Published - 04 Dec 2021 by Tractor Junction
सरकार की ओर से दूध उत्पादन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई योजनाएं चलाई जा रही है जिसका फायदा किसानों को मिल रहा है। इसी क्रम में मध्यप्रदेश को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन की ओर से दुग्ध समितियों के सदस्यों और उनके परिवार के लिए सांची चिकित्सा सहायता बीमा योजना स्वीकृत की गई है। योजना में दुग्ध प्रदायक सदस्यों और उनके आश्रित परिजनों को सामान्य बीमारी के उपचार के लिए एक लाख रुपए और गंभीर बीमारियों के लिए 2 लाख रुपए प्रति परिवार प्रतिवर्ष बीमा राशि का प्रावधान है। बीमा राशि का भुगतान न्यू इंडिया इंश्योरेंश कंपनी करेगी। योजना में दुग्ध प्रदायक सदस्यों एवं उन पर आश्रित 3 परिजनों को लाभान्वित किया जाएगा। परिजनों में पति या पत्नी और 3 माह से 25 वर्ष तक की आयु के 2 बच्चे शामिल हैं।
मध्यप्रदेश के किसानों को पशुधन बीमा योजना का लाभ भी मिल रहा है। इसके तहत पशुपालक किसानों को 70 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसमें एपीएल श्रेणी (गरीबी रेखा से ऊपर) के अंतर्गत आने वाले पशुपालकों को 50 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति,ओबीसी और अन्य पिछड़ा वर्ग को 70 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। योजना के तहत एक से तीन वर्ष की अवधि तक बीमा का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। पशु की मौत होने पर 24 घंटे के अंदर विभाग को सूचना देने पर पशुधन बीमा का लाभ प्रदान किया जाता है।
पशुधन बीमा योजना के तहत किसान सभी तरह के पशुओं का बीमा करा सकते हैं। इसमें दुधारू देशी/संकर गाय व भैंस का बीमा कराकर लाभ लिया जा सकता है। इसके अलावा योजना में अन्य जानवर जैसे- घोड़ा, गधा, ऊंट, नर-गौवंश / भैंस वंश, बकरी, भेड़, सूअर, खरगोश आदि पशुओं का बीमा कराया जा सकता है।
पशुधन बीमा योजना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, बीपीएल श्रेणी के पशुपालकों को पशु निर्धारित प्रीमियम राशि का महज 30 प्रतिशत जमा कराना होगा। शेष 70 प्रतिशत प्रीमियम सरकार करवाएगी। वहीं एपीएल और बीपीएल श्रेणी के पशुपालकों को 50 प्रतिशत प्रीमियम जमा करवाना होगा। बीमा प्रीमियम राशि एक वर्ष की अवधि के लिए 3 प्रतिशत और तीन वर्ष की अवधि के लिए 7 प्रतिशत होगी। इस योजना के तहत गाय के न्यूनतम कीमत तीन हजार रुपए प्रति लीटर दूध उत्पादन तथा भैंस की न्यूनतम 4 हजार रुपए प्रति लीटर दूध उत्पादन की दर से निर्धारित की जाएगी।
पशुधन बीमा योजना के लिए कुछ पात्रता निर्धारित की गईं हैं जो इस प्रकार से हैं।
पशुधन बीमा योजना में आवेदन करने के लिए आपको कुछ दस्तावेजों की आवश्यता होगी जो इस प्रकार से हैं-
• आवेदन करने वाले व्यक्ति का आधार कार्ड
• आवेदक की श्रेणी के अनुसार श्रेणी कार्ड, जैसे- एपीएल/बीपीएल
• पाले गए पशु से संबंधित विवरण, जैसे पशु की स्वास्थ्य रिपोर्ट
• आवेदक का मूल निवास प्रमाण पत्र
• आवेदन करने वाले व्यक्ति का पहचान पत्र
• आवेदक का मोबाइल नंबर
• बैंकपास बुक की प्रथम पृष्ठ की कॉपी
पशुपालक को बीमा करवाने के लिए नजदीकी पशु चिकित्सालय जाकर प्रस्ताव पत्र और स्वीकृति पत्र भरना होगा। इसके बाद अपने हिस्से की प्रीमियम राशि सर्विस टैक्स सहित बीमा कंपनी के प्रतिनिधि, अभिकर्ता, संबंधित पशु चिकित्सक अधिकारी के पास जमा करानी होगी। बीमित पशु की पहचान के लिए पशु के टैग लगाया जाएगा।
पशुधन बीमा योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पशु की मौत के 24 घंटे के भीतर विभाग को सूचित करना होगा। इसके बाद विभाग के अधिकारियों द्वारा पशु की मृत्यु के कारणों की जांच की जाएगी। मृत्यु के कारणों की जांच सफल होने के बाद एक माह के अंदर विभाग को बीमा प्रस्तुत करना होगा। 15 दिन के भीतर विभाग को रिपोर्ट भेजे जाने पर पशुपालक किसान को बीमा क्लेम राशि प्रदान की जाएगी।
पशुबीमा योजना अतिरिक्त राज्य के पशुपालक किसानों के लिए मैत्री योजना और राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना का संचालन भी किया जा रहा है। इनके बारें में किसानों को जानकारी होनी चाहिए ताकि वे इन योजनाओं से लाभान्वित हो सकें।
यह योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही एनपीबीबी योजना अंतर्गत वर्ष 2014-15 से संचालित है। इस योजना के तहत गौसेवकों को चार माह का कृत्रिम गर्भाधान का प्रशिक्षण दिया जाता है। जिसमें 1 माह का सैद्वांतिक प्रशिक्षण कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थानों में एवं 3 माह का प्रायोगिक प्रशिक्षण जिलों के कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों/पशु चिकित्सालयों में दिया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान प्रति प्रशिक्षणार्थी राशि 4000 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से कुल 4 माह की प्रशिक्षण अवधि हेतु कुल राशि 16000 रुपए स्टाईफंड के रूप में दी जाती है। प्रशिक्षण उपरांत उन्हें कृत्रिम गर्भाधान किट प्रदाय की जाती है ताकि वह क्षेत्र में जाकर कृत्रिम गर्भाधान कार्य एवं अन्य कार्य प्रारंभ कर सकें। मैत्री द्वारा कार्य प्रांरभ करने के बाद उन्हें 3 वर्षों के लिए टेपरिंग ग्रांट दिए जाने का प्रावधान है। जिसमें प्रथम वर्ष में राशि 1500 रुपए प्रतिमाह, द्वितीय वर्ष में राशि 1200 रुपए प्रतिमाहएवं तृतीय वर्ष में 800 रुपए प्रतिमाह टेपरिंग ग्रांट के रूप में दी जाती है।
भारत सरकार द्वारा समस्त वर्गों के बी.पी.एल. हितग्राहियों के लिये 60 प्रतिशत केंद्रांश, 20 प्रतिशत राज्यांश तथा 20 प्रतिशत हितग्राही अंश पर प्रदेश में संचालित है। योजना के अंतर्गत प्रत्येक हितग्राही को बिना लिंग भेद वाले 4 सप्ताह के लो-इनपुट टेक्नोलॉजी के 45 पक्षी दो चरणों मे 16 सप्ताह के अंतराल से प्रदाय किए जाएंगे। साथ ही 25 पक्षियों के लिए दड़बा बनाने हेतु 1500 रुपए दिये जाने का प्रावधान भी है।
योजना से संबंधित लिंक - http://www.mpdah.gov.in/schemes.php
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