Published - 04 May 2021 by Tractor Junction
कोरोना वायरस संक्रमण के तीव्र गति से भारत में हो रहे प्रसार से यहां के हालात नाजुक हो चले हैं। कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के सारे सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण से लड़ रहे भारत के लोगों के लिए एक राहत भरी खबर निकल कर आई है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार जल्द ही रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक-वी की पहली खेप भारत आ रही है। इससे पहले भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सिन के साथ कोरोना के खिलाफ जंग जारी है। स्पूतनिक-वी की पहली खेप आने के बाद से भारत में टीकाकरण की रफ्तार और तेज हो जाएगी, क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में एक और वैक्सीन जुड़ जाएगी। रूसी अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है कि 1 मई को भारत में स्पूतनिक-वी वैक्सीन की पहली खेप आ जाएगी। बता दें कि स्पूतनिक-वी वैक्सीन को गमालया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा विकसित किया गया है। संभवत: ये वैक्सीन की खेप भारत को एक मई को मिल जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि रूस की यह वैक्सीन सप्लाई भारत को कोरोनो वायरस महामारी की दूसरी लहर से बाहर निकलने में मदद करेगी।
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भारत में रूसी कोरोना टीके स्पूतनिक वी के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई। भारत के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की एक विशेषज्ञ समिति ने देश में कुछ शर्तों के साथ रूसी कोरोना टीके स्पूतनिक वी के आपात इस्तेमाल को मंजूरी देने की सिफारिश की थी, जिस पर भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने अपनी मुहर लगाई। गमालया इंस्टीट्यूट ने दावा किया की कि स्पुतनिक-वी कोरोना के खिलाफ अब तक विकसित सभी टीकों में सबसे अधिक प्रभावी है।
रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक-वी, एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की तरह ही एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है। मगर किसी भी अन्य कोरोना वैक्सीन के विपरीत, स्पूतनिक-वी वैक्सीन की दोनों खुराक एक दूसरे से अलग होती हैं। स्पूतनिक वी की दोनों खुराकों में अलग-अलग वैक्टरों का उपयोग सार्स-कोव-2 के स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करने के लिए किया गया है। बता दें कि कि सार्स-कोव-2 ही कोरोना वायरस का कारण बनता है। वैक्सीन की प्रकृति में भी स्पूतनिक वी की दो खुराक एक ही टीका के थोड़े अलग संस्करण हैं और इसका उद्देश्य कोरोना के खिलाफ लंबी सुरक्षा प्रदान करना है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के डॉ. एन.के. अरोड़ा क अनुसार स्पुतनिक दो डोज का टीका है। पहली खुराक की संरचना दूसरी खुराक से अलग होगी और पहली खुराक और दूसरी के बीच कम से कम तीन से चार सप्ताह का अंतर होना चाहिए। प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि इसमें 91 प्रतिशत प्रभावकारिता है। इस पर कुछ और स्पष्टता भी जल्द आएगी।
कंपनी ने इसकी कीमत को लेकर कहा है कि भारत में स्पूतनिक 1 के एक डोज के लिए अधिकतम 10 डॉलर (करीब 750 रुपए) खर्च करने होंगे। हालांकि, स्पूतनिक वैक्सीन की आधिकारिक कीमत का ऐलान नहीं हुआ है। फिलहाल, भारत में जो दो वैक्सीन है, उसे केंद्र सरकार 250 रुपए में खरीदती है।
तुर्की, चिली और अल्बानिया के अलावा, 60 अन्य देशों ने स्पुतनिक-वी को मंजूरी दे दी है। जिनमें रूस, बेलारूस, अर्जेंटीना, बोलीविया, सर्बिया, अल्जीरिया, फिलिस्तीन, वेनेजुएला, पैराग्वे, तुर्कमेनिस्तान, हंगरी, यूएई, ईरान, रिपब्लिक ऑफ गिनी, ट्यूनीशिया, आर्मेनिया, मैक्सिको, निकारागुआ, रिपब्लिका श्रीपस्का (बोस्निया और हर्जेगोविना की इकाई), लेबनान, म्यांमार, पाकिस्तान, मंगोलिया, बहरीन, मोंटेनेग्रो, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, गैबॉन, सैन-मेरिनो, घाना, सीरिया, किर्गिस्तान, गुयाना, मिस्र, होरासुर, ग्वाटेमाला, मोल्दोवा, स्लोवाकिया, अंगोला, कांगो गणराज्य, जिबूती, श्रीलंका, लाओस, इराक, उत्तरी मैसेडोनिया, केन्या, मोरक्को, जॉर्डन, नामीबिया, अजरबैजान, फिलीपींस, कैमरून, सेशेल्स, मॉरीशस, वियतनाम, एंटीगुआ और बारबुडा, माली, पनामा, भारत, नेपाल और बांग्लादेश शामिल हैं।
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