Published - 01 Oct 2020 by Tractor Junction
तमिलनाडु के बाद उत्तरप्रदेश में पीएम किसान सम्मान निधि योजना में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद केंद्र सरकार ने पीएम किसान योजना के लाभार्थियों का फिजिकल वेरिफिकेशन करने के आदेश सभी राज्यों सरकारों को दिए हैं ताकि इस योजना में सुरक्षा और पारदर्शिता दोनों बनी रहे। हाल ही में उत्तरप्रदेश में पीएम सम्मान निधि योजना का मामला सामने आने पर यह निर्णय सरकार को लेना पड़ा। ताजा मामले के अनुसार उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसमें कृषि विभाग द्वारा 740 मृतक किसानों के खाते में सम्मान निधि की राशि भेजी जा रही थी। बता दें कि बलरामपुर में करीब 2.76 लाख किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ दिया जाना है, जिसमें से करीब 2.53 लाख किसानों को सम्मान निधि दिए जाने का दावा कृषि विभाग कर रहा है। लेकिन इस सम्मान निधि का लाभ मृतक भी ले रहे हैं, खबरों की मानें तो इस योजना में करीब 740 मृत किसान को लाभ पहुंचाया जा रहा है।
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मामले का खुलासा तब हुआ जब शासन में की गई एक शिकायत के बाद विभाग ने जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि 740 मृत किसान तो योजना का लाभ ले ही रहे थे। साथ ही 67 किसान ऐसे हैं, जिन्होंने अलग-अलग नाम, पता, आधार और बैंक खाते से रजिस्ट्रेशन करा लिया और विभागीय मिलीभगत से इनका सत्यापन भी हो गया। इसके बाद इन्हें दोहरा लाभ मिलने लगा। इस मामले को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लेते हुए पीएम किसान योजना में लाभार्थियों का वेरिफिकेशन कराना जरूरी कर दिया है और इसकी ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंपी है ताकि इस पीएम किसान निधि योजना का लाभ पात्र लाभार्थियों को मिल सके। बता दें कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना भारत सरकार की ऐसी योजना है जिसमें मिलने वाली 6,000 रुपए राशि सीधी किसान के खाते में जाती है जिसे केंद्र सरकार की ओर से सालाना 2,000 हजार की चार किस्तों में दिया जाता है।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से पीएम-किसान योजना के लाभार्थियों का फिजिकल वेरिफिकेशन करने को कहा है। राज्यों को इस योजना के 5 फीसदी लाभार्थियों का वेरिफिकेशन करना होगा। राज्य सरकार लाभार्थियों के डेटाबेस से वेरिफिकेशन के लिए किसी नाम का चुनाव कर सकती है। इसका मकसद यह पता लगाना है कि स्कीम का पैसा सही व्यक्ति के पास पहुंच रहा है या नहीं। इस बात की शिकायतें मिली हैं कि स्कीम के तहत कुछ पैसा उन किसानों को मिला है, जो इसके दायरे से बाहर हैं।
कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि कैग की तरफ से इस योजना की ऑडिट की जा रही है। हमने राज्यों से पेमेंट डिटेल देने को कहा है। उन्हें 5 फीसदी लाभार्थियों का फिजिकल वेरिफिकेशन करने को भी कहा गया है कि ताकि पता लग सके कि कहीं पैसा गलत व्यक्ति के पास तो नहीं जा रहा है। राज्य सरकारें किसी भी लाभार्थी का चुनाव कर उसके घर जाकर तथ्यों की जांच कर सकती हैं।
केंद्र सरकार पहले से राज्य सरकारों से बातचीत कर ऐसी व्यवस्था तैयार कर रही है, जिससे उन लाभार्थियों की पहचान हो सके, जो इसके दायरे में नहीं आते हैं। कृषि मंत्रालय के अधिकारी ने मीडिया को बताया कि सरकार को जानकारी मिली है कि केंद्र और राज्य सरकारों के कई कर्मचारी और रिटायर्ड कर्मचारी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने केंद्र सरकार के कर्मचारियों का डेटा साझा करने के लिए वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम को लिखा है। हम इसका मिलान पीएम किसान योजना के लाभार्थियों के साथ करेंगे। हम इस बारे में राज्य सरकारों को भी लिखा जाएगा।
पीएम सम्मान निधि योजना ( Pradhan Mantri Kisan Yojana ) में दिए गए नियमों के अनुसार इनकम टैक्स चुकाने वाले, सरकार नौकरी करने वाले, सरकारी नौकरी से रिटायर हो चुके ( ग्रुप डी छोड़कर ) और पेशेवर इस योजना का लाभ नहीं ले सकते हैं।
पीएम-किसान योजना स्कीम फरवरी 2019 में शुरू हुई थी। तब से सरकार किसानों के बैंक खातों में 93,000 करोड़ रुपए से ज्यादा रकम ट्रांसफर कर चुकी है। कृषि मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि सबसे ज्यादा लाभार्थी उत्तर प्रदेश के है जिनके खातों में करीब 2.64 करोड़ रुपए की राशि ट्रांसर्फर की गई। इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है, यहां लाभार्थियों के खातों में इस योजना के तहत 1.10 करोड़ रुपए उनके खातों में पहुंचे। तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश जहां इस योजना के 81 लाख लाभार्थी हैं। केंद्र सरकार इस योजना के क्रियान्वयन में खामी का पता लगाना चाहती है। इसके लिए केंद्र सरकार ने इसके लाभार्थियों का वरिफिकेशन करने के निर्देश दिए हैं।
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