Published - 27 Nov 2021 by Tractor Junction
भारत सरकार ने ग्राम विकास और ग्रामीणों के उत्थान के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रखी हैं। इसका लाभ किसान सहित अन्य ग्रामीणों को मिल रहा है। सरकार की इन योजनाओं का फायदा सभी को मिल सके। इसके लिए जरूरी है कि आपको सरकार की इन योजनाओं के बारे में जानाकरी हो। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपको आज ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से सरकार की उन 10 योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं जिसे जानकर आप भी गांव के विकास में अपनी भागीदारी निभाते हुए इससे फायदा उठा सकते हैं। आइए जानते हैं इन 10 योजनाओं और इनसे मिलने वाले लाभों के बारे में।
स्वामित्व योजना शहरों की प्रॉपर्टी की तर्ज पर गांवों में भी प्रॉपर्टी के दस्तावेजों को सही ढंग से देने की योजना है। इस योजना का लक्ष्य देश के गांवों में लोगों को उनकी आवासीय जमीन का मालिकाना हक देना है। शुरुआती चरणों में यह योजना मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब सहित राजस्थान के कुछ गांवों में लागू की गई है। ये योजना पंचायती राज मंत्रालय के द्वारा संचालित की जा रही है। पीएम स्वामित्व योजना के अंतर्गत ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर उम्मीदवारों की सभी समस्याओं की जानकारी का उल्लेख होगा और साथ ही आप इस पोर्टल पर आप अपना ऑनलाइन भूमि से संबंधित सारी जानकारी देख सकते हैं। इसके तहत संपत्ति कार्ड का वितरण किया जाएगा। कार्ड प्राप्त होने से आपको आपके जमीन का मालिकाना हक मिल जाएगा। ग्रामीण इलाके में निवास करने वाले भूमि धारकों को सम्पति कार्ड के माध्यम से बैंक से लोन लेने में भी आसानी होगी। पोर्टल का नाम egramswaraj.gov.in है। देश के सभी लोग इस वेबसाइट से संबंधित मोबाइल ऐप को पोर्टल से भी डाउनलोड कर सकते हैं।
2. आयुष्मान भारत योजना- 5 लाख तक का कैश रहित स्वास्थ्य बीमा लाभ
आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, भारत सरकार की एक स्वास्थ्य योजना है, जिसे 1 अप्रैल, 2018 को पूरे भारत मे लागू किया गया था। 2018 के बजट सत्र में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस योजना की घोषणा की थी। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (बीपीएल धारक) को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत प्रत्येक बीपीएल परिवार को 5 लाख तक का कैश रहित स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाता है। 10 करोड़ बीपीएल धारक परिवार (लगभग 50 करोड़ लोग) इस योजना का प्रत्यक्ष लाभ उठा चुके हैं।
जल जीवन मिशन की शुरुआत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 15 अगस्त 2019 को की थी। इसका का संचालन पेयजल और स्वच्छता विभाग जल शक्ति विभाग द्वारा किया जा रहा है। जल जीवन मिशन का उद्देश्य राज्यों के उन ग्रामीण इलाकों में पानी की सुविधा उपलब्ध कराना है जहां पीनी की समस्या काफी गहराई हुई है। इस मिशन के तहत जिन इलाकों में पानी नहीं है वहां हर घर में पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा। इस मिशन को सरकार ने हर घर जल योजना का नाम भी दिया है। स्कीम का लाभ लेने के लिए उन लाभार्थियों को पात्र माना जाएगा जिनके घर में पानी का कनेक्शन नहीं है। इस स्कीम के लिए सरकार द्वारा इस मिशन के लिए 3.60 लाख करोड़ बजट देने का प्रावधान किया है। जिसमें राज्य सरकार व केंद्र सरकार द्वारा अलग-अलग बजट दिया जाएगा। अभी तक कुल 3.27 करोड़ ग्रामीण परिवारों को वाटर कनेक्शन प्रदान किया गया है।
4. कृषि अधोसंरचना निधि योजना- ऋण पर मिलती है तीन प्रतिशत छूट
कृषि अधोसंरचना निधि योजना की शुरुआत 2020 में की गई। इस योजना की अवधि वित्तीय वर्ष 2020 से 2029 (10 वर्ष) तक निर्धारित की गई है। इस योजना अंतर्गत कृषि अवसंरचना कोष बनाया गया है। इसके तहत एक लाख करोड़ रुपए की वित्तपोषण की सुविधा दी गई है। इस योजना के तहत ऋण पर ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट प्रदान किया जाएगा। साथ ही ऋण जारी करने वाली संस्था को 2 करोड़ रुपए तक के ऋण पर बैंक गारंटी सरकार द्वारा दी जाएगी। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए अगले चार वर्षों के दौरान एक लाख करोड़ रुपए का ऋण प्रदान किया जाएगा। इसके तहत वर्तमान/चालू वित्तीय वर्ष में 10,000 करोड़ रुपए के और अगले तीन वर्षों में 30,000 करोड़ रुपए (प्रतिवर्ष) की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना का लाभ ‘प्राथमिक कृषि साख समितियों, विपणन सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठन, स्वयं सहायता समूह, संयुक्त देयता समूह, बहुउद्देशीय सहकारी समितियों सहित कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप, एग्रीगेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स आदि को दिया जाएगा।
