प्रकाशित - 18 Jul 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
यूपी सरकार की ओर से किसानो की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत कई प्रकार योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें से एक योजना किसान समृद्धि योजना है। इस योजना पूरा नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना है। इस योजना के तहत राज्य सरकार 602.68 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस योजना के जरिये राज्य में बंजर और जलभराव वाली बेकार पड़ी भूमि को खेती योग्य बनाया जाएगा। इससे किसानों और मजदूरों को लाभ होगा। आज हम इस ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको किसान समृद्धि योजना यूपी की जानकारी दे रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर राज्य के किसानों के हित में किसान समृद्धि योजना चलाई जा रही है। इस योजना को वर्ष 2017-18 में शुरू किया गया था। राज्य सरकार की ओर से इस योजना की अवधि को 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया है ताकि इसका लाभ राज्य के अधिक से अधिक किसानों को मिल सके। अब ये योजना 2026-27 तक जारी रहेगी। इस योजना के तहत राज्य में बंजर व जलभराव पड़ी भूमि को फिर से उपजाऊ बनाने को लेकर काम किया जाएगा।
राज्य में चावल, गेहूं, मक्का, गन्ना सहित कई प्रकार की फसलों का उत्पादन किया जाता है। यहां अधिकांश किसानों की आजिविका का प्रमुख साधन खेती ही है। इसे देखते हुए सरकार की ओर से बंजर और जलभराव वाली भूमि को फिर से उपजाऊ बनाने की योजना काफी महत्वपूर्ण है। इससे राज्य में खेती का क्षेत्र बढ़ेगा और फसल उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी। बता देें कि राज्य में काफी भूमि बंजर और जलभराव की चपेट में आने से खेती लायक नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में केंद्र सरकार की ओर से ऐसी भूमि में सुधार के लिए 5 साल पहले ये योजना शुरू की थी जिस पर अब तेजी से काम किया जा रहा है।
यूपी सरकार की ओर से किसान समृद्धि योजना के तहत अगले 5 सालों में 602.68 करोड़ रुपए रुपए खर्च किए जाने हैं। इसमें 501.59 करोड़ रुपए राज्य सरकार की ओर से खर्च किए जाएंगे। 51.25 करोड़ रुपए मनरेगा के माध्यम से खर्च किए जाएंगे। वहीं 40.84 करोड़ रुपए किसानों की ओर से खर्च किए जाएंगे।
यह योजना उत्तरप्रदेश के 75 जिलों में से 74 जिलों मेें लागू की गई है। बस एक मात्र गौतम बुध नगर जिले में ये योजना लागू नहीं की जाएगी। मंत्रिपरिषद ने योजना में किसी तरह के संशोधन या परिवर्तन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है। इस योजना के तहत योजना प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि सुधार के अनेक कार्यक्रम चलाएं जाएंगे। किसान, मजदूरों को आवंटित भूमि दुरुस्त की जाएगी। इससे उन्हें रोजगार भी मिलेगा। योजना के तहत चयनित परियोजना क्षेत्र के सभी किसान व किसान मजदूर इससे लाभान्वित होंगे। परियोजना क्षेत्र के चयन में उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां लघु व सीमांत किसान और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति किसानों व भू-आवंटियों की अधिकता होगी।
यूपी में इस योजना पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। इसके उत्साहजनक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। अब तक पांच साल के दौरान राज्य की 1,57,190 हेक्टेयर जमीन को खेती योग्य बनाया गया है। अब तक इस योजना पर करीब 332 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इस योजना की प्रगति की ओर नजर डाले तो इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। परियोजना क्षेत्र में विभिन्न फसलों के लिए 8.58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर भूमि की बढ़ोतरी हुई है। उपचारित क्षेत्र के किसानों की आय में 48 प्रतिशत इजाफा हुआ है। वहीं भूजल स्तर में 1.42 मीटर की बढ़ोतरी देखी गई है।
इस योजना के अंतर्गत अगले पांच सालों के लिए 2,19,250 लाख हेक्टेयर भूमि को सुधारने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस परियोजना क्षेत्र में सुधार की गई भूमि पर जरूरत के हिसाब से कृषि वानिकी व उद्यानीकरण के साथ ही उपचारित क्षेत्र में 50 प्रतिशत अनुदान पर फसलों का उत्पादन कराया जाएगा। इससे कृषि उत्पादन, किसानों की आय व भूजल स्तर में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा इस परियोजना के तहत अगले 5 साल के दौरान दो करोड़ मानव दिवस का रोजगार सृजित होने का अनुमान है।
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