Published - 05 May 2021 by Tractor Junction
भारत में कोरोना संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है। इसकी दूसरी लहर ने यहां जमकर कोहराम मचा रखा गया है। हर रोज लाखों की तादाद में कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं और कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में हमें कोरोना से डरने की नही, सतर्क रहने की आवश्यकता है। यदि हम कोरोना को गंभीरता से लें और कुछ सावधानियां बरते तो इससे काफी हद तक बच सकते हैं। जैसा कि कोरोना वायरस हर बार अपना स्ट्रेन बदल रहा है।
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हाल ही में मीडिया में प्रसारित समाचार के माध्यम से जानकारी हुई कि देश में कोरोना का तीसरा स्ट्रेन भी देखा गया है जो और भी खतरनाक है। ये बातें हम आपको कोरोना से डराने के लिए नहीं बता रहे हैं बल्कि कोरोना संक्रमण के प्रति गंभीरता बरतने के लिए समझा रहे हैं। आज देश कोरोना की लड़ाई लड़ रहा है। हालत बेहद खराब हो चुके है। अस्पतालों में मरीजों को बैड और ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में हर नागरिक को अपनी सुरक्षा का ख्याल खुद रखने की जिम्मेदारी लेनी होगी ताकि हम सब मिलकर कोरोना संक्रमण जैसी महामारी का मुकाबला कर सकें। इसके लिए सबसे पहले आपको कोरोना संक्रमण से बचने के तरीको को समझना होगा। इसके लिए आपको पता होना चाहिए कि कोराना के लक्षण और उपचार का तरीका जिससे प्रारंभिक स्तर पर ही इसकी रोकथाम के उपाय किए जा सकें। इसके लिए आज हम कोरोना संक्रमण से बचाव विषय पर चर्चा करेंगे। हम आपको यह भी बताएंगे कि कोरोना के लक्षण दिखने पर आप क्या करें। घर पर कैसे आइसोलेट हो। किन बातों का ध्यान रखें और क्या सावधानियां बरतें ताकि कोरोना संक्रमण के खतरें को कम किया जा सकें। आइए जानते हैं एक्सपर्ट डॉक्टरों द्वारा बताए गए कोरोना लक्षण और उपचार के बारें में।
मीडिया में प्रकाशित खबरों और एक्सपर्ट डॉक्टरों द्वारा बताई गई जानकारी के आधार पर कोरोना के प्रारंभिक लक्षणों में बुखार आना, नाक बहना, जुकाम, गले में खराश, सिर दर्द, बदन टूटना, उल्टी, डायरिया, त्वचा पर चकत्ते दिखाई देना, स्वाद, गंध का न आना और आंख लाल होना आदि जैसे लक्षण देखे गए हैं। इसके अलावा हाल ही में मीडिया बताई गई खबरों में बताया गया है कि भारत में कोरोना का तीसरा स्ट्रैन भी देखा गया है जिसमें व्यक्ति के नाखूनों पर धारियां आ जाती है। यदि ऐसा हो तो भी इसे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। ये भी कोरोना संक्रमण का लक्षण हो सकता है।
स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल 95 से 100 फीसदी के बीच होता है। इससे नीचे होने पर माना जाता है कि व्यक्ति के रक्त में ऑक्सीजन का लेवल कम हो रहा है।
डॉक्टरों के अनुसार जिन लोगों को छाती में ज्यादा कन्जेस्चन महसूस हो रही हो, खांसी अधिक हो, तेज बुखार हो तो उनका ऑक्सीजन लेवल जांचना बेहद जरूरी हो जाता है। इसके अलावा दवा लेने के बाद जब आपका बुखार कम हो जाए तब भी अपना ऑक्सीजन लेवल जांचें। कोशिश करें कि कुछ देर चलने के बाद और चलने से पहले अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करें।
ऑक्सीजन का लेवल चेक करने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल किया जा सकता है। ये आसानी से मेडिकल शॉप बजार में मिल जाता है। पल्स ऑक्सीमीटर में अपने हाथ की उंगली फंसाकर शरीर का ऑक्सीजन का लेवल जांचा जाता है। पल्स ऑक्सीमीटर ऑन करने पर अंदर की ओर एक लाइट जलती हुई दिखाई देती है। यह आपकी त्वचा पर लाइट छोड़ता है और ब्लड सेल्स के रंग और उनके मूवमेंट को डिटेक्ट करता है। आपके जिन ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन ठीक मात्रा में होती है वे चमकदार लाल दिखाई देती हैं, जबकि बाकी हिस्सा गहरा लाल दिखता है। बढिय़ा ऑक्सीजन मात्रा वाले ब्लड सेल्स और अन्य ब्लड सेल्स यानी कि चमकदार लाल और गहरे लाल ब्लड सेल्स के अनुपात के आधार पर ही ऑक्सीमीटर डिवाइस ऑक्सीजन सैचुरेशन को फीसदी में कैलकुलेट करती है और डिस्प्ले में रीडिंग बता देती है। इससे यह पता चलता है कि लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी) कितना ऑक्सीजन ह्रदय से शरीर के अन्य भाग में पहुंचा रही हैं। इसमें फोटो इलेक्ट्रिक उपकरण होता है जो ऑक्सीजन सैचुरेशन के साथ हार्ट बीट को भी चेक करता है। ध्यान रखें कि आप एक ही उंगली को ऑक्सीमीटर में फंसा कर ऑक्सीजन लेवल की जांच करें। जांच के दौरान ऑक्सीमीटर में अपनी उंगली ठीक से सेट करें। ऐसा न करने पर रीडिंग गलत हो सकती है।
स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल 95 से 100 फीसदी के बीच होता है। 95 फीसदी से कम ऑक्सीजन लेवल इस बात का संकेत है कि उसके फेफड़ों में परेशानी हो रही है। ऑक्सीजन का स्तर अगर 94 से नीचे जाने लगे तो सचेत हो जाना चाहिए और अगर ये स्तर 93 या इससे नीचे हो जाए तो मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए क्योंकि ये संकेत है कि उसके शरीर की 8 फीसदी तक कोशिकाएं ऑक्सीजन का प्रवाह नहीं कर पा रही हैं।
मीडिया में मिली जानकारी के आधार पर डॉक्टरों अनुसार, अगर व्यक्ति चेहरे पर दो कपड़े के मास्क पहन लेता है तो वो हवा में फैले वायरस के कीटाणुओं से वह पूरी तरह सुरक्षित है। हाल ही में हुई एक रिसर्च में एक बात सामने आई है कि 5 माइक्रोन से छोटे वायरस के कण एरोसोल के रूप में हवा में बने रहते हैं। इनसे बचने के लिए मास्क की एक लेयर काफी नहीं है। इससे बचाव के लिए मास्क की डबल लेयर का होना जरूरी है। यही वजह है कि सर्जिकल मास्क के ऊपर कपड़े का मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है। सर्जिकल मास्क डिस्पोज़बल होने की वजह से बार-बार नहीं धोए जा सकते हैं लेकिन कपड़े का मास्क यूज करने के बाद धोकर दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इस लिहाज से सर्जिकल मास्क की तुलना में कपड़े का मास्क ज्यादा उपयोगी साबित हो रहा है।
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