Published - 19 May 2021 by Tractor Junction
किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में बागवानी के लिए 2250 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। सरकार का मानना है कि बागवानी क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं जो किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सकती है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार देशभर में बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास और इसे बढ़ावा देने के लिए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2021-22 को क्षेत्र पहले अधिक 2250 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। ये आवंटन ‘मिशन फॉर इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (एमआईडीएच)’ योजना में किया गया है। फल, सब्जियां, जड़ और कंद फसलों, मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधे, नारियल, काजू आदि को कवर करने वाले बागवानी क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं को साकार करने के लिए कृषि मंत्रालय एमआईडीएच योजना को वर्ष 2014-15 से कर रहा है। वार्षिक कार्य योजना बनाने के लिए राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों तक इस आवंटन की जानकारी पहुंचा दी गई है। आज देश में बागवानी फसलों का उत्पादन कृषि उत्पादन से आगे निकल गया है। वर्ष 2019-20 के दौरान देश में 25.66 मिलियन हैक्टेयर बागवानी क्षेत्र भूमि पर अब तक का सर्वाधिक 320.77 मिलियन टन उत्पादन हुआ। वर्ष 2020-21 के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार देश में 27.17 लाख हेक्टेयर भूमि पर बागवानी क्षेत्र का कुल उत्पादन 326.58 लाख मीट्रिक टन रहने का अनुमान है।
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एमआईडीएच ने बागवानी फसलों की पैदावार करने वाले क्षेत्र को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2019-20 तक बागवानी फसलों का क्षेत्रफल और उत्पादन क्रमश: 9 प्रतिशत और 14 प्रतिशत तक बढ़ा है। इसके अलावा, इस मिशन ने खेतों में इस्तेमाल की जाने वाली सर्वोत्तम प्रणालियों को बढ़ावा दिया है, जिसने खेत की उत्पादकता और उत्पादन की गुणवत्ता में काफी सुधार किया है। हालांकि, यह क्षेत्र फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान और प्रबंधन एवं सप्लाई चैन के बुनियादी ढांचे के बीच मौजूद अंतर की वजह से अभी भी काफी चुनौतियों का सामना कर रहा है। भारतीय बागवानी क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ाने की संभावनाएं काफी ज़्यादा हैं, जो वर्ष 2050 तक देश में 650 मिलियन मीट्रिक टन फलों और सब्जियों की अनुमानित मांग को पूरा करने के लिए जरूरी है। इस दिशा में किए जाने वाले अच्छे प्रयासों में सामग्री उत्पादन की रोपाई पर ध्यान केन्द्रित करना, क्लस्टर विकास कार्यक्रम, कृषि अवसंरचना कोष के माध्यम से ऋण मुहैया कराना, एफपीओ के गठन और विकास जैसे कई प्रयास शामिल हैं।
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी),ने पिछले एक साल के दौरान कटाई बाद और कोल्ड चेन से जुड़ी बुनियादी अधोसरंचना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लंबे समय से लंबित सब्सिडी के 1278 आवेदनों को मंजूरी दे दी है। वहीं 921 नई परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है। केंद्रीय कृषि मंत्री और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के नेतृत्व में, एनएचबी की टीम ने एक मिशन मोड में काम किया है। कृषि सचिव और प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री संजय अग्रवाल ने कार्य की प्रगति पर नियमित रूप से नजर रखी। मंत्रालय की प्रत्यक्ष निगरानी में, एनएचबी ने योजना के दिशानिर्देश, दस्तावेजीकरण और नए आवेदनों के निपटारे की प्रक्रिया को सरल बनाकर व्यवसाय करने में आसानी के लिए कई कदम उठाए हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान जहां 357 लाभार्थियों को सब्सिडी दी गई, वहीं 921 नई परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई।
एनएचबी ने कृषि मंत्रालय की कृषि अवसंरचना कोष (एग्री इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड स्कीम) के साथ अपनी बैक-एंड कैपिटल इनवेस्टमेंट सब्सिडी योजनाओं के एकीकरण की सुविधा भी प्रदान की है, ताकि बागवानी क्षेत्र में कटाई के बाद की और कोल्ड चेन से जुड़ी अवसंरचना स्थापित करने के लिए 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी कवरेज के साथ ऋण पर 3 प्रतिशत ब्याज के अनुदान का लाभ उठाने के लिए किसानों और उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा सके।
एनएचबी की योजनाएं देश में संरक्षित खेती के तहत एक बड़े क्षेत्र में व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण फूलों और उच्च मूल्य वाली सब्जियों की फसलों की खेती और एक बड़ी कोल्ड स्टोरेज क्षमता को भी स्थापित करने में सक्षम हुई हैं। एनएचबी के वित्तीय समर्थन के साथ, उच्च तकनीकी पर आधारित वाणिज्यिक बागवानी के तहत 2210 एकड़ के अतिरिक्त क्षेत्र को खुले और संरक्षित दोनों किस्म की खेती के जरिए बागवानी के तहत लाया गया है। इसके अलावा एनएचबी की कोल्ड स्टोरेज योजना के तहत 1.15 लाख मीट्रिक टन की अतिरिक्त कोल्ड स्टोरेज क्षमता निर्मित की गई है।
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले बीत दिनों राष्ट्रीय नर्सरी पोर्टल का शुभारंभ किया। इस अवसर पर तोमर ने कहा कि बागवानी के माध्यम से देश के युवा बड़े उद्यमी बनकर जीडीपी में योगदान दे सकते हैं। श्री तोमर ने कहा कि कृषि मंत्रालय द्वारा स्थापित नर्सरियों के लिए ‘ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म’ से किसान/ उत्पादक और अन्य हितधारक अपने आसपास के क्षेत्रों में उपलब्ध क्वॉलिटी प्लांटिंग मटेरियल की उपलब्धता की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। इस पोर्टल के माध्यम से, नर्सरियों के संचालक अपनी प्रोफाइल प्रदर्शित कर सकेंगे और बिक्री ऑफर डाल सकेंगे। प्लांटिंग मटेरियल के खरीदार भी सीधे ऑनलाइन पूछताछ कर सकेंगे और अपनी जरूरत से मिलते-जुलते बिक्री ऑफर देख पाएंगे।
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा विकसित इस नए राष्ट्रीय नर्सरी पोर्टल से खरीददारों को नर्सरियों तक आसानी से पहुंचने में मदद मिलेगी और साथ ही वे क्वालिटी प्लांटिंग मटेरियल की उपलब्धता, कीमत आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर पाएंगे। इसी तरह, नर्सरियों को भी बाजार मांग का पता चलेगा। खरीददारों का नर्सरियों से सीधा संपर्क होने से नर्सरियों को उनके प्लांटिंग मटेरियल का बेहतर दाम मिल पाएगा व बेहतर उपज तथा क्वालिटी बनाए रखने के लिए समय से सलाह प्राप्त कर सकेंगे।
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