पीएम कुसुम योजना : अब फीडर स्तर के सौर संयंत्र लग सकेंगे

Share Product Published - 07 Dec 2020 by Tractor Junction

पीएम कुसुम योजना : अब फीडर स्तर के सौर संयंत्र लग सकेंगे

पीएम कुसुम योजना की गाइडलाइन : 30 से 50 फीसदी तक मिलेगी सरकारी सहायता

देश में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान (पीएम-कुसुम) से सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य हर खेत में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का है। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जा रही है। अब केंद्र सरकार ने पीएम कुसुम-योजना के तहत फीडर स्तर पर सौर संयंत्र (सोलराइजेशन) लगाने के संदर्भ में राज्य सरकारों से परामर्श के बाद नई गाइडलाइन जारी की है। इस योजना का उद्देश्य किसानों की सौर ऊर्जा क्षमता विकसित करके उन्हें वित्तीय और जल सुरक्षा उपलब्ध कराना है। इसके जरिए 2022 तक 25 हजार 750 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

 

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जानें, क्या है पीएम कुसुम योजना / कुसुम योजना 

सरकार ने फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना शुरू करने की मंजूरी दी थी। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (रूहृक्रश्व) द्वारा प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (प्रधानमंत्री-कुसुम) योजना को 2020 में ही शुरू किया गया है। केंद्र सरकार की इस योजना के जरिए किसान अपनी जमीन पर सोलर पंप और पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते है। केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के तहत देशभर में सभी बिजली व डीजल से चलाए जाने वाले पंप को सोलर उर्जा से चलाया जा सके।

 


पीएम-कुसुम योजना के घटक

पीएम-कुसुम योजना के तहत तीन घटक हैं। घटक-ए में विकेंद्रित जमीन पर ग्रिड से जुड़ा नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र का लगाया जाना शामिल हैं। घटक-बी में एकल आधार पर सौर बिजली चालित कृषि पंप तथा घटक-सी के तहत कृषि पंपों के लिये ग्रिड कनेक्टेड संयंत्र का प्रावधान शामिल किया गया है। अब नए दिशानिर्देश के तहत वितरण कंपनी / बिजली विभाग संबंधित क्षेत्र में फीडर स्तर पर संयंत्र के लिये क्रियान्वयन एजेंसी होंगे। अतिरिक्त सौर बिजली का उपयोग आसपास के ग्रामीण / शहरी क्षेत्र को आपूर्ति में किया जा सकता है।


पीएम कुसुम योजना की नई गाइडलाइन

पीएम-कुसुम योजना का ‘सी’-घटक ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों को फीडर स्तर के सौर संयंत्र ( सोलराइजेशन) उपलब्ध कराता है। इसके तहत प्रत्येक कृषि पंप के लिये अलग पैनल के बजाए एक ही सौर बिजली संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसकी क्षमता इतनी होती है कि यह कृषि फीडर या कई फीडरों को बिजली आपूर्ति कर सकता है। फीडर स्तर के इस सोलराइजेशन से मितव्ययता और बेहतर दक्षता प्राप्त की जा सकेगी। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि राज्यों के साथ हुई चर्चा के आधार पर पीएम-कुसुम योजना के घटक-सी के तहत फीडर स्तर के सौर संयंत्र को भी शामिल करने का निर्णय किया गया है।


पीएम कुसुम योजना में सरकारी सहायता / पीएम कुसुम योजना में सब्सिडी 

इसके तहत कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से चलाने के लिए सरकार की ओर से 60 फीसदी तक अनुदान दिया जाता है। इस योजना को राज्य सरकार के विभागों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है जिसमें किसानों को केवल बाकी का 40 फीसदी ही विभाग को जमा करवाना होता है। इन विभागों का विवरण MNRE की वेबसाइट https://mnre.gov.in/ पर उपलब्ध है।

नई गाइडलाइन के बाद फीडर-स्तर के सौर बिजली संयंत्र लगाने के लिये, केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) 30 प्रतिशत ( पूर्वोत्तर राज्यों, पहाड़ी / केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में 50 प्रतिशत ) होगी जबकि शेष नबार्ड/पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन/आरईसी से कर्ज के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। इसमें परियोजना लगाने वाली इकाई का चयन 25 साल के लिये निम्न शुल्क दर के आधार पर किया जाएगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि देश में विनिर्मित सौर पैनल, सौर सेल और मोड्यूल्स का उपयोग करना अनिवार्य होगा।

 

 

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