प्रकाशित - 17 Apr 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
खेती को फायदे का सौदा बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही है। इसके बावजूद किसानों को खेती से जुड़ी जरूरतों जैसे बीज, खाद, पानी, जुताई, बुवाई और कटाई के लिए कर्ज लेना पड़ता है। कई बार तो किसानों को सहकारी बैंकों से कर्ज मिल जाता है तो कई बार उन्हें साहूकारों से कर्जा लेना पड़ता है। जहां सहकारी बैंक आमतौर पर शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर लोन देते हैं, वहीं सेठ-साहूकारों की ब्याज दर अधिक होती है। सामान्यत: हर साल यह देखने में आता है कि बड़ी संख्या में किसान लोन नहीं चुका पाते हैं और डिफॉल्टर घोषित हो जाते हैं। ऐसे डिफॉल्टर किसानों को राहत देते हुए सरकार ने उनका बैंक ब्याज चुकाने की घोषणा की है। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट से जानें कि सरकार की घोषणा से किन किसानों को फायदा पहुंचेगा।
सरकार की इस घोषणा का फायदा मध्यप्रदेश के किसानों को मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि जिन किसानों ने सहकारी बैंकों से कर्ज लिया था और समय पर चुका नहीं पाए, उनके कर्ज पर लगने वाला ब्याज अब राज्य सरकार वहन करेगी। यह फैसला उन किसानों के लिए है जो 31 मार्च 2025 तक कर्ज नहीं चुका पाने के कारण डिफाल्टर हो गए हैं।
यह घोषणा उस वक्त हुई जब भारतीय किसान संघ का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला। संघ के पदाधिकारियों ने किसानों की समस्याओं को उठाते हुए सहकारी बैंकों के डिफाल्टर किसानों का मुद्दा सामने रखा। इस पर सीएम ने भरोसा दिलाया कि किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, सरकार उनके कर्ज का ब्याज चुकाएगी।
मध्यप्रदेश में फिलहाल 4,523 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां कार्यरत हैं, जो किसानों को खाद, बीज और अन्य कृषि कार्यों के लिए शून्य ब्याज दर पर ऋण देती हैं। हालांकि, तय समय में लोन नहीं चुकाने पर किसानों को ब्याज और दंड शुल्क चुकाना पड़ता है। इससे आर्थिक रूप से कमजोर किसान और अधिक परेशान हो जाते हैं। अब इस फैसले से हजारों किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है और वे दोबारा आत्मविश्वास के साथ खेती कर सकेंगे।
भू अधिग्रहण संशोधन ड्राफ्ट 2025 पर भी सरकार से चर्चा सीएम की इस घोषणा के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने भू अधिग्रहण संशोधन ड्राफ्ट 2025 पर भी चर्चा की और सुझाव दिए कि किसानों की सहमति और विश्वास में लिए बिना उनकी जमीन का अधिग्रहण न किया जाए। इस बैठक में तीन राज्यों के किसान संघ पदाधिकारी मौजूद थे। राज्य सरकार के अधिकारियों ने संशोधित विधेयक का प्रेजेंटेशन भी दिया।
मध्यप्रदेश सरकार किसानों को खेती के लिए ब्याज रहित ऋण (Cooperative Bank Loan) की सुविधा प्रदान करती है, जो सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है। यह सुविधा खरीफ और रबी दोनों फसलों के लिए दी जाती है, जिससे किसान खाद, बीज, सिंचाई और अन्य कृषि कार्यों के लिए आसानी से आर्थिक मदद प्राप्त कर सकें। हालांकि, यदि किसान निर्धारित समय सीमा में ऋण नहीं चुका पाते, तो उन्हें डिफॉल्टर मान लिया जाता है और उस पर ब्याज लगना शुरू हो जाता है। यह ब्याज धीरे-धीरे बड़ा आर्थिक बोझ बन जाता है, जिससे कई किसान ऋण चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं।
डिफाल्टर किसान को चुकाना होता है 10 प्रतिशत या इससे अधिक ब्याज राज्य सरकार ने खरीफ फसलों के लिए ऋण चुकाने की अंतिम तिथि 28 मार्च और रबी फसलों के लिए 15 जून तय की है। जो किसान इस अवधि में ऋण नहीं चुका पाते, उनसे सहकारी समितियां आधार दर के साथ-साथ दंडात्मक ब्याज भी वसूलती हैं। वित्त विभाग ने ब्याज मुक्त ऋण योजना में बैंकों को होने वाली लागत के आधार पर 'आधार दर' को 10 प्रतिशत तय किया है। यानी यदि किसान डिफॉल्टर होता है तो उसे 10 प्रतिशत या इससे अधिक ब्याज दर पर राशि लौटानी होती है, जो उनकी आर्थिक स्थिति को और कमजोर बना देती है। इस व्यवस्था को लेकर किसानों में चिंता बनी रहती है, और सरकार समय-समय पर राहत देने के लिए कदम उठाती रही है।
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