Published - 30 May 2020 by Tractor Junction
ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है, आज हम बात करते हैं पशुपालकों के लिए देश में चलाई जा रही सरकारी योजनाओं के बारे में। किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए खेती के साथ दूसरे काम भी करते हैं। इसमें किसान पशुपालन को विशेष महत्व देते हैं। देश के अधिकांश किसान अपने घर में दुधारू मवेशियों के रूप में गाय, भैंस, भेड़ व बकरी आदि को पालन करते हैं। किसान दूध को बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास करते हैं।
केंद्र सरकार भी किसानों का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रही है। पशुपालक किसानों के लिए पशुधन बीमा योजना संचालित है। इसमें पशुपालक नाममात्र का प्रीमियम चुकाकर पशुओं का बीमा करा सकते हैं। इस योजना अगर किसान के दुधारू पशु की मौत हो जाती है तो उसका नुकसान बीमा के माध्यम से पूरा किया जाता है। इस योजना में दुधारू मवेशी की मौत के बाद 15 दिन में दावों का निस्तारण किया जाता है और किसान को पशु की मौत से हुए नुकसान की भरपाई होती है। तो किसान भाइयों आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की पोस्ट के माध्यम से जानते हैं पशुधन बीमा योजना के फायदों के बारे में।
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इस बीमा योजना में किसान अपने दुधारू पशु के साथ ही सभी पशुओं का बीमा करा सकते हैं। किसान एक साथ अधिकतम पांच पशु का बीमा करा सकता है जिसे एक साथ बीमित पांच पशु को एक इकाई माना जाएगा। इसी प्रकार मांस उत्पादित करने वाले पशु जैसे भेड़, बकरी, सुअर आदि 10 पशुओं की संख्या को एक पशु इकाई माना जायेगा। वर्तमान में मध्यप्रदेश के सभी जिलों में पशुधन बीमा योजना पर सरकार का विशेष ध्यान है।
राज्य सरकार पशुपालकों को पशु के बीमा करने के लिए बीमा किस्त पर सब्सिडी भी उपलब्ध करा रही है। इसमें एपीएल श्रेणी के किसानों के लिए 50 प्रतिशत तथा बीपीएल, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के पशुपालकों के लिए 70 प्रतिशत सब्सिडी बीमित पशु के किश्त पर किसानों को दी जा रही है। किश्त की शेष राशि किसान को स्वयं देनी होगी। बीमा प्रीमियम की अधिकतम दर एक साल के लिए 3 प्रतिशत तथा तीन साल के लिए 7.50 प्रतिशत देय है। इसके अलावा देश के अन्य प्रांतों में भी न्यूनतम प्रीमियम पर पशुओं का बीमा किया जाता है। बीमा किश्त में भी सरकार सब्सिडी उपलब्ध कराती है।
• पशुधन बीमा योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है जो 10वीं पंचवर्षीय योजना के वर्ष 2005-06 तथा 2006-07 और 11वीं पंचवर्षीय योजना के वर्ष 2007-08 में प्रयोग के तौर पर देश के 100 चयनित जिलों में क्रियान्वित की गई थी। यह योजना देश के 300 चयनित जिलों में नियमित रूप से चलाया जा रहा है।
• पशुधन बीमा योजना की शुरुआत दो उद्देश्यों, किसानों तथा पशुपालकों को पशुओं की मृत्यु के कारण हुए नुकसान से सुरक्षा मुहैया करवाने तथा पशुधन बीमा के लाभों को बताने तथा पशुधन तथा उनके उत्पादों के गुणवत्तापूर्ण विकास के चरम लक्ष्य के साथ लोकप्रिय बनाने के लिए किया गया।
• योजना के अंतर्गत देशी/ संकर दुधारू मवेशियों और भैंसों का बीमा उनके अधिकतम वर्तमान बाजार मूल्य पर किया जाता है। बीमा का प्रीमियम 50 से ७० प्रतिशत तक अनुदानित होता है। अनुदान की पूरी लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है।
