कोरोना के बाद तेजी से बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के मामले

Share Product Published - 08 Jun 2021 by Tractor Junction

कोरोना के बाद तेजी से बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के मामले

इन 6 राज्यों में मरीजों की संख्या सबसे अधिक, मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा

देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में आ रही कमी से कुछ राहत मिली ही थी कि एक ओर बीमारी ब्लैक फंगस ने सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। एक ओर देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी आ रही है तो वहीं दूसरी ओर ब्लैक फंगस के मामलों में इजाफा हो रहा है। वहीं ब्लैक फंगस से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में दवा व इंजेक्शनों का अभाव भी बना हुआ है जिससे इसका इलाज करने में डॉक्टरों को परेशानी आ रही है। नतीजा यह हो रहा है कि कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस बीमारी से लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। हाल ही में हाईकोर्ट ने ब्लैक फंगस के इंजेक्शनों की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने को लेकर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई है। 

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देश में बढ़ रहा है ब्लैक फंगस का खतरा

मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ ही भारत में अब ब्लैक फंगस का खतरा भी बढ़ गया है। देश भर में अब तक 5,000 से ज्यादा ब्लैक फंगस के केस सामने आ चुके हैं। जानकारों के मुताबिक स्टेरॉयड के अधिक सेवन और अन्य तमाम दवाओं के चलते ब्लैक फंगस, वाइट फंगस या फिर येलो फंगस जैसी समस्या पैदा होती है। अब ब्लैक फंगस यानि म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. कई राज्यों ने ब्लैक फंगस को महामारी भी घोषित कर दिया है।


दिल्ली में ब्लैक फंगस के एक हजार से ज्यादा मामले, 89 की मौत

दिल्ली में ब्लैक फंगस के अब तक 1044 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 89 की मौत हो चुकी है और 92 स्वस्थ हुए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि किस बीमारी से मृत्यु दर 50 फीसदी से अभी अधिक हैं। बता दें कि इससे पूर्व राजस्थानी में 2 जून को 595, 1 जून को 601 और 28 मई को 475 सक्रिय मामले थे। 


राजस्थान में ब्लैक फंगस के मामले सबसे अधिक

राजस्थान में कोरोना संक्रमण पर तो लगाम लगने लगी है, लेकिन अब ब्लैक फंगस ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। राज्य में म्यूकोर्मिकोसिस यानी ब्लैक फंगस लोगों के लिए घातक हो रहा है। राज्य में अब तक ऐसे 1,524 मामले सामने आए है, जिसमें म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस के आए है। इनमें से जयपुर के 988 मामले हैं। इसके बाद जोधपुर में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। इस बीमारी के चलते अब तक प्रदेश में 74 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें से सबसे ज्यादा मौतें जयपुर में हुई हैं। शहर में म्यूकोर्मिकोसिस से 30 लोगों की जान चली गई, जबकि उदयपुर में 12 लोगों की और जोधपुर में 10 लोगों की मौत फंगस से हुई। कोटा में आठ, बीकानेर में छह, अजमेर, चित्तौडग़ढ़ और श्रीगंगानगर में दो-दो और झालावाड़ और भीलवाड़ा में एक-एक मौत हुई है। राज्य में म्यूकोर्मिकोसिस की मृत्यु दर कोविड -19 की पांच गुना है। जहां कोविड मृत्यु दर अब 1 प्रतिशत से भी कम है। वहीं म्यूकोर्मिकोसिस के लिए मृत्यु दर 4.8 प्रतिशत दर्ज की गई है। 


अब तक इन 6 राज्यों में ब्लैक फंगस के कुल मामले सबसे ज्यादा

देश के जिन राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले अब तक सबसे अधिक सामने आए हैं उनमें राजस्थान और दिल्ली सबसे आगे हैं। इसके बाद एमपी में इसके सबसे अधिक मामले देखे गए हैं जिनमें इंदौर और भोपाल में इस रोग से पीड़ितों की संख्या सबसे अधिक है। आइए एक नजर डालते हैं ब्लैक फंगस से प्रभावित इन 6 राज्यों में अभी तक मिले कुल मामलों और मौतों पर-

 

क्र. सं. राज्य कुल मामले मौतें
1 राजस्थान 1524 74
2 दिल्ली 1044 89
3 एमपी 600 32
4 हरियाणा  927 75
5. पंजाब 300 43
6 उत्तराखंड 244 27

 

इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में चार कोरोना मरीज जो ब्लैक फंगस (काला कवक) संक्रमण से भी पीड़ित थे, उनकी मौत हो गई। इनमें से कांगड़ा के दो मरीज और सोलन और हमीरपुर का एक-एक मरीज ब्लैक फंगस संक्रमण की चपेट में था।

 

