Published - 14 Jan 2021 by Tractor Junction
किसानों को प्राकृतिक आपदा जैसे- अति बारिश, आंधी, ओलावृष्टि, भूंकप आदि प्राकृतिक आपदा से फसल को हुई हानि की भरपाई के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की गई। सरकार ने इस योजना को 13 जनवरी, 2016 को लागू किया गया था। इस योजना ने 13 जनवरी 2021 को अपने पांच वर्ष पूरे कर दिए हैं। सरकार की ओर से शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य प्राकृतिक आपदा से हुए फसली नुकसान से किसानों को राहत प्रदान करना है।
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कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस योजना में साल भर में 5.5 करोड़ किसानों के आवेदन आते हैं। अब तक, योजना के तहत 90,000 करोड़ रुपए के दावों का भुगतान किया जा चुका है। आधार सीडिंग ने किसान के खातों में सीधे दावा निपटान में तेजी लाने में मदद की है। सरकार के अनुसार कोविड लॉकडाउन अवधि के दौरान भी लगभग 70 लाख किसानों को लाभ हुआ और इस दौरान 8741.30 करोड़ रुपए के दावे लाभार्थियों को हस्तांतरित किए गए। बता दें कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान के हिस्से के अतिरिक्त प्रीमियम का खर्च राज्यों और भारत सरकार द्वारा समान रूप से सहायता के रूप में दिया जाता है। पूर्वोत्तर राज्यों में 90 प्रतिशत प्रीमियम सहायता भारत सरकार देती है।
सरकार ने कहा है कि किसानों को इस योजना आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। पीएमएफबीवाई के तहत औसत बीमित राशि बढ़ाकर 40,700 रुपए कर दी गई है, जो पीएमएफबीवाई से पहले की योजनाओं में प्रति हेक्टेयर 15,100 रुपए थी। योजना में बुवाई से पूर्व चक्र से लेकर कटाई के बाद तक फसल के पूरे चक्र को शामिल किया गया है, जिसमें रोकी गई बुवाई और फसल के बीच में प्रतिकूल परिस्थितियों से होने वाला नुकसान भी शामिल है।
इस योजना में फरवरी 2020 में सुधार किया गया और लगातार सुधार के प्रयास किए गए। इसके तहत फसल बीमा को स्वैच्छिक कर दिया गया है। बता दें कि पहले सभी किसानों को अपनी फसल का बीमा कराना अनिवार्य था, लेकिन अब किसान की इच्छा पर निर्भर होगा कि वे अपनी फसल का बीमा कराना चाहता है या नहीं। इस बीमा योजना में बाढ़, बादल फटने और प्राकृतिक आग जैसे खतरों के कारण होने वाली स्थानीय आपदाओं और कटाई के बाद होने वाले व्यक्तिगत खेती के स्तर पर नुकसान को शामिल किया गया है। राज्यों को बीमा राशि को तर्कसंगत बनाने के लिए लचीलापन भी प्रदान किया गया है ताकि किसानों द्वारा पर्याप्त लाभ उठाया जा सके।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तहत किसानों को खरीफ की फसल के लिए 2 फीसदी प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5 फीसदी प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। पीएमएफबीवाई में प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हुई फसल के मामले में बीमा प्रीमियम को बहुत कम रखा गया है। इससे पीएमएफबीवाई तक हर किसान की पहुंच बनाने में मदद मिली है। इस योजना में वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए भी बीमा सुरक्षा प्रदान की जाती है। हालांकि इसमें किसानों को 5 फीसदी प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। भारतीय कृषि बीमा कंपनी (एआईसी या एआईसी) इस योजना को चलाती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए ऑफलाइन (बैंक जाकर) और दूसरा ऑनलाइन, दोनों तरीके से फॉर्म लिए जा सकते हैं। फॉर्म ऑनलाइन भरने के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं- http://pmfby.gov.in/. अगर आप फॉर्म ऑफलाइन लेना चाहते हैं तो नजदीकी बैंक की शाखा में जाकर फसल बीमा योजना का फॉर्म भर सकते हैं।
किसान की एक फोटो, किसान का आईडी कार्ड (पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड), किसान का एड्रेस प्रूफ (ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड)। अगर खेत आपका अपना है तो इसका खसरा नंबर / खाता नंबर का पेपर साथ में रखें। खेत में फसल की बुवाई हुई है, इसका सबूत पेश करना होगा, इसके सबूत के तौर पर किसान पटवारी, सरपंच, प्रधान जैसे लोगों से एक पत्र लिखवा ले सकते हैं। अगर खेत बटाई या किराए पर लेकर फसल की बुवाई की गई है, तो खेत के मालिक के साथ करार की कॉपी की फोटोकॉपी जरूर ले जाएं, इसमें खेत का खाता/ खसरा नंबर साफ तौर पर लिखा होना चाहिए। फसल को नुकसान होने की स्थिति में पैसा सीधे आपके बैंक खाते में पाने के लिए एक रद्द चेक लगाना जरूरी है।
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