प्रकाशित - 14 May 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
Ration Card: भारत के राशन कार्ड धारकों के लिए राहत भरी एक अच्छी खबर सामने आ रही है। केंद्र सरकार की ओर से फैसला लिया गया है कि सभी राशन कार्ड धारकों को इस बार 3 महीने का राशन एक साथ दिया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से ऐसा क्यों किया जा रहा है, तो बताया जा रहा है कि एफसीआई यानी भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में भारी मात्रा में गेहूं और चावल का स्टॉक जमा हो गया है। ऐसे में उसे खाली कर नई फसल के लिए जगह बनाना है। इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से कोविड–19 के दौरान राशनकार्ड धारकों को एक साथ 2 माह का राशन फ्री बांटा गया था।
सरकारी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस साल राज्यों को जून, जुलाई और अगस्त का राशन कोटा मई महीने में ही आवंटित कर दिया जाएगा। राज्यों को यह कोटा 31 मई तक उठाना होगा। साथ ही, उन्हें इसे उठाने के लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त समय यानी ‘छूट अवधि’ भी दी जाएगी ताकि वितरण व्यवस्था में कोई परेशानी नहीं आए। यह व्यवस्था न केवल एफसीआई (FCI) गोदामों में जगह बनाने में सहायता करेगी, बल्कि राज्यों को भी अपनी राशन प्रणाली को पहले से बेहतर और सुचारु रूप से संचालित करने का मौका देगी। बता दें है कि इससे पहले कोविड-19 महामारी के दौरान भी केंद्र सरकार ने दो महीने का राशन एक साथ जारी किया था ताकि वितरण में तेजी लाई जा सके।
28 फरवरी 2025 तक एफसीआई के गोदामों में कुल 86 मिलियन टन अनाज (चावल और गेहूं) का स्टॉक दर्ज किया गया था। यह मात्रा देश की आवश्यकताओं से काफी अधिक है। मीडिया रिपाेर्ट्स मुताबिक, 27 अप्रैल 2025 तक केंद्रीय पूल में 6 करोड़ 61 लाख 70 हजार टन चावल और गेहूं का स्टॉक अनुमानित था। यह मात्रा एक साल से भी अधिक समय तक देश की राशन आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है। इतनी बड़ी मात्रा में अनाज का जमा रहना भंडारण व्यवस्था पर दबाव बनाता है। खासकर जब हर साल नई फसल की आवक होती है, तो पुराने स्टॉक को हटाकर नए स्टॉक के लिए जगह बनाना आवश्यक हो जाता है। यही वजह है कि सरकार ने इस साल भी पहले से ही तीन महीने का राशन एक साथ देने की योजना बनाई है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM-GKay) के तहत देश के करीब 80 करोड़ लोगों को हर महीने फ्री में राशन उपलब्ध कराया जाता है। हर लाभार्थी को प्रतिमाह 5 किलो चावल या गेहूं या दोनों दिए जाते हैं। इस योजना के तहत प्रतिमाह करीब 33-34 लाख टन चावल और 15-16 लाख टन गेहूं वितरित किया जाता है। यानी कुल मिलाकर हर महीने करीब 50 लाख टन अनाज सरकार की ओर से फ्री में वितरित किया जाता है। इस वितरण के चलते सालभर में करीब 6 करोड़ टन अनाज जनता तक पहुंचता है, जो देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करता है और गरीब परिवारों को राहत प्रदान करता है।
जानकारों के मुताबिक, यह प्रक्रिया कोई नई बात नहीं है, बल्कि हर साल नियत समय पर अपनाई जाने वाली एक नियमित व्यवस्था का ही हिस्सा है। यह फैसला पूरी तरह से स्टॉक प्रबंधन से जुड़ा हुआ है और इसका उद्देश्य एफसीआई के गोदामों में नई फसल के लिए जगह बनाना है। हर साल अप्रैल-मई के आसपास यह प्रक्रिया दोहराई जाती है ताकि भंडारण की व्यवस्था को व्यवस्थित और प्रभावी रखा जा सके। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस निर्णय का किसी भी राजनीतिक मुद्दे या सीमा विवाद से कोई लेना-देना नहीं है। यह एक व्यवस्थागत और प्रशासनिक प्रक्रिया है। सरकार का यह फैसला अनाज के सुचारु भंडारण और वितरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण और व्यावहारिक कदम है। इससे जहां एफसीआई को स्टॉक का बेहतर प्रबंधन करने में सहायता मिलेगी, वहीं राज्यों को भी राशन वितरण की योजना पहले से तय करने में सुविधा होगी।
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