गाजियाबाद में एक ही मरीज में मिले ब्लैक और व्हाइट फंगस के लक्षण

मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार गाजियाबाद के बाद अब राजधानी लखनऊ की एक मरीज में ब्लैक व वाइट फंगस की पुष्टि हुई है। दोनों तरह के फंगस ने बुजुर्ग महिला के चेहरे पर हमला बोला था। चेहरे पर बड़ा चीरा लगाकर जटिल ऑपरेशन कर महिला की जान बचाई गई। फंगस के प्रकार (वैरियंट) का पता लगाने के लिए नमूना प्रयोगशाला भेजा गया है। फैजाबाद निवासी सरस्वती वर्मा (63) अप्रैल के दूसरे सप्ताह में कोरोना पॉजिटिव हुई थीं। करीब 20 दिन बाद दोबारा जांच कराई गई। जिसमें उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आईं। परिवारजनों के मुताबिक संक्रमण के बाद बुजुर्ग की तबीयत में सुधार होने लगा। ठीक होने के एक सप्ताह बाद उनके चेहरे पर दर्द महसूस होने लगा। चेहरे में भारीपन, आंख व सिर दर्द शुरू हो गया। स्थानीय डॉक्टरों से इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।


इंजेक्शन की कमी बनी समस्या

दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों को इंजेक्शन की समस्या से जूझना पड़ रहा है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में भर्ती ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) से पीड़ित मरीजों को सिर्फ एक चौथाई इंजेक्शन पर काम चलाना पड़ रहा है। यहां भर्ती मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन लाइपोसोमाल एम्फोटेरेसिन-बी की भारी कमी है। हाल यह है कि दिन में एक मरीज को 50 एमजी वाले 5 से 7 ऐसे इंजेक्शन की जरूरत होती है, लेकिन उन्हें एक या दो ही इंजेक्शन दिन में मिल पा रहे हैं। यह हाल तब है जब यह इंजेक्शन खुले बाजार में उपलब्ध नहीं है। इसे केंद्र सरकार ही राज्यों को उपलब्ध करा रही है। 

 

राजस्थान सरकार ने केंद्र से किया इंजेक्शन का कोटा बढ़ाने का आग्रह

राज्य के अस्पतालों में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन व दवाओं की कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से ब्लैक फंगस के इलाज में काम में आने वाले इंजेक्शन का कोटा बढ़ाने का आग्रह किया है। चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने मीडिया को बताया कि ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने दो विशेष विमान से 2,350 इंजेक्शन वॉयल्स मंगवाई हैं। उन्होंने बताया कि 11 मई से केंद्र सरकार द्वारा ब्लैक फंगस के उपचार में काम आने वाले इंजेक्शन लिपोसोमोल एमफोटरसिन का आवंटन किया जा रहा है। इसमें 11 मई से 3 जून तक राजस्थान को 16 हजार की मात्रा तय की गई। इनमें से 13,350 का आवंटन कर दिया गया। बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए केंद्र सरकार से इंजेक्शन का कोटा बढ़ाने का आग्रह किया गया है। 


दवा की कमी पर दिल्ली हाईकोट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार

अस्पतालों में ब्लैक फंगस दवा की कमी को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय में दावा किया कि ब्लैक फंगस यानी म्यूकोर माइकोसिस बीमारी के इलाज में काम आने वाली दवाओं में से एक एम्फोटेरिसिन बी. बाजार में आसानी से उपलब्ध है। इस पर न्यायालय ने कहा कि यदि दवा बाजार में प्रचुर मात्रा में आसानी ने उपलब्ध होती तो इस बीमारी से इतनी मौतें नहीं होनी चाहिए थी। इस पर केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि लोग दवा की कमी से नहीं मर रहे हैं बल्कि ब्लैक फंगस बीमारी अपने आप में खतरनाक है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने ब्लैक फंगस के संभावित इलाज के विकल्पों पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीमआर) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों पर संतोष जताया। 


फंगस इंफेक्शन की आशंका के चलते इन दवाओं पर लगाई रोक

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 27 मई को जारी की गई संशोधित गाइडलाइंस के तहत बिना लक्षण व हल्के लक्षण वाले मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टरों की ओर से दी जाने वाली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, आइवरमेक्टिन, डॉक्सीसाइक्लिन, जिंक, मल्टीविटामिन और अन्य दवाओं को बंद कर दिया गया है। अब इन्हें सिर्फ बुखार के लिए एंटीपाइरेटिक और सर्दी जुकाम के लक्षण के लिए एंटीट्यूसिव ही दी जाएगी। जानकारों के मुताबिक स्टेरॉयड के अधिक सेवन और अन्य तमाम दवाओं के चलते ब्लैक फंगस, वाइट फंगस या फिर येलो फंगस जैसी समस्या पैदा होती है।

 

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