गन्ना उत्पादन बढ़ाने को लेकर सरकार का बड़ा फैसला, चीनी मिलों में होगी आधुनिक जैविक तकनीकों की शुरुआत

Share Product प्रकाशित - 13 Jun 2025 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

गन्ना उत्पादन बढ़ाने को लेकर सरकार का बड़ा फैसला, चीनी मिलों में होगी आधुनिक जैविक तकनीकों की शुरुआत

टिश्यू कल्चर से लेकर मृदा परीक्षण और बायो पेस्टीसाइड तक, अब गन्ना किसानों को मिलेंगे रोगमुक्त बीज

Gov. Big Decision for Sugarcane Production: उत्तर प्रदेश के गन्ना (Sugarcane) किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। गन्ना उत्पादन को बढ़ाने और खेती को अधिक टिकाऊ व लाभकारी बनाने के लिए राज्य सरकार ने व्यापक योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस दिशा में गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने सभी चीनी मिल समूहों और क्षेत्रीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर उन्हें आधुनिक जैविक तकनीकों को अपनाने के निर्देश दिए हैं।

सरकार का उद्देश्य प्रदेश में गन्ने की खेती (Sugarcane Cultivation) को बढ़ावा देना है। सरकार चाहती है कि किसानों को स्वस्थ, रोगमुक्त और हाई क्वालिटी वाले गन्ने के बीज मिलें ताकि उत्पादन लागत घटे और गन्ने की पैदावार में बढ़ोतरी हो। इसके लिए टिश्यू कल्चर, मृदा परीक्षण और जैव उर्वरक जैसी तकनीकों को प्राथमिकता दी जा रही है।

वर्तमान में यूपी में कितनी हैं चीनी मिलें

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है और यहां कुल 120 से अधिक चीनी मिलें संचालित हो रही हैं। इनमें से अधिकांश मिलें पश्चिमी और मध्य यूपी के जिलों में स्थित हैं। इन मिलों के माध्यम से लाखों किसानों की आजीविका जुड़ी हुई है।

राज्य में अभी कितना हो रहा गन्ने का उत्पादन

वर्तमान में उत्तर प्रदेश में सालाना 1000 से 1100 मिलियन टन तक गन्ने का उत्पादन हो रहा है। प्रदेश के करीब 50 लाख किसान गन्ने की खेती से सीधे जुड़े हैं। सरकार का लक्ष्य है कि उन्नत बीज और उर्वरक तकनीकों से आने वाले सालों में यह उत्पादन और बढ़ाया जा सके।

प्रदेश में किसानों को गन्ना भुगतान की क्या है स्थिति

गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। वर्ष 2023–24 के सीजन में प्रदेश की अधिकांश चीनी मिलों ने किसानों का 85% से अधिक भुगतान कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं और संबंधित विभागों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

टिश्यू कल्चर से तकनीक से क्या होगा किसानों को लाभ

टिश्यू कल्चर तकनीक के जरिए हाई क्वालिटी वाले और रोग रहित बीजों का त्वरित उत्पादन संभव हो सकेगा। यह तकनीक न केवल गन्ने की नई किस्मों (New varieties of sugarcane) को जल्दी विकसित करने में सहायता करेगी, बल्कि किसानों को बार-बार बीज बदलने की भी आवश्यकता नहीं होगी। इससे गन्ने की उत्पादकता में स्वाभाविक रूप से बढ़ोतरी होगी।

मृदा परीक्षण से रुकेगा उर्वरकों का दुरुपयोग

चीनी मिलों के माध्यम से अब हर क्षेत्र में मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड दिए जाएंगे और मिल क्षेत्रों का फर्टिलिटी मैप भी तैयार किया जाएगा। इससे किसानों को यह पता चलेगा कि उनकी जमीन की उर्वरता कैसी है और उसमें कौन-से उर्वरक की जरूरत है। इससे उर्वरकों के दुरुपयोग पर रोक लगेगी और खर्च में भी कमी आएगी।

बायो-उर्वरकों और जैव कीटनाशकों को मिलेगा बढ़ावा

रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण दोनों को नुकसान हो रहा है। इसे रोकने के लिए अब जैव उर्वरकों और बायो पेस्टीसाइड्स को बढ़ावा दिया जाएगा। प्रत्येक चीनी मिल क्षेत्र में बायो-उर्वरक व जैव कीटनाशक प्रयोगशालाएं स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों को किसानों को इनका उपयोग करने के लिए प्रेरित करने को कहा गया है।

चीनी मिलें बनेंगी तकनीकी नवाचार का केंद्र

राज्य सरकार चाहती है कि प्रदेश की चीनी मिलें अब सिर्फ गन्ना खरीद तक सीमित न रहें, बल्कि वे किसानों को प्रशिक्षण, बीज उत्पादन, जैविक खाद वितरण और मृदा परीक्षण जैसी सेवाएं भी दें। इससे मिलें एक संपूर्ण कृषि नवाचार केंद्र बन सकेंगी और किसानों को सभी तकनीकी सहायता एक ही छत के नीचे मिल सकेगी।

गन्ना किसानों की सरकार से क्या है उम्मीदे

गन्ना किसानों को सरकार से कुछ उम्मीदे है, जैसे सभी क्षेत्रों में मृदा परीक्षण सुविधा समय पर शुरू हो, जैविक बीज और उर्वरकों की उपलब्धता बढ़े, चीनी मिलों का भुगतान तंत्र और पारदर्शी व तेज हो तथा गन्ने की नई किस्मों की जानकारी समय पर किसानों तक पहुंचे ताकि वे इसका लाभ उठा पाएं। इधर गन्ना विभाग की यह पहल प्रदेश के कृषि जगत को एक नई दिशा दे सकती है। टिश्यू कल्चर, मृदा परीक्षण, बायो पेस्टीसाइड्स और जैव उर्वरकों का उपयोग सिर्फ उत्पादन नहीं बढ़ाएगा, बल्कि खेती को लाभकारी, पर्यावरण के अनुकूल बनाने में सहायता करेगा।

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