उपज को भंडार गृह में रखकर किसान कर सकता है भाव बढऩे का इंतजार
ग्रामीण भंडारण योजना किसानों के लिए बेहद मददगार साबित हो सकती है यदि इसका सही तरीके से लाभ उठाया जाए। अक्सर देखा जाता है किसान उपज को सुरक्षित नहीं रख पाने के कारण अपनी फसल को औने- पौने दाम में बचने को मजबूर हो जाते हैं। उनके सामने उपज को सुरक्षित रखने के लिए भंडार गृह नहीं है। यदि स्वयं किसान भंडार गृह का निर्माण करें तो इसमें बहुत खर्चा आता है जो एक साधारण किसान के बस की बात नहीं है। अब किसान को पुराने तरीकों को छोडक़र स्मार्ट बनाना होगा और उसे अपनी उपज को सुरक्षित रखने के लिए सरकार की भंडारण का लाभ व्यवसायिक रूप से अपनाना होगा तभी वह अपनी फसल को लंबे समय तक सुरक्षित रखकर आमदनी बढ़ा सकता है।
सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रैक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1
क्या है ग्रामीण भंडारण योजना ( Gramin Bhandaran Yojana )
यह योजना केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2001-02 में शुरू की गई थी। इस योजना का मुख्य कृषि उत्पादों के भंडारण के लिए गोदाम निर्माण करने में किसानों सहित कृषि से जुड़ी संस्थाओं की मदद करना है। इसके लिए सरकार की ओर से गोदाम के निर्माण के लिए ऋण दिया जाता है साथ ही इसमें सरकार सब्सिडी भी देती है।
ग्रामीण भंडारण योजना का उद्देश्य
- इस कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में कृषि उपज और संसाधित कृषि उत्पादों के भंडारण की किसानों की जरूरतें पूरी करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण सुविधाओं के साथ वैज्ञानिक भंडारण क्षमता का निर्माण करना।
- कृषि उपज के बाजार मूल्य में सुधार के लिए ग्रेडिंग, मानकीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण को बढ़ावा देना; वायदा वित्त व्यवस्था और बाजार ऋण सुविधा प्रदान करते हुए फसल कटाई के तत्काल बाद संकट और दबावों के कारण फसल बेचने की किसानों की मजबूरी समाप्त करना।
- कृषि जिन्सों के संदर्भ में राष्ट्रीय गोदाम प्रणाली प्राप्तियों की शुरूआत करते हुए देश में कृषि विपणन ढांचा मजबूत करना शामिल है। इसके जरिए निजी और सहकारी क्षेत्र को देश में भंडारण ढांचे के निर्माण में निवेश के लिए प्रेरित करते हुए कृषि क्षेत्र में लागत कम करने में मदद की जा सकती है।
कौन-कौन ले सकता है इस योजना का लाभ
ग्रामीण गोदाम के निर्माण की परियोजना देशभर में व्यक्तियों, किसानों, कृषक/उत्पादक समूहों, प्रतिष्ठानों, गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, कंपनियों, निगमों, सहकारी संगठनों, परिसंघों और कृषि उपज विपणन समिति द्वारा शुरू की जा सकती है।
ग्रामीण भंडारण योजना के लिए ऋण हेतु पात्रता
इस योजना के तहत वायदा ऋण सुविधा प्रदान की जाती है। इसके लिए आपको बैंक से संपर्क करना होगा। ग्रामीण भंडारण योजना के तहत बने गोदामों में अपनी उपज रखने वाले किसानों को ही उपज गिरवी रख कर वायदा ऋण प्राप्त करने का पात्र समझा जाएगा। वहीं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रोन्नत फूड पार्कों में बनाए जाने वाले ग्रामीण गोदाम भी इस कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं।
ग्रामीण भंडारण योजना में सब्सिडी हेतु आवश्यक शर्तें
वायदा ऋणों के नियम एवं शर्तों, ब्याज दर, गिरवी रखने की अवधि, राशि आदि का निर्धारण रिजर्व बैंक/नाबार्ड द्वारा जारी दिशा निर्देशों और वित्तीय संस्थानों द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य बैंकिंग पद्धतियों के अनुसार किया जाएगा।
इस योजना के तहत आवेदक को ऋण पर सब्सिडी भी दी जाती है जो संस्थागत ऋण से संबंधित होती है और केवल ऐसी परियोजनाओं के लिए दी जाती है जो वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों, कृषि विकास वित्त निगमों, शहरी सहकारी बैंकों आदि से वित्त पोषित की गई हों।
इसके अलावा गोदाम की क्षमता का निर्णय उद्यमी द्वारा किया जाएगा। लेकिन इस कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी प्राप्त करने के लिए गोदाम की क्षमता 100 टन से कम और 30 हजार टन से अधिक नहीं होनी चाहिए। 50 टन क्षमता तक के ग्रामीण गोदाम भी इस कार्यक्रम के अंतर्गत विशेष मामले के रूप में सब्सिडी के पात्र हो सकते हैं, जो व्यवहार्यता विश्लेषण पर निर्भर करेंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में 25 टन क्षमता के आकार वाले ग्रामीण गोदाम भी सब्सिडी के हकदार होंगे। इस योजना में ऋण चुकाने की अवधि 11 साल है।
किस आधार पर मिलती है सब्सिडी?
कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी गोदाम के प्रचालन के लिए कार्यात्मक दृष्टि से अनुषंगी सुविधाओं जैसे चाहर दिवारी, भीतरी सडक़, प्लेटफार्म, आतरिक जल निकासी प्रणाली के निर्माण, धर्मकांटा लगाने, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, गुणवत्ता प्रमाणन, वेयरहाउसिंग सुविधाओं सहित गोदाम के निर्माण की पूंजी लागत पर दी जाती है।
ग्रामीण भंडारण योजना के लिए के लिए सब्सिडी की दरें
- अजा / अजजा उद्यमियों और इन समुदायों से सम्बद्ध सहकारी संगठनों तथा पूर्वोत्तर राज्यों, पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित परियोजनाओं के मामले में परियोजना की पूंजी लागत का एक तिहाई (33.33 प्रतिशत) सब्सिडी के रूप में दिया जाएगा, जिसकी अधिकतम सीमा 3 करोड़ रुपए होगी।
- किसानों की सभी श्रेणियों, कृषि स्नातकों और सहकारी संगठनों से सम्बद्ध परियोजना की पूंजी लागत का 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी जिसकी अधिकतम सीमा 2.25 करोड़ रुपए होगी।
- अन्य सभी श्रेणियों के व्यक्तियों, कंपनियों और निगमों आदि को परियोजना की पूंजी लागत का 15 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी जिसकी अधिकतम सीमा 1.35 करोड़ रुपए होगी।
- एनसीडीसी की सहायता से किए जा रहे सहकारी संगठनों के गोदामों के जीर्णोद्धार की परियोजना लागत का 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।
- कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी के प्रयोजन के लिए परियोजना की पूंजी लागत की गणना निम्नांकित अनुसार की जाएगी।
- 1000 टन क्षमता तक के गोदामों के लिए- वित्त प्रदाता बैंक द्वारा मूल्यांकित परियोजना लागत या वास्तविक लागत या रुपये 3500 प्रति टन भंडारण क्षमता की दर से आने वाली लागत, इनमें जो भी कम हो।
- 1000 टन से अधिक क्षमता वाले गोदामों के लिए- बैंक द्वारा मूल्यांकित परियोजना लागत या वास्तविक लागत या रुपये 1500 प्रति टन की दर से आने वाली लागत, इनमें जो भी कम हो।
- वाणिज्यिक/सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं के मामले में सब्सिडी नाबार्ड के जरिए जारी की जाएगी। यह राशि वित्तप्रदाता बैंक के सब्सिडी रिजर्व निधि खाते में रखी जाएगी और कर से मुक्त होगी।
ग्रामीण भंडारण योजना के संबंध में खास बातें
- इस योजना के तहत आवेदक के पास खुद की जमीन होना आवश्यक है।
- इस योजना के तहत आवेदक किसी भी जगह को गोदाम के निर्माण के लिए चुन सकता है, लेकिन गोदाम की जगह नगर निगम के सीमा क्षेत्र से बाहर होनी चाहिए।
- गोदाम की क्षमता का निर्णय आवेदक पर निर्भर है।
- इस योजना के तहत आवेदक को वैज्ञानिक भंडारण का निर्माण करना होगा।
- गोदाम इंजीनियरी अपेक्षाओं के अनुरूप ढांचागत होने चाहिए।
- कार्यात्मक दृष्टि से कृषि उपज के भंडारण के उपयुक्त होने चाहिए।
- आवेदक को इसके योजना के अनुरूप सभी जरूरी कार्यवाही को पूरा करना होगा।
- इस योजना के अंतर्गत आवेदक को गोदाम के लिए लाइसेन्स लेना आवश्यक है। 1 हजार टन या उससे अधिक क्षमता वाले गोदाम केंद्रीय भंडारण निगम से (सीडब्ल्यूसी) मान्यता प्राप्त होने चाहिए।
- इस योजना के तहत गोदाम की न्यूनतम क्षमता 50 मेट्रिक टन और अधिकतम 10 हजार मेट्रिक टन होगी।
- गोदाम की ऊंचाई 4-5 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।
- गोदाम मालिक को ही गोदाम का बीमा कराना होगा। यह जिम्मेदारी गोदाम मालिक की होगी।
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत उद्यमी को इस बात की आजादी है कि वह अपने वाणिज्यिक निर्णय के अनुसार किसी भी स्थान पर गोदाम का निर्माण कर सकता है।
- गोदाम या भंडार गृह निर्माण के लिए आवश्यक नियम या शर्तें-
- सीपीडब्ल्यूडी/एसपीडब्ल्यूडी-के विनिदेशानुसार निर्माण गोदाम या भंडार गृह का निर्माण किया जाना जरूरी।
- कीटाणुओं से सुरक्षा (अस्थाई सीढिय़ों के साथ ऊचा पक्का क्लेटफार्म चूहारोधक व्यवस्था सहित) के व्यापक इंतजाम होने चाहिए।
- पक्षियों से सुरक्षा जाली वाली खिड़कियां/रोशनदान होने चाहिए।
- प्रभावी धूम्रीकरण फयूमीगेशन के लिए दरवाजों, खिड़कियों की वायुअवरोधकता होनी चाहिए।
- गोदाम कॉम्पलेक्स में निम्न सुविधाऐं होनी चाहिए आवश्यक हैं जिनमें सुगम पक्की सडक़, पक्की आंतरिक सडक़, जल निकासी की समुचित व्यवस्था, अग्नि शमन/ सुरक्षा व्यवस्था तथा सामान लादने/ उतारने की उचित व्यवस्था होनी जरूरी है।
यहां कर सकते हैं संपर्क
ग्रामीण भंडारण योजना के संबंध में और अधिक जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं
विपणन और निरीक्षण निदेशालय
- दूरभाष: - 0129-2434348
- ई-मेल: - rgs-agri@nic.in
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD)
- दूरभाष : - 022-26539350
- ई-मेल: - icd@nabard.org
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC)
- दूरभाष: - 011-26565170
- ई-मेल: - nksuri@ncdc.in
अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।