Published - 31 Mar 2021 by Tractor Junction
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) से देश में नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और इसका लाभ इससे जुड़े 5,30,500 लोगों को मिलेगा। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की ओर से पूरे विकास और फूड प्रॉसेसिंग सेक्टर विकास के लिए प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना को लागू किया गया है। इस योजना से देश में 5,30,500 प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की संभावना है। इस योजना के तहत 32 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है जो देश के 17 जिलों चल रही है। इस योजना से देश के 20 लाख किसानों को लाभ होने की उम्मीद है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि न्यूनता पूर्ण करना, प्रसंस्करण का आधुनिकीकरण करना और कृषि-बर्बादी को कम करना है।
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भारत सरकार ने 14वें वित्त आयोग चक्र की सह-समाप्ति के साथ वर्ष 2016-20 तक की अवधि के लिए 6,000 करोड़ रुपए के आवंटन से एक नई केंद्रीय क्षेत्र स्कीम- प्रधान मंत्री किसान सम्पदा योजना (कृषि-समुद्री प्रसंस्करण एवं कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टर विकास स्कीम) को अनुमोदन किया है। इस स्कीम का कार्यान्वयन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। प्रधान मंत्री किसान सम्पदा योजना एक व्यापक पैकेज है जिसके परिणामस्वरूप खेत से लेकर खुदरा बिक्री केंद्रों तक दक्ष आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ आधुनिक अवसंरचना का सृजन होगा। इससे, देश में न केवल खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की वृद्धि को तीव्र गति प्राप्त होगी बल्कि यह किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने तथा किसानों की आय को दोगुना करने, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के भारी अवसरों का सृजन करने, कृषि उपज की बर्बादी में कमी लाने, प्रसंस्करण तथा प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात के स्तर को बढ़ाने की दिशा में मदद मिलेगी। बता दें कि पहले ये योजना कृषि-समुद्री प्रसंस्करण एवं कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर विकास स्कीम के नाम से थी। लेकिन 2017 में इसका नाम बदल दिया गया। अब ये योजना प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के नाम से जानी जाती है।
प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना के लिए 6,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। जिसमें देश में 31,400 करोड़ रुपए के निवेश के लैवरेज होने, 1,04,125 करोड़ रुपए मूल्य के 334 लाख मीट्रिक टन कृषि उत्पाद के संचालन, 20 लाख किसानों को लाभ प्राप्त होने और 5,30,500 प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की आशा है।
मेगा फूड पार्क स्कीम का उद्देश्य किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं तथा खुदरा विक्रेताओं को एक साथ लाते हुए कृषि उत्पादन को बाजार से जोडऩे के लिए एक तंत्र उपलब्ध कराना है ताकि मूल्यवर्धन को अधिकतम, बर्बादी को न्यूनतम, किसानों की आय में वृद्धि और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित करना सुनिश्चित किया जा सके। मेगा फूड पार्क स्कीम क्लस्टर दृष्टिकोण पर आधारित है और इसमें, पार्कों में सुस्थापित आपूर्ति श्रृंखला के साथ उपलब्ध औद्योगिक भूखंडों में आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों की स्थापना के लिए सुपरिभाषित कृषि/बागवानी जोन में अत्याधुनिक सहायक अवसंरचना के सृजन की परिकल्पना की गई है। मेगा फूड पार्क में संग्रहण केंद्रों, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्रों, केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्रों, शीत श्रृंखला और उद्यमियों द्वारा खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों की स्थापना हेतु 25-30 पूर्ण विकसित भूखंडों समेत आपूर्ति श्रृंखला अवसंरचना शामिल होती है। मेगा फूड पार्क परियोजना का कार्यान्वयन एक विशेष प्रयोजन उपाय (एसपीवी) द्वारा किया जाता है जो संस्थाएं अधिनियम के अंतर्गत एक पंजीकृत कॉरपोरेट निकाय होता है। राज्य सरकार, राज्य सरकार की संस्थाओं एवं सहकारिताओं को मेगा फूड पार्क परियोजना के कार्यान्वयन हेतु अलग से एसपीवी बनाने की जरूरत नहीं होती है। स्कीम दिशा-निर्देशों की शर्तों को पूरा करने के अध्यधीन एसपीवी को निधियां जारी की जाती हैं।
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