प्रकाशित - 21 Jun 2024
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
कई बार किसानों को अपनी जमीन रेल पटरी, सड़क, एक्सप्रेसवे बनाने के लिए देनी पड़ती है जिसके एवज में सरकार या संबंधित कंपनी किसानों को मुआवजा देती है। ऐसा ही मामला यमुना एक्सप्रेसवे से सटे गौतम बुद्ध नगर, अलीगढ़ और आगरा के आसपास रहने वाले किसान परिवारों का है। इन किसानों से एक्सप्रेसवे बनाने के लिए 90 साल की लीज पर जमीन ली गई थी जिसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना था, लेकिन एक्सप्रेसवे का काम हाथ में लेने वाली कंपनी ने स्वयं को दिवालिया घोषित कर दिया जिससे किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया और मुआवजा 10 साल से लंबित चल रहा था जिसका समाधान अब हो रहा है। किसानों को मुआवजे की राशि चार किस्तों में देने का निर्णय लिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ने नोएडा से आगरा तक बनने वाली 160 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेसवे सड़क के निर्माण में डेवलपर की भूमिका निभाई थी। साल 2003 में हुए एक समझौते के अनुसार एक्सप्रेसवे के निर्माण के एवज में यमुना प्राधिकरण ने जेआईएल को 6,177 एकड़ जमीन दी थी। यह जमीन एक्सप्रेसवे से सटे पांच अलग-अलग जगहों पर किसानों से 90 वर्ष की लीज पर ली गई थी। जेआईएल इस जमीन को विभिन्न प्रोजेक्ट के तहत विकसित करने वाली थी। हालांकि इन पांच जगहों में से सिर्फ तीन जगहों पर ही कंपनी ने काम शुरू किया था। इसके बाद साल 2017 में कंपनी ने अपने आप को दिवालिया घोषित कर दिया था। हालांकि पिछले साल 7 मार्च को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने सुरक्षा रियेल्टी लिमिटेड की समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी जिससे किसानों को मुआवजा मिलना आसान हो जाए।
यमुना एक्सप्रेसवे से सटे गौतम बुद्ध नगर, अलीगढ़ और आगरा के आसपास रहने वाले करीब 10,000 किसानों को जल्द मुआवजा मिलने जा रहा है। यमुना प्राधिकरण ने कहा है कि वह सितंबर के बाद कुल बकाया 1689 करोड़ रुपए के 50 प्रतिशत राशि का भुगतान शुरू कर देगा, जो करीब 845 करोड़ रुपए है। जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के दिवालिया हो जाने के बाद से ही 10 सालों से यह मुआवजा लंबित था। राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश के अनुसार मुआवजा की जिम्मेदारी मुंबई स्थित सुरक्षा रियेल्टी पर है जिसने हाल ही में जेआईएल के दिवालिया होने के बाद उस कंपनी को टेकओवर किया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा रियेल्टी ने कुल बकाया मुआवजा राशि में से अपने हिस्से का करीब 37 प्रतिशत भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की है। जबकि इससे पहले कंपनी ने एनसीएलएटी के समक्ष 10 प्रतिशत का भुगतान करने का संकेत दिया था। इससे पहले 24 मई को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण ने सुरक्षा रियेल्टी को निर्देश दिया था कि वह किसानों को 1,334.31 करोड़ रुपए या कुल 1,689 करोड़ रुपए के अलावा मुआवजे का 79 प्रतिशत भुगतान करें। क्योंकि ट्रिब्यूनल ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) को एक सुरक्षित वित्तीय ऋणदाता घोषित किया था। शेष 355 करोड़ रुपए की राशि प्राधिकरण द्वारा वहन की जानी थी।
अधिकारियों ने कहा है कि किसानों को मुआवजे का भुगतान करने के लिए सुरक्षा रियेल्टी 490 करोड़ रुपए का भुगतान करेगी। इसके अलावा यमुना प्राधिकरण भी अपना हिस्से की राशि देगी। इस बड़ी राशि के भुगतान के बदले सुरक्षा रियेल्टी ने मांग की है कि यमुना प्राधिकरण उसके लिए जमीन पर कब्जा सुनिश्चित करे, साथ ही जिन किसानों ने अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर विभिन्न कोर्टों में मामले दर्ज किए हैं, उन्हें वापस लिया जाए। कंपनी की ओर से किसानों को चार किस्तों में मुआवजा राशि का भुगतान किया जाएगा। इसमें 2 किस्त 120 करोड़ रुपए की होगी और दो किस्त 302 करोड़ रुपए की होगी। भुगतान को लेकर अभी तक किसानों को भुगतान की समय सीमा तय नहीं की गई है।
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