जिन लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं है और जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है और वे अपना घर नहीं बना पाते हैं। ऐसे जरूरतमंद लोगों के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना शुरू की गई है। इस योजना के माध्यम से राज्य के लोगों को घर बनाने के सरकार की ओर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती हैं। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्र के लोगों को 120,000 रुपए तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को 130,000 रुपए की वित्तीय सहायता उन्हें अपना घर बनाने के लिए प्रदान की जाती है। ऑफिशियल बेवसाइट https://pmayg.nic.in/ वेबसाइट पर जाएं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है। इसे 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपए की न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। 2010-11 वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए था। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को नरेगा कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पुन: नामकरण किया गया। इस योजना के तहत लाभार्थी को जॉब कार्ड प्रदान किया जाता है। ये कार्ड व्यक्ति को 100 दिन की रोजगार का अधिकार देता है।
सरकार की ओर से स्व-सहायता समूहों के सशक्तिकरण की योजना बनाई गई है। इसके तहत कई राज्यों के जिलों में महिला स्व-सहायता समूह गठित किए गए हैं। इन महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्कूल मध्यान्ह भोजन, आंगनबाड़ी पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, आंगनबाड़ी केंद्र के हितग्रहियों के लिए रेडी टू ईट एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य की दुकान के संचालन के साथ-साथ विभिन्न कार्यों को कार्य किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में जिलों से प्राप्त प्रतिवेदन अनुसार 68071 इस योजना के तहत लगभग 8.03 लाख महिलाएं संगठित हुई है, तथा इन समूहों द्वारा 53.08 करोड़ रुपए की राशि बचत की गई है। इस योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य असंगठित ग्रामीण महिलाओं को संगठित कर महिलाओं को समाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इस योजना के माध्यम से महिलाओं को समूह में छोटी-छोटी बचत करने तथा अपनी छोटी-मोटी जरूरतों की पूर्ति हेतु समूह में ही न्यूनतम दर पर लेन-देन हेतु सक्षम बनाने में सहयोग प्रदान किया जाता है।
भारत सरकार ने 25 दिसंबर 2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में 500 या इससे अधिक आबादी वाले (पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में 250 लोगों की आबादी वाले गांव) सडक़-संपर्क से वंचित गांवों को बारहमासी सडक़ों से जोडऩा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय से ही इसका नाम प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना है। इस स्कीम का सबसे बड़ा फायदा गांवों को होगा, जहां छोटे किसान शहरों से सीधे जुड़ सकेंगे और अपनी फसल बेच पाएंगे। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में सडक़ों को सही रखना यानि अगर किसी तरह की परेशानी से सडक़ खराब होती है तो उसका भी ख्याल रखा जाएगा।
स्वच्छ भारत मिशन भारत सरकार द्वारा आरंभ किया गया राष्ट्रीय स्तर का अभियान है। इसका उद्देश्य गलियों, सडक़ों तथा अधोसंरचना को साफ-सुथरा करना है। यह अभियान 2 अक्टूबर, 2014 को आरंभ किया गया। स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य व्यक्ति, क्लस्टर और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से खुले में शौच की समस्या को कम करना या समाप्त करना है। स्वच्छ भारत मिशन विसर्जन उपयोग की निगरानी के जवाबदेह तंत्र को स्थापित करने की भी एक पहल सरकार ने 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी के जन्म की 150वीं वर्षगांठ तक ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौंच मुक्त भारत (ओडीएफ) को हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना के तहत शौचालय निर्माण के लिए सरकार की ओर से राशि प्रदान की जाती है।
अनुसूचित जाति बाहुल्य गांवों का समेकित विकास करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत इन गांवों को अंतराल पूर्ति निधि के रूप में केंद्रीय सहायता औसतन 20 लाख रुपए प्रति गांव तक प्रदान करना है। इसके अलावा इसमें 5 लाख रुपए की अतिरिक्त राशि प्रदान की जा सकती है यदि राज्य भी तद्नुरूप अंशदान करता है। इस योजना के तहत उन कार्यकलापों को आरंभ करने के लिए अंतराल-पूर्ति घटक की उपलब्धता कराना है, जो केंद्र एवं राज्य सरकार की मौजूदा योजनाओं के तहत कवर नहीं होते हैं। बता दें कि प्रारंभ में यह योजना 5 राज्यों अर्थात असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान एवं तमिलनाडु के 1000 गांवों में प्रायोगिक आधार पर आरंभ की गई थी। इस योजना को बाद में दिनांक 22.01.2015 को संशोधित करते हुए असम, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, उत्तराखंड, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और हरियाणा के 1500 अनुसूचित जाति बाहुल्य गांवों में विस्तारित किया गया है।
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