रशिक्षण दिलवाएंगी और तकनीकी सहयोग प्रदान करेंगी। ये सखियां गांवों में जाकर किसानों से सीधा संवाद करेंगी और उन्हें रासायनिक खेती के विकल्प के रूप में प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी।
कृषि सखियों का मुख्य कार्य प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना होगा। इसके तहत जो काम व जिम्मेदारियां कृषि सखियों को सौंपी जाएंगी, वे इस प्रकार से हैं–
प्रत्येक कृषि सखी को हर माह 16 दिन कार्य करना होगा। इसके लिए सरकार की ओर से उन्हें 300 रुपए प्रतिदिन मानदेय दिया जाएगा। इसके अलावा उन्हें 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से यात्रा भत्ता भी दिया जाएगा। इस तरह कृषि सखी को प्रतिमाह 8,000 रुपए का मानदेय प्रतिमाह दिया जाएगा।
कृषि सखी के लिए अभी तक आवेदन प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी आधिकारिक रूप से जारी नहीं की गई है, लेकिन जल्द ही पंचायत स्तर पर इसके लिए आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। आवेदन की प्रक्रिया को स्वयं सहायता समूहों और ग्राम स्तरीय संस्थाओं के माध्यम से संचालित किया जाएगा।
इस योजना के तहत राज्य में 50,000 किसानों को प्राकृतिक खेती का लाभ मिलेगा। किसानों को 4,000 रुपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए 20,000 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती कराई जाएगी। इसके अलावा 266 भारतीय प्राकृतिक जैव-उपादान संसाधन केंद्र की स्थापना की जाएगी, ताकि किसानों को जैविक इनपुट जैसे जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत आदि की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
प्राकृतिक खेती एक ऐसी पारंपरिक और जैविक कृषि पद्धति है, जिसमें बिना रासायनिक खाद और कीटनाशक के फसलें उगाई जाती हैं। इसमें देसी गाय के गोबर और गौमूत्र से बने जैविक घोलों का उपयोग होता है। इसमें किसी भी प्रकार का रासायनिक खाद नहीं डाला जाता है। यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर होती है। बिहार सरकार की यह योजना न केवल प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी, बल्कि महिलाओं को भी सशक्त बनाएगी। कृषि सखियों की नियुक्ति ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
प्राकृतिक खेती के बहुत से लाभ हैं, हालांकि पूर्व में कम उत्पादन मिलता है, लेकिन जैसे–जैसे इसका उपयोग बढ़ता जाता है उत्पादन में भी बढ़ोतरी होने लगती है। प्राकृतिक खेती के प्रमुख लाभ इस प्रकार से हैं–
प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रदेश सरकार से अनुदान/सब्सिडी दी जाएगी। योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ 4,000 रुपए की सब्सिडी मिलेगी। इसमें 300 रुपए प्रति जैविक इनपुट, पशुधन देखभाल आदि के लिए और 400 रुपए प्रति वर्ष ड्रम और बाकी संसाधनों की एकमुश्त सहायता के रूप में दिए जाना शामिल है। बता दें कि किसानों को अधिकतम एक एकड़ तक ही प्राकृतिक खेती पर अनुदान का लाभ दिया जाएगा। योजना के तहत 50,000 किसानों को इसका लाभ प्रदान किया जाना है।
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