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कोरोना के बाद ब्लैक फंगल का खतरा

Share Product Published - 11 May 2021 by Tractor Junction

कोरोना के बाद ब्लैक फंगल का खतरा

जानें, क्या है ब्लैक फंगल और इसके लक्षण व उपचार?

कोरोना संक्रमण के बाद अब एक ओर बीमारी का खतरा देश पर मंडराने लगा है। इसे लेकर यहां के डॉक्टरों सहित सरकार की चिंता बढ़ गई है। अभी देश कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से पर भी काबू नहीं पाया है कि दूसरी बीमारी जिसे ब्लैक फंगल संक्रमण बताया जा रहा है उसकी दस्तक शुरू हो गई है। महाराष्ट्र और गुजरात में ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमेें इस बीमारी के लक्षण देखे गए है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार कवक (फंगल) संक्रमण ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ की वजह से आंखों की रोशनी गंवाने के मामलों में तेजी देखी जा रही है। यह कवक संक्रमण (म्यूकोरमाइकोसिस) गंभीर है। महाराष्ट्र और गुजरात के स्वास्थ्य अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि इस संक्रमण के मामले कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में बढ़ रहे हैं और जिसकी वजह से उनमें आंखों की रोशनी चले जाना सहित अन्य समस्याएं हो रही है। गुजरात में म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगल) के अब तक 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इसलिए आपको इसके बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है ताकि समय रहते उपचार कर इससे बचा जा सके।

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क्या है ब्लैक फंगल

म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का काफी दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इसे ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई के आंखों की रोशनी चली जाती है वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है। यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जो स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दवा पर हैं जो पर्यावरणीय रोगजनकों से लडऩे की उनकी क्षमता को कम करता है।


डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा खतरा

आम तौर पर जिन लोगों में इम्यूनिटी बहुत कम होती है, म्यूकोरमाइकोसिस उन लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाती है। कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है इसलिए वो आसानी से इसकी चपेट में आ जा रहे हैं। खासतौर से कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज है, शुगर लेवल बढ़ जाने पर उनमें म्यूकोरमाइकोसिस खतरनाक रूप ले सकता है।


ब्लैक फंगल के लक्षण

  • इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खूनी उल्टी और बदली हुई मानसिक स्थिति के साथ आंखों या नाक के आसपास दर्द और लाली दिखना शामिल हैं। 
  • वहीं स्किन पर ये इंफेक्शन होने से फुंसी या छाले पड़ सकते हैं और इंफेक्शन वाली जगह काली पड़ सकती है। 
  • कुछ मरीजों को आंखों में दर्द, धुंधला दिखाई देना, पेट दर्द, उल्टी या मिचली भी महसूस होती है। 
  • यह एक गंभीर लेकिन दुर्लभ कवक संक्रमण है, जिसके चलते कई रोगी दृष्टहीन हो गए हैं और इससे अन्य गंभीर दिक्कतें भी उत्पन्न हो रही हैं।


म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगल) के लक्षण दिखें तो क्या करें?

यदि आप को किसी में इस तरह के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए, तो एंटीफंगल दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है। जिन लोगों में यह स्थिति गंभीर हो जाती है, उनमें प्रभावित डेड टिशूज़ को हटाने के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। ध्यान रहे कि ऐसी समस्या आने पर बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं। 


क्या है ब्लैक फंगल का इलाज

वैसे तो इसका इलाज एंटीफंगल के साथ किया जाता है, लेकिन ब्लैक फंगल में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि डायबिटीज  को नियंत्रित करना, स्टेरॉयड का उपयोग कम करना और इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग ड्रग्स को बंद करना सबसे महत्वपूर्ण हैं। पर्याप्त हाइड्रेशन बनाए रखने के लिए, उपचार में कम से कम 4-6 सप्ताह के लिए एम्फ़ोटेरिसिन बी और एंटीफंगल थेरेपी से पहले नॉर्मल सलाइन (आईवी) शामिल हैं।


ब्लैक फंगल के मरीजों के लिए गुजरात में बनाया जा रहा है अलग वार्ड

कोविड-19 से ठीक हुए व्यक्तियों में म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगल के संक्रमण के मामले सब जगह देखने को मिल रहे हैं। मामलों में वृद्धि के बीच गुजरात सरकार ने ऐसे रोगियों के लिए अस्पतालों में अलग वार्ड स्थापित करना शुरू कर दिया है और इसके उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा की 5,000 शीशियों की खरीद की है। गुजरात में म्यूकरमाइकोसिस के अब तक 100 से अधिक मामले सामने आए हैं। राज्य सरकार के अनुसार वर्तमान में अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 19 रोगियों का इसके लिए इलाज किया जा रहा है। राज्य सरकार के अनुसार ऐसे मरीजों के इलाज के लिए अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 60 बिस्तर वाले दो अलग समर्पित वार्ड स्थापित किए गए हैं।


देश में कोरोना संक्रमितों का सिलसिला जारी, अब तक 2,26,62,410  पॉजिटिव

देश में कोरोना संक्रमितों का सिलसिला जारी है। अब तक 2,26,62,410 लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। रविवार को कोरोना संक्रमण के कुल 3,66,317 मामले आए। वहीं इस संक्रमण से मौतों के आंकड़ों में कुछ कमी देखी गई। रविवार को इस संक्रमण से  3747 लोगों की मौत हो गई। कोरोना वायरस संक्रमण के 3,66,317 नए मामले सामने आने के बाद अब देश में संक्रमित हुए लोगों की कुल संख्या बढक़र 2,26,62,410 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में 3747 और मरीजों की मौत होने के बाद कुल मृतक संख्या बढक़र 2,46,146 हो गई। देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या लगातार बढक़र 37,41,368 हो गई है, जो संक्रमण के कुल मामलों का 16.76 प्रतिशत है, जबकि संक्रमित लोगों के स्वस्थ होने की दर 82.15 प्रतिशत है। कोरोना से रविवार को एक दिन में 3.53 लाख लोग स्वस्थ हुए। देश में टीकाकरण की बात करें तो अब तक लोगों को टीके की 16.94 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं। वहीं 18 से 44 वर्ष की आयु समूह के 17,84,869 लोगों को टीके की पहली खुराक दी गई है।


इन दस राज्यों में कोरोना संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को मीडिया को बताया कि पिछले 24 घंटे में आए 3,66,317 मामलों में से 71.75 फीसदी, महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली समेत 10 राज्यों से हैं। सूची के अन्य 10 राज्यों में केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और हरियाणा हैं। 


पिछले पांच दिनों में देश में कोरोना संक्रमण के मामले आई कुछ कमी

देश में पिछले पांच दिनों के कोरोना संक्रमण के मामले देखें तो उनमें कुछ कमी देखी गई है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार 5 मई को देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 4,12,624, 6 मई को 4,14,280, 7 मई को 4,06,902, 8 मई को 4,03,626 तथा 9 मई को 3,66,317 कोरोना संक्रमित मिले। उपरोक्त आंकड़ों से देखा जा सकता है कि 6 मई के अलावा अन्य दिनों में कोरोना के मामले कम हुए है।

 

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