• यह योजना गोवा को छोडक़र सभी राज्यों में संबंधित राज्य पशुधन विकास बोर्ड द्वारा क्रियान्वित हो रही है।
• बीमा किए गए पशु की बीमा-राशि के दावा के समय उसकी सही तथा अनोखे तरीके से पहचान की जानी होगी। अत: कान में किये अंकन को हरसंभव तरीके से सुरक्षित किया जाना चाहिए।
• पॉलिसी लेने के समय कान में किये जाने वाले पारंपरिक अंकन या हाल के माइक्रोचिप लगाने की तकनीकी का प्रयोग किया जाना चाहिए।
• पहचान चिह्न लगाने का खर्च बीमा कंपनी द्वारा वहन किया जाएगा तथा इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी संबंधित लाभार्थियों की होगी।
• अंकन की प्रकृति तथा उसकी सामग्री का चयन बीमा कंपनी तथा लाभार्थी, दोनों की सहमति से होता है।
• किसी पशु की बीमा उसके अधिकतम बाजार मूल्य पर की जाएगी। जिस बाजार मूल्य पर बीमा की जाती है उसे लाभार्थी, अधिकृत पशु चिकित्सक एवं बीमा एजेंट द्वारा सम्मिलित रूप से की जाती है।
• देशी/ संकर दुधारू मवेशी और भैंस योजना की परिधि के अंतर्गत आएंगे। दुधारू पशु/ भैंस में दूध देने वाले और नहीं देने वाले के अलावा गर्भवती मवेशी, जिन्होंने कम से कम एक बार बछड़े को जन्म दिया हो, शामिल होंगे।
• ऐसे मवेशी जो किसी दूसरी बीमा योजना अथवा योजना के अंतर्गत शामिल किये गये हों, उन्हें इस योजना में शामिल नहीं किया जाएगा।
किसानों को तीन साल की पॉलिसी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जो बाढ़ तथा सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने पर बीमा का वास्तविक लाभ पाने में उपयोगी हो सकती हैं। फिर भी यदि कोई किसान तीन साल से कम अवधि की पॉलिसी लेना चाहता है, तो उसे वह भी दिया जाएगा और उसे उसी मवेशी का अगले साल योजना लागू रहने पर फिर से बीमा कराने पर प्रीमियम पर अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा।
पशु की बिक्री या अन्य दूसरे प्रकार के हस्तांतरण स्थिति में, यदि बीमा पॉलिसी की अवधि समाप्त न हुई हो तो बीमा पॉलिसी की शेष अवधि का लाभ नये स्वामी को हस्तांतरित किया जाएगा। पशुधन नीति के ढंग तथा शुल्क एवं हस्तांतरण हेतु आवश्यक विक्रय-पत्र आदि का निर्णय, बीमा कंपनी के साथ अनुबंध के समय ही कर लेनी चाहिए।
पशु बीमा योजना में सरकार प्रयास है कि किसान के घर में अगर दुधारू पशु की मौत हो जाए तो उसकी आर्थिक स्थिति नहीं बिगड़े। इसलिए बीमा कंपनियों को 15 दिन में क्लेम की क्षतिपूर्ति करनी होती है। पशु की मौत होने पर किसान को तत्काल इसकी सूचना बीमा कंपनियों के लिए भेजा जाना चाहिए। बीमा कंपनियों द्वारा दावों के निष्पादन के लिए केवल चार दस्तावेज आवश्यक होंगे, जैसे बीमा कंपनी के पास प्रथम सूचना रिपोर्ट, बीमा पॉलिसी, दावा प्रपत्र और अंत्यपरीक्षण रिपोर्ट। पशु की बीमा करते समय मुख्य कार्यकारी अधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं दावा के निपटारे हेतु स्पष्ट प्रक्रिया का प्रावधान किया जाए तथा आवश्यक कागजों की सूची तैयार की जाए एवं पॉलिसी प्रपत्रों के साथ उसकी सूची संबंधित लाभार्थियों को भी उपलब्ध करवाई जाए। यदि दावा बाकी रह जाता है, तो आवश्यक दस्तावेज जमा करने के 15 दिन के भीतर बीमित राशि का भुगतान निश्चित तौर पर कर दिया जाना चाहिए।
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