Published - 19 Jun 2020 by Tractor Junction
किसान भाइयों का ट्रैक्टर जंक्शन में स्वागत है। केंद्र सरकार ने किसानों के लिए बहुत सी योजनाएं चला रखी है जो किसानों को फायदा पहुंचा रही हैं। इसमें से एक योजना जो केंद्र सरकार की ओर से किसानों चलाई जा रही है वह है बीज गांव योजना। आज हम इसी योजना के बारें में चर्चा करेंगे कि केंद्र सरकार की इस गांव बीज योजना से जुडक़र किस प्रकार किसान लाभ उठा सकते हैं। केंद्र सरकार की इस योजना का मुख्य लक्ष्य किसान को आत्मनिर्भर बनाना है।
इस योजना के तहत सरकार की ओर से किसानों को फसल के बीज के उत्पादन में मदद की जाएगी जिससे किसान बीज के लिए किसी अन्य राज्यों पर निर्भर नहीं रहे और उसे गांव में बीज आसानी से उपलब्ध हो सकें । इस योजना में सरकारी की ओर से गांव में ही समूह बना कर किसानों प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें राज्य सरकार भी योजना को क्रियान्वयन में सहयोग प्रदान कर रही है। इससे वे अच्छी क्वालिटी के बीच उत्पादन कर स्वस्थ फसल की खेती कर सकेंगे। इससे किसानों के उत्पादन में तो बढ़ोतरी होगी ही साथ ही किसान के लिए बुवाई के समय बीज के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। वैसे ही किसान को कोरोना वायरस संक्रमण में लगे लॉकडाउन के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इसके बाद फसलों पर टिड्डी दल का हमला के कारण किसानों का आर्थिक नुकसान हो रहा है।
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ऐसे में फसल बुवाई के लिए छोटे किसानों का बाजार से बीज खरीदना मुश्किल हो रहा है। इस दौरान सरकार की यह योजना किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो रही है। कुल मिलाकर बीज ग्राम योजना किसानों को बीज उत्पादन के लिए प्रेरित करने एवं जागरूक करने के लिए बनाई गई है। इसी योजना की तर्ज पर राजस्थान में मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना शुरू की गई है, जो केंद्र की बीज योजना का ही समरूप है। इस योजना के तहत किसानों को मिनिकिट का वितरण भी किया जाता है। कोरोना वायरस व लॉकडाउन के चलते राजस्थान सरकार राज्य के किसानों को फ्री मक्का व बाजरा के बीज फ्री में उपलब्ध करा रही है। इच्छुक किसान इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। आइए जानते है किस प्रकार बीज गांव योजना और किसानों के लिए कार्य कर रही है और इस योजना से किसान कैसे फायदा उठा सकते हैं।
गांव बीज योजना के तहत आरएसएससी द्वारा दो-तीन गांवों का एक कलस्टर बनाकर 50 से 100 किसानों का समूह बनाया जाता है। इसके बाद समूह के प्रत्येक किसान को 0.1 हैक्टेयर में बुवाई के लिए अनुदान पर फाउंडेशन बीज दिया जा है, ताकि उत्पादन होने वाले सर्टिफाइड बीज को दुबारा बुवाई के काम में लिया जा सके। बीज उत्पादन के दौरान बुवाई से लेकर कटाई तक आरएसएससी द्वारा किसानों को प्रशिक्षिण दिया जाता है। इस योजना में किसान को राज्यवार चयनित तीन फसल बीजों पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इससे किसान स्वयं अच्छी किस्म के बीज का उत्पादन कर गुणवत्तापूर्ण फसल की खेती कर अपनी आय बढ़ा सके। इस योजना का मुख्य उदे्देश्य किसान को आत्मनिर्भर बनाना है।
गांव बीज योजना के तहत छोटे किसानों को पचास प्रतिशत तक अनुदान पर बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। वहीं सामान्य किसान को 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इसके अलावा खाद, दवा और कृषि यंत्र पर भी हर राज्य की सरकारें अपने नियमानुसार अनुदान पर देती है जो अलग-अलग राज्य के हिसाब से अलग-अलग हैं।
केंद्र सरकार की तर्ज पर ही राजस्थान में मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना शुरू की गई है। इसके तहत भी कृषि विभाग को लक्ष्य दिया जाता है, जिसके अनुसार कृषि विभाग द्वारा 30 से 50 किसानों का समूह बनाया जाता है। उनमें दो या तीन किसानों को आरएसएससी से निशुल्क बीज उपलब्ध करवाते हैं। बुवाई के बाद समूह के सभी किसानों को तीन प्रशिक्षण दिए जाते है। इसके बाद लाभान्वित किसानों द्वारा तैयार किए जाने वाले बीज को समूह के अन्य किसानों को विक्रय किया जाता है।
राज्य योजना, राष्ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पॉम मिशन तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत राजस्थान सरकार द्वारा मिनिकिट वितरण किया जाता है। मिनिकिट का आयोजन राजस्थान के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों के लिए फसल की उपज एवं गुणवत्ता के आधार पर किस्म चयन में सहायक होती है। कमजोर वर्ग के कृषकों को मिनिकिट के माध्यम से लाभान्वित किया जाता है।
मिनिकिट अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु एवं सीमान्त तथा गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले कृषकों को प्राथमिकता से मिनिकिट का वितरण किया जाता है। मिनिकिट महिला के नाम से दिये जाते है, चाहे भूमि महिला के पति/पिता/ससुर के नाम से हो। एक महिला को मिनिकिट का एक ही पैकेट दिया जाता है।
एक ही कृषक परिवार की अलग-अलग कृषक महिला सदस्य के नाम से मिनिकिट नहीं दिया जाएगा।
यदि किसी ग्राम पंचायत में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति के कृषक उपलब्ध नहीं हो तो सामान्य श्रेणी के महिला कृषकों में मिनिकिट वितरण किया जा सकता है।
मिनिकिट्स हेतु ऐसे कृषकों का चयन किया जाता है जिन्हें गत तीन वर्ष में मिनिकिट कार्यक्रम में लाभान्वित नहीं किया गया हो।
सिंचाई की सुविधा वाले कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।
सहायक निदेशक कृषि विस्तार के कार्यालय में संबंधित ग्राम पंचायत के कृषि पर्यवेक्षक के माध्यम से मिनीकिट के लिए आवेदन किया जा सकता है।
चयन हेतु पात्र महिलाओं की सूची कृषि पर्यवेक्षक द्वारा संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच एवं अन्य निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के साथ विचार विमर्श कर ग्रामवार बनाई जाती है।
चयन हेतु पात्र महिला कृषकों की सूची कृषि पर्यवेक्षक द्वारा लक्ष्य से 3 गुना अधिक महिलाओं की सूची बनाई जाती है तथा पात्र महिलाओं का चयन लाटरी पद्धति से किया जाता है।
समय अवधि: बुवाई समय 15 दिन से पूर्व।
कहां संपर्क करें-
ग्राम पंचायत स्तर पर - कृषि पर्यवेक्षक
पंचायत समिति स्तर पर - सहायक कृषि अधिकारी
उप जिला स्तर पर - सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) / उद्यान कृषि अधिकारी।
जिला स्तर पर - उप निदेशक कृषि (विस्तार) / उपनिदेशक उद्यान।
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