प्रकाशित - 24 Mar 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: इन दिनों मौसम में हो रहे बदलाव से देश में कई जगहों पर बेमौसमी बारिश व ओलावृष्टि की घटनाएं देखने को मिल रही है, जिससे किसानों की फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। इसी कड़ी में 22 मार्च 2025 तक हुई बेमौसमी बारिश व ओलावृष्टि से कई जिलों में किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है। इसे देखते हुए राज्य सरकार की ओर से किसानों के नुकसान की भरपाई करने के लिए मुआवजा दिए जाने का फैसला लिया है। जिसके लिए फसल नुकसान का सर्वे किया जा रहा है, ताकि किसानों की फसलों में हुए नुकसान की भरपाई कर उन्हें राहत पहुंचाई जा सके।
जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश के 12 जिलों में किसानों की फसलों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। मध्यप्रदेश में 22 मार्च तक बेमौसमी बारिश और ओलावष्टि हुई जिससे किसानों की खड़ी फसलों को नुकसान हुआ है। मध्यप्रदेश के जिन जिलों में किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है, उसमें शहडोल, सिंगरौली, उमरिया, मैहर, सागर, अनुपपुर, दमोह, जबलपुर, पन्ना, सिवनी, कटनी और डिंडौरी जिले शामिल हैं। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार कुल 12 जिलों की कुल 29 तहसीलों के कुल 275 गांव में 2160 किसानों की करीब 2194 हैक्टेयर में लगी फसल में नुकसान का आंकलन किया गया है। वहीं आकाशीय बिजली से 05 जनहानि, 16 पशुओं की हानि और 2 मकानों को नुकसान हुआ है। इसके अलावा किसानों को जल्द राहत पहुंचाने के लिए सर्वे का काम किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार सिंगरौली जिले की 3 तहसीलों के 50 गांवों में, मैहर जिले की 1 तहसील के 15 गांवों में, शहडोल जिले की 4 तहसील के 34 गांवों में, अनूपपुर जिले की 2 तहसीलों के 2 गांवों में, उमरिया जिले की 2 तहसील के 7 गांव में, दमोह जिले की 6 तहसीलों के 105 गांव में, पन्ना जिले की 2 तहसीलों के 2 गांव में, जबलपुर जिले की 1 तहसील के 2 गांव में, कटनी जिले की 2 तहसील में, सिवनी जिले की 1 तहसील के 10 गांव में, डिंडौरी जिले की 3 तहसील के 20 गांव में ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है। इसके अलावा सागर जिले की 2 तहसीलों के 2 गांव में 1 जनहानि तथा 2 पशु हानि हुई है। इन सभी जिलों में सर्वे का काम अभी जारी है।
विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024–25 के दौरान 21 मार्च 2025 तक अग्नि पीड़ितों को 16.02 करोड़ रुपए, ओलावृष्टि से क्षति होने पर 216.44 करोड़ रुपए, बाढ़ या अतिवृष्टि से क्षति होने पर 104.04 करोड़ रुपए, सर्पदंश से मृत्यु होने पर 98.51 करोड़ रुपए, पाला से क्षति होने पर 0.13 करोड़ रुपए, कीट प्रकोप से फसल क्षति के लिए 13.13 करोड़ रुपए, वन्य प्राणियों द्वारा फसल क्षति में 2.18 करोड़ रुपए, राजस्व पुस्तक परिपत्र में 6–4 के तहत अन्य मदों में 154.51 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इस प्रकार अब तक इन घटनाओं के लिए प्रदेश सरकार की ओर से 643.92 करोड़ रुपए आपदा प्रभावितों को वितरित की गई है।
प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को बेमौसमी बारिश व ओलावृष्टि से हुए नुकसान का सर्वे किया जा रहा है। ऐसे में जिन किसानों ने अपनी फसल का बीमा कराया हुआ है और उनकी फसलों को बेमौसमी बारिश या ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है। वे बीमित किसान नुकसान की सूचना कृषि रक्षक हेल्पाइन नंबर 14447 पर दे सकते हैं। इसके अलावा किसान अपनी बीमा कंपनी या अपने नजदीकी कृषि विभाग के अधिकारियों को भी 72 घंटे के अंदर सूचित कर सकते हैं।
स्थानीयकृत आपदाएं : सरकार व्यक्तिगत कृषि के आधार पर स्थानीयकृत आपदाओं के लिए प्रावधान करती है। अधिसूचित क्षेत्र में अलग–अलग कृषि भूमि को प्रभावित करने वाले ओलावृष्टि, भूस्खलन और बाढ़ जैसे स्थानीय खतरों से होने वाली हानि या क्षति जैसे जोखिम, इस कवरेज के तहत आते हैं, इन परिस्थितियों में किसान मुआवजे या फसल बीमा क्लेम लेने के हकदार होते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) के निमयों के अनुसार किसानों को 33 प्रतिशत या इससे अधिक फसल नुकसान होने पर मुआवजा या क्लेम दिया जाता है।
खड़ी फसल में उपज हानि होने पर: प्राकृतिक आग और बिजली, तूफान, ओलावृष्टि, बाढ़, बवंडर, भूस्खलन, कीट व रोग, सूखा आदि जैसे– गैर रोकथाम वाले जोखिमों के तहत आने वाली उपज हानि के मामलों में सरकार यह बीमा सुविधा प्रदान करती है। ऐसे में उपरोक्त कारणों से हुई हानि पर पीएम फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा या क्लेम मिलता है।
फसल के बाद नुकसान : सरकार व्यक्तिगत खेत के आधार पर फसलके बाद के नुकसान के लिए प्रावधान करती है। सरकार “कटाई और फैलाई” स्थिति में संग्रहित फसल के लिए, कटाई से अधिकतम 14 दिनों तक का कवरेज प्रदान करती है।
अधिसूचित क्षेत्र में किसी कारणवश बुवाई रोकना : ऐसे मामले भी सामने आ सकते हैं, जहां अधिसूचित क्षेत्रों में अधिकांश बीमाकृत किसान बुवाई करना चाहते हैं, जहां किसान बुवाई करना चाहते हैं, लेकिन प्रतिकूल मौसम की वजह से बीमाकृत फसलें बोने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है। ऐसे मामलों में प्रतिकूल मौसम में बुवाई का पूरा खर्च किसान को वहन करना पड़ता है। इसके बाद यदि फसल क्षति होती है तो प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत बीमित किसान बीमा राशि का अधिकतम 25 प्रतिशत तक क्षतिपूर्ति दावे के पात्र बन सकते हैं।
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