Published - 22 May 2020 by Tractor Junction
ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है। आज हर किसान परिवार का कोई न कोई सदस्य शहरों में कोरोना लॉकडाउन के कारण समाप्त हुए रोजगार के कारण वापस गांव लौट आया है। ऐसे में केंद्र सरकार ने गांव लौटे हुए किसान परिवार के हर कमाऊ सदस्य (प्रवासी मजदूरों) को छह हजार रुपए देने की योजना शुरू की है। किसान परिवार के इन सदस्यों पीएम किसान योजना से जोडक़र छह हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। ट्रैक्टर जंक्शन आज आपको बता रहा है कि आज कैसे इस योजना में अपना नाम जुड़वाकर छह हजार रुपए प्राप्त कर सकते हैं।
सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के हवाले से मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार मजदूर के नाम पर कहीं खेत होना चाहिए। अब रजिस्ट्रेशन के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं। खुद ही स्कीम की पीएम किसान की वेबसाइट पर जाकर इसके फार्मर कॉर्नर के जरिए आवेदन किया जा सकता है। शर्तें पूरी करने वाला मजदूर रजिस्ट्रेशन करवाए, सरकार पैसा देने का तैयार है।
इस योजना में परिवार का मतलब है पति पत्नी और 18 साल से कम उम्र के बच्चे। उसके अलावा अगर किसी का नाम खेती के कागजात में है तो उसके आधार पर वो अलग से लाभ ले सकता है। भले ही वो संयुक्त परिवार का हिस्सा ही क्यों नहीं हो।
इसके लिए आवेदक का खेती के कागजात (रेवेन्यू रिकॉर्ड) में नाम होना जरूरी।
इस योजना में शामिल होने के लिए स्कीम की वेबसाइट https://pmkisan.gov.in/ पर जाकर इसके फार्मर कॉर्नर के जरिए आप आवेदन कर सकते हैं।
इस योजना को शुरू हुए करीब 17 माह का समय हो गया है लेकिन इसमें लाभार्थियों का आंकड़ा 10 करोड़ तक को भी नहीं छू पाया है। अब तक सिर्फ 9.65 करोड़ किसानों को ही इस योजना का लाभ मिल पाया है। जबकि पीएम किसान योजना के लिए 75 हजार करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। सरकार का लक्ष्य देश के 14.5 करोड़ किसानों को इससे जोडऩे का है। ऐसे में यदि प्रवासी मजदूर योजना में रजिस्ट्रेशन करवाते हैं तो उन्हें भी लाभ मिल सकता है।
कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए मोदी सरकार ने मनरेगा का बजट बढ़ा दिया है ताकि विभिन्न राज्यों से पलायन करके आए मजदूरों को अपने गांव में ही का मिल सके। वित्तीय वर्ष 2020-21 में अब इस पर 1,01,500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। जबकि पिछले वर्ष इस पर 71 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे। हालांकि 2020-21 के बजट में सरकार ने 61,500 करोड़ रुपये का बजट ही घोषित किया था। गौरतलब है कि साल 2006 में मनरेगा शुरू होने के बाद पहली बार इसका बजट एक लाख करोड़ रुपए के पार पहुंचा है।
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